Friday 26 June 2015

ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है, बढ़ता है तो मिट जाता है

ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है, बढ़ता है तो मिट जाता है
ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा
तुमने जिस ख़ून को मक़्तल में दबाना चाहा
आज वह कूचा-ओ-बाज़ार में आ निकला है
कहीं शोला, कहीं नारा, कहीं पत्थर बनकर
ख़ून चलता है तो रूकता नहीं संगीनों से
सर उठाता है तो दबता नहीं आईनों से
जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती है
जिस्म मिट जाने से इन्सान नहीं मर जाते
धड़कनें रूकने से अरमान नहीं मर जाते
साँस थम जाने से ऐलान नहीं मर जाते
होंठ जम जाने से फ़रमान नहीं मर जाते
जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती
ख़ून अपना हो या पराया हो
नस्ले आदम का ख़ून है आख़िर
जंग मशरिक में हो कि मग़रिब में
अमने आलम का ख़ून है आख़िर
बम घरों पर गिरें कि सरहद पर
रूहे- तामीर ज़ख़्म खाती है
खेत अपने जलें या औरों के
ज़ीस्त फ़ाक़ों से तिलमिलाती है
जंग तो ख़ुद हीं एक मअसला है
जंग क्या मअसलों का हल देगी
आग और खून आज बख़्शेगी
भूख और अहतयाज कल देगी
बरतरी के सुबूत की ख़ातिर
खूँ बहाना हीं क्या जरूरी है
घर की तारीकियाँ मिटाने को
घर जलाना हीं क्या जरूरी है
टैंक आगे बढें कि पीछे हटें
कोख धरती की बाँझ होती है
फ़तह का जश्न हो कि हार का सोग
जिंदगी मय्यतों पे रोती है
इसलिए ऐ शरीफ इंसानों
जंग टलती रहे तो बेहतर है
आप और हम सभी के आँगन में
शमा जलती रहे तो बेहतर है।
- साहिर लुधियानवी -
देश के समस्त सच्चे पत्रकारों को समर्पित :-
"कभी शेर की तरह दहाड़ता था ,आज आवाज खतरे में है।
चन्द गद्दारों के कारण ,आज पूरा समाज खतरे में है।
लहू भरकर कलम में ,कभी देश सीचा जिसने।
अरे ! देखो आज वही ,पत्रकार खतरे में है।/
शोषित की आवाज़ जली है,इन्साफों के द्वार जले,
वाणी की अभिव्यक्ति जली है,संविधान के सार जले,
इन्कलाब के ग्रन्थ जले हैं,जन गन मन का गान जला,
पत्रकार का जिस्म न कहिये,पूरा हिंदुस्तान जला,
निडर और निर्भीक,शब्द का साधक,सच का राही था,
भ्रष्टों के सिर पर जूता था,सच्चा कलम सिपाही था,
कलम उठाकर लड़ बैठा वो,सत्ता चूर दबंगों से,
और बगावत कर बैठा,सरकारी चंद लफंगों से,
मगर लोहिया के बेटों ने उनका कर्ज उतार दिया,
पत्रकार को घर में घुस जिंदा जलवाकर मार दिया
क्या कोई कर लेगा हम तो यूँ ही घुस कर मारेंगे,
डाकू को डाकू कहने वालो की खाल उतारेंगे,
इसीलिए तो शायद गुंडे सत्ता मद में झूम रहे,
जिन्हें जेल में होना था वो खुलेआम ही घूम रहे,
हत्यारों के सिर पर नेता कृपा बनाए बैठे हैं,
नही बोलते कुछ भी मुहं में दही जमाये बैठे हैं
और "भारती यश"लेकर कवि शायर भी चुप बैठे हैं,
युवा देखिये लैपटॉप को दोनों हाथ समेटे हैं,
मुझे नही ख्वाहिश इन सबकी,बात बताने आया हूँ
पिता जला,उन बच्चों की बस हाय सुनाने आया हूँ,
मुझे मौत का खौफ नही हर खौफ मिटाकर आया हूँ
मैं मुठ्ठी में उस जगेन्द्र की राख उठाकर आया हूँ
मैं वाणी का पुत्र,कलम का सैनिक,पानीदार हूँ मैं,
मुझको भी जिंदा जलवा दो जलने को तैयार हूँ मैं,

Wednesday 24 June 2015

news

मित्र गर्त मे जा चुकी मीडिया संडे लाश की तरह दुर्गन्ध करती इलेक्ट्रानिक मीडिया की हकिकत से आप लोग तो वाक़िफ़ होंगे हीं पर हाथों में माइक लिए भाड़े की गाड़ियों पर इधर-उधर भागते, ख़बरों की तलाश में हकलान पत्रकारों की असलियत से भी आप को वाक़िफ़ और रूबरू होने की ज़रूरत है......देश और ख़ास कर देश की राजधानी दिल्ली के आस-पास ऐसे तमाम न्यूज़ चैनल हैं जहाँ महीनों से पत्रकारों को उनके वेतन नहीं मिले, सैकड़ो ऐसे पत्रकार हैं जिन्हें बिना किसी कारण के ख़र्च कम करने के नाम पर चैनलों से बाहर कर दिया जाता है.....दुसरों के हक़ की आवाज उठाने वाले हम पत्रकार अपने हक़ की आवाज उठाने के मामलों में इतने कमज़ोर हैं की हम तमाम शोषण और दबाव सहते हुए काल के गाल में समा तो जाते हैं पर अपनी आवाज नहीं उठा पाते.....ख़ैर में भी अपनी आवाज बुलंद नहीं कर सकता पर मैंने एक फैसला लिया है.....जी हाँ इच्छा मृत्यु का.....अदालत में याचिका लगाउँगा इच्छा मृत्यु की अनुमति का.....प्रार्थना करूँगा तथाकथित माननीय न्यायाधीशों से की इच्छा मृत्यु की अनुमति का.....अपने मौत के लिए भूख क्यों ज़िम्मेवार ठहराए.....क्यों ना उन तथाकथित हुक्मरानों और न्याय के मंदिर के देवताओं को इसका ज़िम्मेवार ठहराए जिनके झुठी अकड़

पत्रकारों पर हमले बर्दाश्‍त नहीं

पत्रकारों पर हमले बर्दाश्‍त नहीं

पत्रकार संदीप की हत्या के खिलाफ मध्यप्रदेश के पत्रकार एकजुट, सी बी आई जांच की मांग

