पत्रकार भवन समिति के चुनाव संपन्न |
भोपाल 23 मार्च 2014। पत्रकार भवन समिति के निर्वाचन में चार संचालक मंडल के सदस्य निर्वाचित घोषित किए गए, जिनमें सर्वश्री विश्वेश्वर शर्मा अध्यक्ष, केडी सिंह उपाध्यक्ष, राजेश विश्वकर्मा सचिव एवं प्रवीण सक्सेना को कोषाध्यक्ष चुना गया।
इसके अतिरिक्त के संचालक मंडल के लिए इंडियन फेडरेशन वर्किंग जर्नलिस्ट के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चंद्र वर्मा, प्रदेश महासचिव सलमान खान, जिला इकाई के अध्यक्ष राजेंद्र कश्यप व सचिव जवाहर सिंह, दानदाता अनिल कुमार शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया एवं अधिकारी वर्ग से अशोक मनवानी को संचालक के पद पर समायोजित किया गया। यह घोषणा आज ए-6 माचना कॉलोनी में चुनाव कार्यक्रम संपन्न होने के बाद चुनाव अधिकारी श्री राजू खत्री ने की। चुनाव कार्यक्रम से पूर्व शहर के पत्रकारों का होली मिलन समारोह एवं साधारण सभा का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी सं या में पत्रकारों ने भा
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मित्रो..
आप लोगों की मर्दानगी देखली। दो दिन हो गये वेज बोर्ड का सन्देश पोस्ट किये, आप लोगों ने उसे छुआ तक नहीं, शायद देखा भी नही हो मालिकों और उनके दलालों के भय से।
आप लोग पत्रकार हो वाह। बस संगठन आपके लिये लडे और वेतन दिलादे बस हम बेशर्मो की तरह लाभ भर ले लें।और संगठन की सदस्यता तक अखबार मालिकों से या उनके दलालों से पूछ कर लें। दरअसल हम मे से कई उन दलालों से भी बुरे और बडे धन पशु हो गये हैं उन्हैं इस वेतन के पेशों से कोई फर्क नहीं पड़ता दरअसल उन्हें वेतन मिलता ही नहीं है। वे यातो इधर उधर से जुगाड कर लेते हैं या मालिकों के ठेके पर काम करते हैं और हमारे सीधे सादे भाइयों जो अपने काम से काम रखते हैं जिन्हें चमचा गिरी नहीं सुहाती या उन्हें नहीं आती । का मालिकों को खुश करने के लिये उनका शोषण करते हैं। हमारा मानना है कि जो पत्रकार अपने लिये अपने बच्चों के लिये नहीं लड सकता वो कुछ भी हो सकता है पत्रकार नहीं हो सकता।
अरे हम हैं कुछ पागल जिन्होंने ठेका ले रखा है आप जैसे मन से अपाहिजों के लिये लडना का कमसे कम अरे चर्चा तो करो माहौल तो गर्म करो यदि स्वयं को बुद्धी जीवी समझते हो तो। हम जैसों के लिये ही बाल कवि बैरागी जी वे यह कविता लिखी है।
एक दिन सूर्य से इतना भर मैने कहा,
आपके साम्राज्य मे इतना अंधेरा क्यों रहा।
तमतमा कर वो दहाड़ा मै अकेला क्या करूं,
तुम निकम्मों के लिये मैं भला कब तक मरूं।
आकाश की आराधना के चक्करों मे मत पडो,
संग्राम छह घनघोर है कुछ मैं लूं कुछ तुम लडो।
अगर किसी को बुरा लगा हो तो मैंसमझूंगा कि मेरा मकसद। कुछ हद तक पूरा हो रहा है।
""शलभ भदौरिया """
आप लोगों की मर्दानगी देखली। दो दिन हो गये वेज बोर्ड का सन्देश पोस्ट किये, आप लोगों ने उसे छुआ तक नहीं, शायद देखा भी नही हो मालिकों और उनके दलालों के भय से।
आप लोग पत्रकार हो वाह। बस संगठन आपके लिये लडे और वेतन दिलादे बस हम बेशर्मो की तरह लाभ भर ले लें।और संगठन की सदस्यता तक अखबार मालिकों से या उनके दलालों से पूछ कर लें। दरअसल हम मे से कई उन दलालों से भी बुरे और बडे धन पशु हो गये हैं उन्हैं इस वेतन के पेशों से कोई फर्क नहीं पड़ता दरअसल उन्हें वेतन मिलता ही नहीं है। वे यातो इधर उधर से जुगाड कर लेते हैं या मालिकों के ठेके पर काम करते हैं और हमारे सीधे सादे भाइयों जो अपने काम से काम रखते हैं जिन्हें चमचा गिरी नहीं सुहाती या उन्हें नहीं आती । का मालिकों को खुश करने के लिये उनका शोषण करते हैं। हमारा मानना है कि जो पत्रकार अपने लिये अपने बच्चों के लिये नहीं लड सकता वो कुछ भी हो सकता है पत्रकार नहीं हो सकता।
अरे हम हैं कुछ पागल जिन्होंने ठेका ले रखा है आप जैसे मन से अपाहिजों के लिये लडना का कमसे कम अरे चर्चा तो करो माहौल तो गर्म करो यदि स्वयं को बुद्धी जीवी समझते हो तो। हम जैसों के लिये ही बाल कवि बैरागी जी वे यह कविता लिखी है।
एक दिन सूर्य से इतना भर मैने कहा,
आपके साम्राज्य मे इतना अंधेरा क्यों रहा।
तमतमा कर वो दहाड़ा मै अकेला क्या करूं,
तुम निकम्मों के लिये मैं भला कब तक मरूं।
आकाश की आराधना के चक्करों मे मत पडो,
संग्राम छह घनघोर है कुछ मैं लूं कुछ तुम लडो।
अगर किसी को बुरा लगा हो तो मैंसमझूंगा कि मेरा मकसद। कुछ हद तक पूरा हो रहा है।
""शलभ भदौरिया """