पत्रकार संदीप की हत्या के खिलाफ मध्यप्रदेश के पत्रकार एकजुट, सी बी आई जांच की मांग

भोपाल: 24 जून/ मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में कटंगी में कार्यरत पत्रकार संदीप कोठारी को हाल ही में जलाकर मारने की घटना की कड़ी निंदा करते हुए प्रेस फ्रीडम फोरम ने आज राज्य सरकार से वारदात की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो सीबीआई को सौपने, संदीप के परिवार को पर्याप्त आर्थिक मदद, सुरक्षा और प्रदेश में पत्रकारों पर हमले की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक लाकर कानून बनाने की मांग की है।

प्रेस फ्रीडम फोरम के पवन देवलिया ने बताया कि फोरम ने पत्रकार स्व. कोठारी को श्रद्धांजलि देने के साथ ही आज आयोजित बैठक में मध्यप्रदेश पुलिस की जांच को संदिग्ध बताया है। उसने माना है कि जिस तरह से इस जघन्य हत्या के दिन से ही पुलिस स्व. कोठारी को एक अपराधी बताने का प्रयास कर रही है और उस पर फर्जी आपराधिक प्रकरण लादने वाले पुलिस अफसर को एसआईटी का मुखिया बनाकर जांच की जा रही है, उस पर हमारा भरोसा नहीं है, इसलिए हत्या के इस मामले की राज्य सरकार को सीबीआई के हाथ सौंपने की पहल करना चाहिए।

त्रकार प्रशांत कुमार का नाम की तरह ही व्यक्तिव, लेखन भी आतिशी-रेशमी 13 वीं पुण्यतिथि पर स्मरण

पत्रकार प्रशांत कुमार का नाम की तरह ही व्यक्तिव,
लेखन भी आतिशी-रेशमी
13 वीं पुण्यतिथि पर स्मरण
प्रशांत कुमार। शानदार इंसान। अच्छा पत्रकार। दोस्तों का मददगार। आंखों पर गोल। लेकिन बड़े फ्रेम का चश्मा। घुंघराले बाल। हमेशा मुस्कुराते रहना। उसकी पहचान। खबरों के कारण आम-खास में लोकप्रिय। लेखन कभी रेश्मी तो कभी आतिशी। चापलूसों की जमात से बहुत दूर। पत्रकारिता के ग्लैमर में कभी न तो खुद को बांधा। न ही अखबार नवीसों के किसी गिरोह से नाता रखा।
पत्रकारिता के क्षेत्र में अलग पहचान बनाई। न किसी का पिछलग्गू बना। न ही किसी की छाप लगने दी। इसको लेकर सत्ता के गलियारों से मंत्रालय तक था, सिर्फ भ्रम। क्या नेता- क्या अफसर। सबके बीच खुसूरपुसर रहती। कुछ पूछते कि यार, यह किसका खास है। कौन सी विचारधारा का है? दरअसल उसका लेखन ही ऐसा था कि वह सबके करीब था। लेकिन यह सच नहीं। जीहां, हुजूर। यकीन मानिए। कुछ लोगों को तो गलतफहमी होगी। वे कोई किस्सा और कहानी गढ़ सकते हैं। किस्सा गो की तरह सुना भी सकते है। हकीकत यह है कि वे सिर्फ और सिर्फ पत्रकार था। आम आदमी की आवाज था। सामाजिक सरोकारों का पैरोकार था। मेहनतकश, मजलूम, मासूम और बेबस, बेसहारा की आवाज बुलंद करता। कर्मचारी वर्ग हो या राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता। सब उसे जानते। मौका मिलता तो ऐसी जमात से वे खूब बतियाता। तभी तो उसके पास रहता खबरों का खजाना। मेरे जैसे कई उससे रश्क करते। लेकिन उसकी काबलियत। सलाम और तारीफ करने लायक।
प्रशांत की पत्रकारिता का सफर दिलचस्प है। पहले बैंक में नौकरी की। छटपटाहट में छोड़ दी। कुछ करने को लेकर बैचेनी थी। दिल है कि मानता नहीं, की तर्ज पर पहले उसने एक साप्ताहिक अखबार निकालकर खुद को तौला। फिर भोपाल दैनिक जागरण ज्वॉइन किया। उसे लगा कि यहां मंजिल नहीं हैं। कुछ माह बाद वे वर्ष 1989 में भोपाल दैनिक भास्कर में रिपोर्टर बन गया। यहां उसे संपादक के रूप में परम आदरणीय महेश श्रीवास्तवजी मिले। उनकी पारखी नजरों ने प्रशांत को पहचान लिया। उसे सबसे पहले बरकत उल्ला विश्वविद्यालय की कवरेज का जिम्मा सौंपा गया। साथ ही एप्को, एमपी पीसीबी जैसा संस्थान भी बीट की शक्ल में दिए गए। देखते ही देखते कलम के बूते पर वे छा गया। बाद में उसे प्रशासनिक और राजनीतिक रिपोर्टिंग का जिम्मा सौंपा गया।
वे मगरुर नहीं था। सहयोगियों को हमेशा प्रोत्साहित करता। किसी की खामी या कमी को कोई मुद्दा नहीं बनाता। न ही कोई व्यंग्य करता। इस गुण के कारण दफ्तर के अंदर-बाहर वह सबका चहेता था। वे खबरों को लेकर बहुत संजीदा रहता। एकाग्रता के साथ लिखता। इस कारण उसकी कापी में शायद कभी करैक्शन या कटेंट के लेवल पर गलती निकली हो। याद नहीं पड़ता। सिद्धांत वादी भी था। उसने कभी खबर के स्त्रोत का नाम भी साझा नहीं किया। साइंस के स्टूडेंट रहे प्रशांत को आइंसटीन और न्यूटन के सिद्धांत की समझ थी। शायद यही वजह थी कि प्रयोगधर्मी पत्रकारिता के चलते 1990 के दशक में उसका कोई सानी नहीं था।
मैंने भास्कर में काम करते हुए सुना था कि पूर्व संपादक (स्वर्गीय) श्री श्याम सुंदर ब्यौहार जब सिटी रिपोर्टर थे, तब श्री केएफ रुस्तमजी जैसे आईजी उन्हें फोन करके पूछते थे कि सब खैरियत हो तो मुझे सोने की इजाजत है। कुछ इस तरह मैंने प्रशांत के साथ भी देखा। कई मंत्री, अफसर उससे रोजाना बात करते। इस दौरान वह बात-बात में खबर निकाल लेता। तब मैं,प्रशांत न्यूज रूम में साथ ही बैठते थे। रोजाना काफी वक्त भी साथ गुजारते। उसने कई विषयों पर लेखन किया। उसकी लिखी कई खबरें भाषा शैली के कारण यादगार है। दुष्यंत कुमार की कई गजलें और शेर उसे याद थे। वे कुछ खास मौके पर अपने अंतरंग मित्रों के बीच इन्हें खास अंदाज में गुनगुनाता। इसी तरह हिंदी फिल्में देखने का उसे खूब शौक था। वे हास्य फिल्में खास तौर पर देखता। फिर हंसी-मजाक में उस फिल्म के किसी पात्र के नाम से अपने दोस्तों को बुलाता। बाद में खूब हंसता।
सम्मान के नाम से तौबा। उसे खुद का सम्मान कराने में झिझक होती। कई संगठन आग्रह करते। लेकिन विनम्रता से इंकार करता। वे कहता कि पहले इस लायक तो बन जाऊं। हालांकि मित्रों के कहने पर विधानसभा का संसदीय रिपोर्टिंग एवं नगर निगम का राजनीतिक रिपोर्टिंग समेत माधवसप्रे संग्रहालय का पुरस्कार उसने जरुर ग्रहण किया। वे अपने अंतरंग मित्रों के बीच अन्नू था। उसके मित्र जैसे प्रलय श्रीवास्तव, विजय पेशवानी और मैं, अमूमन इसी नाम से बुलाते थे। आज वो नहीं है। फानी दुनिया को अलविदा कहे उसे 13 बरस हो गए। उसका जाना किसी वज्र की तरह कम नहीं। अब उसकी यादें शेष हैं। हर लम्हा, ऐसा लगता हैं कि वो अब आता ही है। लेकिन जाने वाले कहां आते। इतने अर्से में अब खुद को संभाल लिया। उसके परिजनों से लेकर दोस्तों ने नियति के हुक्म को मान लिया। ईश्वर उसकी आत्मा को शांति दें। यही परमपिता परमात्मा से प्रार्थना हैं। एक बार फिर शत्-शत्- नमन्। सादर आदरांजलि।
अलीम बजमी
न्यूज एडिटर, दैनिक भास्कर भोपाल। 097543-04786

Tuesday 23 June 2015

प्रशांत: नाम की तरह ही व्यक्तिव, लेखन भी आतिशी-रेशमी 13 वीं पुण्यतिथि पर स्मरण

प्रशांत: नाम की तरह ही व्यक्तिव, लेखन भी आतिशी-रेशमी
13 वीं पुण्यतिथि पर स्मरण
प्रशांत कुमार। शानदार इंसान। अच्छा पत्रकार। दोस्तों का मददगार। आंखों पर गोल। लेकिन बड़े फ्रेम का चश्मा। घुंघराले बाल। हमेशा मुस्कुराते रहना। उसकी पहचान। खबरों के कारण आम-खास में लोकप्रिय। लेखन कभी रेश्मी तो कभी आतिशी। चापलूसों की जमात से बहुत दूर। पत्रकारिता के ग्लैमर में कभी न तो खुद को बांधा। न ही अखबार नवीसों के किसी गिरोह से नाता रखा।
पत्रकारिता के क्षेत्र में अलग पहचान बनाई। न किसी का पिछलग्गू बना। न ही किसी की छाप लगने दी। इसको लेकर सत्ता के गलियारों से मंत्रालय तक था, सिर्फ भ्रम। क्या नेता- क्या अफसर। सबके बीच खुसूरपुसर रहती। कुछ पूछते कि यार, यह किसका खास है। कौन सी विचारधारा का है? दरअसल उसका लेखन ही ऐसा था कि वह सबके करीब था। लेकिन यह सच नहीं। जीहां, हुजूर। यकीन मानिए। कुछ लोगों को तो गलतफहमी होगी। वे कोई किस्सा और कहानी गढ़ सकते हैं। किस्सा गो की तरह सुना भी सकते है। हकीकत यह है कि वे सिर्फ और सिर्फ पत्रकार था। आम आदमी की आवाज था। सामाजिक सरोकारों का पैरोकार था। मेहनतकश, मजलूम, मासूम और बेबस, बेसहारा की आवाज बुलंद करता। कर्मचारी वर्ग हो या राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता। सब उसे जानते। मौका मिलता तो ऐसी जमात से वे खूब बतियाता। तभी तो उसके पास रहता खबरों का खजाना। मेरे जैसे कई उससे रश्क करते। लेकिन उसकी काबलियत। सलाम और तारीफ करने लायक।
प्रशांत की पत्रकारिता का सफर दिलचस्प है। पहले बैंक में नौकरी की। छटपटाहट में छोड़ दी। कुछ करने को लेकर बैचेनी थी। दिल है कि मानता नहीं, की तर्ज पर पहले उसने एक साप्ताहिक अखबार निकालकर खुद को तौला। फिर भोपाल दैनिक जागरण ज्वॉइन किया। उसे लगा कि यहां मंजिल नहीं हैं। कुछ माह बाद वे वर्ष 1989 में भोपाल दैनिक भास्कर में रिपोर्टर बन गया। यहां उसे संपादक के रूप में परम आदरणीय महेश श्रीवास्तवजी मिले। उनकी पारखी नजरों ने प्रशांत को पहचान लिया। उसे सबसे पहले बरकत उल्ला विश्वविद्यालय की कवरेज का जिम्मा सौंपा गया। साथ ही एप्को, एमपी पीसीबी जैसा संस्थान भी बीट की शक्ल में दिए गए। देखते ही देखते कलम के बूते पर वे छा गया। बाद में उसे प्रशासनिक और राजनीतिक रिपोर्टिंग का जिम्मा सौंपा गया।
वे मगरुर नहीं था। सहयोगियों को हमेशा प्रोत्साहित करता। किसी की खामी या कमी को कोई मुद्दा नहीं बनाता। न ही कोई व्यंग्य करता। इस गुण के कारण दफ्तर के अंदर-बाहर वह सबका चहेता था। वे खबरों को लेकर बहुत संजीदा रहता। एकाग्रता के साथ लिखता। इस कारण उसकी कापी में शायद कभी करैक्शन या कटेंट के लेवल पर गलती निकली हो। याद नहीं पड़ता। सिद्धांत वादी भी था। उसने कभी खबर के स्त्रोत का नाम भी साझा नहीं किया। साइंस के स्टूडेंट रहे प्रशांत को आइंसटीन और न्यूटन के सिद्धांत की समझ थी। शायद यही वजह थी कि प्रयोगधर्मी पत्रकारिता के चलते 1990 के दशक में उसका कोई सानी नहीं था।
मैंने भास्कर में काम करते हुए सुना था कि पूर्व संपादक (स्वर्गीय) श्री श्याम सुंदर ब्यौहार जब सिटी रिपोर्टर थे, तब श्री केएफ रुस्तमजी जैसे आईजी उन्हें फोन करके पूछते थे कि सब खैरियत हो तो मुझे सोने की इजाजत है। कुछ इस तरह मैंने प्रशांत के साथ भी देखा। कई मंत्री, अफसर उससे रोजाना बात करते। इस दौरान वह बात-बात में खबर निकाल लेता। तब मैं,प्रशांत न्यूज रूम में साथ ही बैठते थे। रोजाना काफी वक्त भी साथ गुजारते। उसने कई विषयों पर लेखन किया। उसकी लिखी कई खबरें भाषा शैली के कारण यादगार है। दुष्यंत कुमार की कई गजलें और शेर उसे याद थे। वे कुछ खास मौके पर अपने अंतरंग मित्रों के बीच इन्हें खास अंदाज में गुनगुनाता। इसी तरह हिंदी फिल्में देखने का उसे खूब शौक था। वे हास्य फिल्में खास तौर पर देखता। फिर हंसी-मजाक में उस फिल्म के किसी पात्र के नाम से अपने दोस्तों को बुलाता। बाद में खूब हंसता।
सम्मान के नाम से तौबा। उसे खुद का सम्मान कराने में झिझक होती। कई संगठन आग्रह करते। लेकिन विनम्रता से इंकार करता। वे कहता कि पहले इस लायक तो बन जाऊं। हालांकि मित्रों के कहने पर विधानसभा का संसदीय रिपोर्टिंग एवं नगर निगम का राजनीतिक रिपोर्टिंग समेत माधवसप्रे संग्रहालय का पुरस्कार उसने जरुर ग्रहण किया। वे अपने अंतरंग मित्रों के बीच अन्नू था। उसके मित्र जैसे प्रलय श्रीवास्तव, विजय पेशवानी और मैं, अमूमन इसी नाम से बुलाते थे। आज वो नहीं है। फानी दुनिया को अलविदा कहे उसे 13 बरस हो गए। उसका जाना किसी वज्र की तरह कम नहीं। अब उसकी यादें शेष हैं। हर लम्हा, ऐसा लगता हैं कि वो अब आता ही है। लेकिन जाने वाले कहां आते। इतने अर्से में अब खुद को संभाल लिया। उसके परिजनों से लेकर दोस्तों ने नियति के हुक्म को मान लिया। ईश्वर उसकी आत्मा को शांति दें। यही परमपिता परमात्मा से प्रार्थना हैं। एक बार फिर शत्-शत्- नमन्। सादर आदरांजलि।
अलीम बजमी
न्यूज एडिटर, दैनिक भास्कर भोपाल। 097543-04786

Sunday 21 June 2015

ऐतिहासिक फैसला इंदौर प्रेस क्लब ने

ऐतिहासिक फैसला
इंदौर प्रेस क्लब ने
आज अपने अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल को पद से हटाने के साथ ही प्राथमिक सदस्यता ही बर्खास्त कर दी है।
ये निर्णय खारीवाल को धारा 138 के एक मामले में कोर्ट  द्वारा दी गई सजा के मददे नज़र होना बताया गया है। प्रेस क्लब विधान की धारा 8 (ग) के अनुसार कोर्ट से सजा सुनाये जाने के साथ ही ऐसे सदस्य की सदस्यता स्वतः ही समाप्त मानी जायेगी।
प्रेस क्लब के नोटिस बोर्ड पर महासचिव का पत्र, फैसले की कॉपी और विधान के नियम की कॉपी चस्पा की गयी है।

Thursday 18 June 2015

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उडीसा के मुख्यमंत्री आई.एफ.डब्लू.जे के अधिवेषन का उद्घाटन करेंगे।

उडीसा के मुख्यमंत्री आई.एफ.डब्लू.जे के अधिवेषन का उद्घाटन करेंगे।
लखनऊ, जून 17: पत्रकारों की सुरक्षा, नेट की तटस्थता, पर्यावरण संरक्षण में पत्रकारों की भूमिका,सोशल मीडिया और उस पर दबाव, वेतन मांग में सुधार आदि, मीडिया से जुड़े विषयों पर आई.एफ.डब्लू.जे. की भुवनेष्वर में शनिवार से होने वाले अधिवेशन में चर्चा होगी। उडीसा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक इस त्रिदिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर मुख्य अतिथि होंगे। वे प्राकृतिक आपदा की मीडिया में रिर्पोटिंग पर व्याख्यान देंगे। आई.एफ.डब्लू.जे अध्यक्ष श्री के. विक्रम राव ने यह सूचना आज यहा दी।
देषभर के 310 प्रतिनिधि इस सम्मेलन में भाग लेंगे। उत्तर प्रदेष के पत्रकार इसमें शाहजहांपुर के पत्रकार श्री जगिन्दर सिंह को जिंदा जलाने की रपट भी पेश करेंगे। आई.एफ.डब्लू.जे के अगले अध्यक्ष के चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।
राम. पी. यादव
Secy. IFWJ

Tuesday 16 June 2015

पत्रकार जगेन्द्र सिंह की जलाकर हत्या के विरोध में जंतर मंतर दिल्ली में प्रदर्शन

पत्रकार जगेन्द्र सिंह की जलाकर हत्या के विरोध में जंतर मंतर दिल्ली में प्रदर्शन
नई दिल्ली : शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश में पत्रकार शहीद जगेंद्र सिंह की जलाकर हत्या किए जाने के विरोध में दिल्ली यूनियन वर्किंग जर्नलिस्ट (DUWJ) (समबद इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वोर्किंग जर्नलिस्ट्स I.F.W.J.) ने जंतर मंतर नई दिल्ली पर एक विशाल धरना-प्रदर्शन किया । प्रदर्शन में सैकड़ो की संख्या में पत्रकार, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट, आर टी आई एक्टिविस्ट, लेखक, रेलवे यूनियन के कर्मचारीयों ने भाग लिया | सभी ने एक स्वर में इस घटना की निंदा की और उत्तर प्रदेश सरकार से पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करने को कहा | अई.एफ.डब्लू.जे. के अध्यक्ष K Vikram Rao ने कहा की उत्तर प्रदेश सरकार को आरोपी मंत्री राम मूर्ति वर्मा को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिये, एवं दोषी पुलिस वालो को जेल भेजना चाहिये, तथा उत्तर प्रदेश में कार्य कर रहे पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करनी चाहिये | उन्होंने माँग करी की भारत के सभी श्रमजीवी संगठनो को इस मसले पर एकजुट होना चाहिये, और उत्तर प्रदेश के पत्रकारों को खासकर एकजुट हो कर सरकार से अपने हक मांगने चाहिये | उन्होंने अफ़सोस जाहिर किया की लखनऊ में इस घटना को लेकर पत्रकारों ने कोई विरोध नहीं जताया | आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा की यह एक अत्यंत दुखद घटना है और आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के सभी दस लाख सदस्य शहीद जागेन्द्र सिंह के परिवार के साथ है |अई.एफ.डब्लू.जे. के प्रधान महासचिव एवं अधिवक्ता परमानन्द पाण्डेय ने कहा की अई.एफ.डब्लू.जे. ने हमेशा पत्रकारों के हितो की रक्षा करी है और आगे भी करता रहेगा | उन्होंने कहा कि अगर इस घटना में कानूनी लड़ाई लड़ने की ज़रूरत पड़ी तो वे जागेन्द्र के परिवार कि सहायता करने को तैयार है | दिल्ली यूनियन वर्किंग जर्नलिस्ट के संयोजक चन्दन राय, अई.एफ.डब्लू.जे. के सेक्रेटरी राम.पी.यादव, Bhadas4media के संपादक यशवंत सिंह, दैनिक जागरण की यूनियन के सेक्रेटरी दिलीप दिवेदी, UNI एम्प्लाइज यूनियन के राजेश वर्मा, प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के सेक्रेटरी नदीम अहमद काज़मी ने भी प्रदर्शन को संबोधित किया और उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करी की वह पत्रकारों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करे | प्रदर्शन का संचालन साथी पत्रकार श्रीकांत ने किया |
प्रदर्शन के दौरान प्रधानमंत्री Narendra Modi, गृहमंत्री Rajnath Singh व उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री Akhilesh Yadav के नाम ज्ञापन भी सौपा गया | ज्ञापन में : 1. उत्तरप्रदेश के आरोपी मंत्री राममूर्ति वर्मा की जल्द गिरफ्तारी की मांग की गई। 2. मृतक के परिजनों को उचित मुआवजा 3.परिवार में से किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग करी गई।
विश्वदेव
प्रभारी सोशल मीडिया सेल अई.एफ.डब्लू.जे.

त्रकार भवन का होगा विवाद रहित जूर्णोद्धार :बनेगा ट्रस्ट """"""""""""""""""""""""""""""""""""""

पत्रकार भवन का होगा विवाद रहित जूर्णोद्धार :बनेगा ट्रस्ट
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भोपाल। 10/दिसम्बर। मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेशाध्यक्ष शलभ भदौरिया के अनुसार भोपाल श्रमजीवी पत्रकार संघ ने सरकार से पहल की है कि राजधानी स्थित पत्रकार भवन जो हमारे बुजुर्गों की एसी धरोहर है जो एशिया में कहीं नहीं है। लगातार विवादों रहने के कारण वो जरजर हो रहा है। को सरकार अपने संरक्षण मे लेले और राजधानी के सभी श्रमजीवी पत्रकारों के उपयोग के लिए श्रमजीवी पत्रकारों का एक ट्रस्ट बनाए।
भोपाल श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष साथी अरशद अली खान ने राज्य सरकार से कहा है चूंकि भवन की रजिस्ट्री भोपाल श्रमजीवी पत्रकार संघ के नाम है अत:ट्रस्ट में संघ के जिलाअध्यक्ष एवं महासचिव को पदेन ट्रस्टी रखा जाय। तथा ट्रस्ट का अध्यक्ष या तो मंत्री जनसंपर्क रहे या यह पद निर्वाचन से भरा जाय।स्मरणीय है कि वर्तमान मे विवाद होने के कारण जिला अदालत, उच्च न्यायालय एवं राज्य शासन के उद्योग विभाग के पास न्याय हेतु विचारणीय है.!
।शलभ भदौरिया।
प्रांताध्यक्ष,
मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ।

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ब्रेकिंग "पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर डीजीपी मुख्यालय से सभी पुलिस कप्तानों को दिशा-निर्देश जारी. पत्रकारों के साथ किसी भी घटना को गम्भीरता से लें केस दर्ज हो. गृह विभाग ने भी जारी किए दिशा निर्देश."

ब्रेकिंग
"पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर डीजीपी मुख्यालय से सभी पुलिस कप्तानों को दिशा-निर्देश जारी. पत्रकारों के साथ किसी भी घटना को गम्भीरता से लें केस दर्ज हो. गृह विभाग ने भी जारी किए दिशा निर्देश."

Sunday 14 June 2015

समाजवादी पार्टी निर्लज्ज होकर न केवल मंत्री के समर्थन में खड़ी है,

उत्तर प्रदेश पत्रकारों की नई कत्लगाह बनकर उभरा है। ताजा मामला शाहजहांपुर का है, जहां एक स्वतंत्र पत्रकार को जिंदा जलाकर मार डालने के षडयंत्रके आरोप एक मंत्री के ऊपर लग रहे हैं और पूरी समाजवादी पार्टी निर्लज्ज होकर न केवल मंत्री के समर्थन में खड़ी है, बल्कि मृतक के परिजनों पर समझौता करने के लिए दबाव भी डाला जा रहा है।
मृतक जगेंद्र सिंह स्वतंत्र पत्रकार थे और फेसबुक पर शाहजहांपुर समाचार के नाम के एक प्रोफाइल चलाते थे। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मजबूत मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा, के खिलाफ कई खबरें प्रकाशित की थीं। 31 मई को ही उन्होंने एक फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी, उस पोस्ट में कहा गया था – “राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा और उनके गुर्गों पर एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री ने गैंगरेप का आरोप लगाया तो सारे सपा नेता बेशर्मी के साथ बलात्कारियों के पक्ष में जुट गए हैं। सपा नेत्रियां भी महिला होकर पीड़ित महिला के बजाय बलात्कारियों की वकालत करने में जुट गई हैं। शायद यह सपा नेता और नेत्रियां कल को यह भी कह दें कि बुढ़ापे में गलती हो ही जाती है। पीड़ित महिला के पक्ष में अभी तक कोई आगे नहीं आया है। सभी को मंत्री और सत्ता का डर सता रहा है। पीड़ित महिला पर नेताओं, गुंडों व पुलिस का दबाव पड़ रहा है। …वाकई यूपी गुंडों की हो गई है?”
जगेंद्र ने एक और पोस्ट में लिखा था – “राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा और उनके साथियों पर रेप का आरोप लगाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्री को हड़काने के लिए सरकारी मशीनरी सक्रिय हो गई है। एलआईयू के एक अधिकारी ने पीड़िता को फोन कर हड़काने की कोशिश की। इसके अलावा महिला के घर के आसपास संदिग्ध लोग चक्कर लगा रहे हैं। पीड़िता ने हत्या की आशंका जताई है

indor press


omorrow 15 June. The meeting will be addressed by IFWJ President Comrade K Vikram RaoAIRF

IFWJ Secretary Headquarter Ram.P.Yadav has informed that a protest rally against the Murder of Shahjahanpur journalist shaheed Jagendra Singh is being held at Jantar Mantar New Delhi at 11am tomorrow 15 June. The meeting will be addressed by IFWJ President Comrade K Vikram RaoAIRF General Secy. Comrade Shivgopal Mishra, IFWJ Secy. General Comrade Parmanand Pandey, President D.U.W.J. Comrade Chandan Rai. 
Please come and join the fight for Justice to Jagendra Singh
Comradely
Delhi Union of Working Journalist
+91 98-10-623949

Thursday 11 June 2015

नई दिल्ली: सोशल मीडिया के निडर पत्रकार जगेंद्र सिंह की हत्या मामले में देश के सबसे बड़े मीडिया संगठन IFWJ ने अखिलेश सरकार के दोषी मंत्री राममूर्ति यादव की बर्खास्तगी और गिफ्तारी की मांग की है

नई दिल्ली: सोशल मीडिया के निडर पत्रकार जगेंद्र सिंह की हत्या मामले में देश के सबसे बड़े मीडिया संगठन IFWJ ने अखिलेश सरकार के दोषी मंत्री राममूर्ति यादव की बर्खास्तगी और गिफ्तारी की मांग की है। 
IFWJ के महासचिव श्री परमानन्द पाण्डेय ने शाह्जनपुर के निडर पत्रकार जगेंद्र सिंह की निर्मम हत्या की तीव्र भर्तसना करते हुव प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मांग की है कि इस मामले में दोषी मंत्री राम मूर्ति वर्मा और संलिप्त पुलिस अधिकारीयों के खिलाफ सख्त करवाई करते हुए उन्हें पद से बर्खास्त कर उनकी फौरी गिफ्तारी करे। श्री पाण्डेय ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मृतक पत्रकार के परिवार को कम से कम 25 लाख रूपये की आर्थिक सहायता देने की भी मांग कि। 
IFWJ महासचिव ने मीडिया संगठनो से अनुरोध किया कि वह अपने मतभेद भुलाकर पत्रकारों की एकता, सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एकजुटता दिखाएं 
उल्लेखनीय है पत्रकार जागेंद्र सिंह को जिंदा फूंक दिया गया था। उन्हें स्थानीय स्तर पर उपचार के बाद लखनऊ रेफर किया गया था। लखनऊ में इलाज के दौरान जगेंद्र की मौत हो गई थी। इस मामले में पीड़ित पक्ष ने अखिलेश सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा पर पत्रकार की हत्या का आरोप लगाया था। 
अखिलेश सरकार के मंत्री राममूर्ति वर्मा पर कुछ दिन पहले वक्फ की जमीन कब्जा करने का आरोप लगा था। शाहजहांपुर में मैनेजिंग कमेटी वक्फ के सचिव ने पिछड़ा वर्ग राज्यमंत्री पर सत्ता का दुरुपयोग कर जमीन पर कब्जा कराने का आरोप लगाया था। इस बाबत उन्होंने सीएम अखिलेश यादव को नोटिस भेजा था। आरोप, पिछड़ा वर्ग राज्य कल्याण मंत्री राममूर्ति वर्मा ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ता गुफरान और सलीम अख्तर के माध्यम से वक्फ की कोठी और आराजी को बिकवाना चाह रहे थे। 

uP warking jornlist union


Monday 8 June 2015

जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन की टीम ने ‪#‎IFWJ‬ की 124वीं कार्यसमिति की बैठक भारत की आत्मा कहे जाने वाले राज्य Odisha की राजधानी Bhubneshwar 20 से 22 जून को आयोजित किया है।

उत्कल जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन की टीम ने ‪#‎IFWJ‬ की 124वीं कार्यसमिति की बैठक भारत की आत्मा कहे जाने वाले राज्य Odisha की राजधानी Bhubneshwar 20 से 22 जून को आयोजित किया है। जिसमे पुरे देश से तीन सौ प्रतिनिधि भाग लेगे। Kalinga Institute of Industrial Technology - KIIT मे आयोजित बैठक का शुभारंभ 20 जुन को ओडिशा के मुख्यमंत्री Naveen patnaik के द्वारा किया जाएगा। मध्याह्न के बाद एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। जिसमे केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) Dharmendra Pradhan शुभारंभ करेगे। KIIT University मे दूसरे दिन भी कई कार्यक्रम होगे। 124वीं कार्यसमिति की बैठक का समापन जगन्नाथ पुरी यात्रा के साथ 22जुन को होगा

Sunday 7 June 2015

उच्चतम न्यायालय में 28 अप्रैल 2015 की सुनवाई के दौरान बहुत सी बातें उठीं. यह भी बताया गया कि मजीठिया का लाभ मांगने वाले कर्मचारियों को प्रबंधन द्वारा धमकाया और डराया जा रहा है. उ

उच्चतम न्यायालय में 28 अप्रैल 2015 की सुनवाई के दौरान बहुत सी बातें उठीं. यह भी बताया गया कि मजीठिया का लाभ मांगने वाले कर्मचारियों को प्रबंधन द्वारा धमकाया और डराया जा रहा है. उनसे जबरदस्ती लिखवाकर लिया गया है कि वो मजीठिआ का लाभ नहीं चाहते. अदालत को यह भी बताया गया कि प्रबंधक जबरदस्ती कर्मचारियों से लिखवा कर ले रहे हैं कि उन्होंने समझौता कर लिया है और वो मजीठिया का लाभ नहीं चाहते. इसके जवाब में मालिकों की ओर से आये बड़े और नामचीन वकीलों ने जब कुछ कहना चाहा तो अदालत ने नहीं सुना. अदालत ने इन बातों को गंभीरता से लेते हुए आदेश पास किया कि सभी राज्य सरकारें मजीठिया आदेश के अनुपालन में कार्यवाही के लिए श्रम निरीक्षकों की नियुक्ति करें और तीन महीने के अंदर अदालत के सामने रिपोर्ट प्रस्तुत करें.

ऐसे में अब गेंद हम मीडियाकर्मियों के पाले में हैं. सभी कर्मचारी गण या कोई एक कर्मचारी या कोई यूनियन लेबर इंस्पेक्टर के सामने एक शिकायत लगाए जिसमे संस्थान में कार्यरत सभी कर्मचारियों की सूची लगा कर कहा जाए कि इन सभी को मजीठिया का लाभ नहीं दिया गया है. यह जरुरी नहीं है कि सभी कर्मचारी उस शिकायत पर दस्तखत करें. आप बिना किसी कर्मचारी की सहमति लिए ही, पूरी इंप्लाई सूची पेश कर लेबर इंस्पेक्टर से शिकायत कर दें कि किसी को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ नहीं दिया जा रहा है. इस तरह की कंप्लेन तुरंत करें. शिकायत का प्रारूप हम सभी के लिए दे रहे हैं जिसे डाउनलोड किया जा सकता है.

कर्मचारी या यूनियन की तरफ से इस बात की भी शिकायत कर सकते है कि प्रबंधकों ने उनसे जबदस्ती दस्तखत करवाया है और इसे अमान्य समझा जाये. साथ ही प्रबंधकों के खिलाफ कार्यवाही की जाये. इस बावत पुलिस में भी शिकायत की जा सकती है. अगर लेबर इंस्पेक्टर किसी तरह की गड़बड़ी कर रहा है तो उसके खिलाफ भी उसके उच्चाधिकारियों से शिकायत करें साथ ही आरटीआई लगाएं. जो लोग सेवानिवृत हो चुके हैं, त्यागपत्र दे चुके हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उनके बच्चे भी इस लाभ के हक़दार हैं. उनसे भी संपर्क कर उन्हें साथ लिया जाना चाहिए ताकि सभी लोग संगठित रह सकें और प्रबंधको को एक किनारे कर सकें. शिकायत का प्रारूप पाने के लिए यहां क्लिक करें...

http://legalhelplineindia.com/letter.pdf

और अंत में... अपने-अपने प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों / मंत्रियों तक यह सन्देश पहुंचा दें कि वह सभी श्रम अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दें कि Working Journalist Act, Section 17 (2)  के अंतर्गत लगाये गए आवेदन पर तुरंत आदेश करें और Recovery Certificate जारी करें. इसमें ढिलाई करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें. अलग से श्रम निरीक्षकों के नियुक्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत है जो कि यह तय करेगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना हुई है या नहीं. श्रम विभाग के पास पहले से ही इस बावत क़ानूनी अधिकार है. सभी लोग श्रम विभाग में शिकायत जरूर लगाएं और इस बात को समझ लें कि सभी कर्मचारियों के दस्तखत की जरूरत नहीं है. एक ही आवेदन में सभी का नाम दिया जा सकता है. चूंकि कुछ अख़बारों के पंजीकृत ऑफिस दिल्ली में हैं इसलिए उनके सभी कर्मचारियों का दावा दिल्ली में लगाया जा सकता है, चाहे वो कहीं भी काम करते हों. इस पर बहुत ही समझदारी से आगे बढ़ने की जरूरत है. कृपया किसी क़ानूनी जानकर से मदद जरूर लें. खुद अकेले अपना जौहर न दिखाएं. यह बहुत ही उलझा हुआ क़ानूनी मामला है जिस पर आम आदमी अपना हाथ नहीं आजमा सकता है.

शलभ भदौरिया की 420 की कहानी, कागज की जुबानी



शलभ भदौरिया की 420 की कहानी, कागज की जुबानी
हम नहीं दस्तावेज बोलते है
कोर्ट में लगे दस्तावेजों की सत्यापित प्रति आपके अवलोकनार्थ
इन दस्तावेजों से आप अपने आप समझ जायेंगे कि कौन झूठा है और कौन सच्चा

अधिमान्यता आज नहीं तो छ: माह में निरस्त होगी, जब शिकायत 2003 की है और 12 साल में प्रकरण न्यायालय में पहुंचा, सत्य की जीत होती है, लेकिन पराजित नहीं होता।

दिनांक 24-4-2014 को मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी भोपाल श्री पंकजसिंह माहेश्वरी की अदालत में प्रकरण प्रस्तुत किया गया। प्रकरण प्रस्तुत करते समय अभियुक्त शलभ भदौरिया एवं अधिवक्ता साजिद अली उपस्थित थे। प्रकरण का अवलोकन किया गया। अभियुक्त पर धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी भा.द.वि.सं. का आरोप है जिसके विचारण का एक मात्र क्षेत्राधिकार माननीय सत्र न्यायालय को होने के कारण सुपुर्द किया गया। 
प्रकरण आगामी सुनवाई के लिये सत्र न्यायाधीश श्री संजीव कालगांवकर के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिसका एस.टी.नं.-484/14 है। 

जाँच में पाया गया, लगभग 10 लाख के विज्ञापन लिये
श्रमजीवी पत्रकार समाचार पत्र को वर्ष 1999 से मार्च 2003 तक लगभग 9.90 लाख के शासकीय विज्ञापन दिये गये। थाना प्रभारी थाना रा.आ.अ.अ. ब्यूरो भोपाल लिखते है कि जाली प्रमाण पत्र के माध्यम से अवैध लाभ अर्जित करने के लिये अपर संचालक रघुराज सिंह एवं अन्य के साथ षडय़ंत्र किया है। 
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राधावल्लभ शारदा की शिकायत पर 
शलभ पर 120 बी, 420, 467, 468, 47 का प्रकरण न्यायालय में
राधावल्लभ शारदा ने की थी शिकायत 2003 में
ज्ञात हो पत्रकार शलभ भदौरिया, विष्णु वर्मा पर धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 भादवि में मामला ई.ओ.डब्ल्यू. में पंजीबद्ध प्रकरण राज्य आर्थिक अनवेषण ब्यूरो भोपाल में प्रकरण क्रमांक 0506 पंजीयन दिनांक 23.2.06 को दर्ज हुआ था। प्रकरण का घटना स्थल पत्रकार भवन है।
प्रकरण में फरियादी गुलाबसिंह राजपूत थाना प्रभारी रा.आ.अप. अन्वेषण ब्यूरो भोपाल रहे जिसमें संदेही आरोपी शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा विद्रोही है। जिसकी विवेचना 30.10.2007 को पूर्व कर पुलिस अधीक्षक सुधीर लाड़ ब्यूरो इकाई भोपाल ने की थी। ब्यूरो में पंजीबद्ध प्रकरण में श्रमजीवी पत्रकार मासिक पत्र का आर.एन.आई. प्रमाण पत्र क्र. 327672 दिनांक 12.8.72 दिया वह स्पूतनिक तेलगू पाक्षिक राजमून्दरी आंध्र प्रदेश का पाया गया था। उक्त प्रमाण फर्जी पत्र के आधार पर शलभ भदौरिया( एवं विष्णु वर्मा विद्रोही ने डाक पंजीयन कराकर जनवरी 2003 से अगस्त 2003 तक 34.755 रु. का अवैध रूप से आर्थिक लाभ लिया।
बुक पोस्ट की दरों में वृद्धि के कारण राशि 1,40625 हुई। अत: प्रथम दृष्टा अंतर्गत धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 भादवि का दण्डनीय पाये जाने से प्रकरण पंजीबध्द किया गया। पत्र के संबंद्ध में विष्णु वर्मा ने जानकारी दी कि श्रमजीवी पत्रकार की 4500 प्रतियां प्रतिमाह सदस्यों को भेजी जाती है। झूठे प्रमाण पत्र के आधार पर आरोपी शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा द्वारा सांठगांठ कर कूट रचना की। जप्त दस्तावेजों के आधार एवं शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा के द्वारा दिये दस्तावेज एवं मौखिक साक्ष्य के आधार पर आरोप पूर्ण रूप से सत्य पाये गये।
जनसम्पर्क विभाग की सक्रियता एवं नियमों का पालन करने के कारण विभाग ने समस्त समाचार पत्र पत्रिकाओं मासिक एवं साप्ताहिक को विज्ञापन नीति के परिपालन के लिये आर.एन.आई. प्रमाण पत्र मांगे तब श्रमजीवी पत्रकार मासिक पत्र के प्रमाण पत्र की प्रति विष्णु वर्मा द्वारा दी गई 15.5.2002 को जांच में पाया गया कि वर्ष 1999 से 2003 तक श्रमजीवी पत्रकार समाचार पत्र के प्रधान संपादक शलभ भदौरिया थे तथा इनके द्वारा कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी भोपाल, प्रवर अधीक्षक डाक घर भोपाल में भी शलभ भदौरिया द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेज प्रस्तुत किये। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर आर्थिक लाभ प्राप्त कर भारत शासन के साथ धोखाधड़ी कर शासन को 1,74970 रुपये की आर्थिक क्षति की।
इस दौरान डाक शुल्क में छूट पाने के लिए उन्होंने एक दूसरी पत्रिका की पंजीकरण संख्या का इस्तेमाल किया। इस संबंध में शिकायत होने पर आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने प्राथमिक जांच के बाद प्रकरण दर्ज किया था। जांच में स्पष्ट हुआ कि भदौरिया और साथियों ने डाक शुल्क में छूट लेकर शासन को करीब दो लाख का चूना लगाया है। शलभ ने चालान पेश होने के बाद पहले अग्रिम जमानत कराई और अब नियमित जमानत पर है। मामला 120बी, 420, 467, 468, 471 भादवि धाराओं में दर्ज किया गया है।
मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ (एस) के नाम लिये लाखों के विज्ञापन और चैक आरोप यह भी है कि जनसम्पर्क विभाग से स्मारिका के नाम पर भी भदौरिया ने एक वर्ष में कई बार विज्ञापन लिये और उनका भुगतान भी चैक से प्राप्त किया। जिसकी राशि लगभग रुपये चार लाख है।प्राप्त जानकारी में यह तथ्य निकल कर आया कि सारे चैक एमपी श्रमजीवी पत्रकार संघ एस के नाम पर तैयार किए गए जबकि इस नाम की कोई संस्था मध्यप्रदेश में है ही नहीं।

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We are overwhelmed with the gesture of Shri Jayasheela Rao, the only surviving founder member o

We are overwhelmed with the gesture of Shri Jayasheela Rao, the only surviving founder member of our organisation, who was present on 28th October 1950 at Jantar Mantar of New Delhi, the day the 'Indian Federation of Working Journalists' (IFWJ), was founded. Shri Rao has contributed Rs. 500/- towards the 'Nepal Relief Fund' started by the IFWJ. The octogenarian Shri Jayasheela Rao lives in Bangalore. He is not only the veteran of the journalists' trade union movement in the country but is an accomplished writer and a journalist par excellence. A name to reckon with in Kannada Journalism and he has given a new dimension to it. The journalists and all political leaders of yester years of Karnataka hold Shri Jayasheela Rao in a very high steam. He has served for some time as the Media Advisor to the former Prime Minister Shri H.D. Deve Gowda. We salute to this great humanist-journalist for his contribution, which he has made for the hapless people of Nepal, who are under going through the tragedy and trauma of the disastrous earthquakes.
We express our deep gratitude to all contributors and donors for their magnanimity and large heartedness for standing behind the suffering people of Nepal in the hour of this massive crisis.
We are publishing here below the names and the amounts of all such persons, who have come forward to contribute their mite on our call.
We again appeal to all our friends, colleagues and all others to contribute liberally for this humanitarian cause.
Thanking you,
Ram P. Yadav
Secy. IFWJ

pecial Labour Inspectors start working in Delhi
We congratulate Government of Delhi for conducting surprise checks in the Delhi offices of Dainik Jagran and Dainik Bhaskar to find out the status of newspaper employees and about the implementation of Majithia Wage Awards. The raids were conducted by the special team of labour Inspectors, monitored by a senior PCS officer of U.P. cadre Kapil Kumar, presently on deputation to the Government of Delhi.
We hope that the governments of other states will emulate the Government of Delhi to ensure the implementation of the Majithia Wage Board recommendations as per the directions of the Hon'ble Supreme Court of India.Chief Minister of Delhi Arvind Kejriwal has virtually shown the path for them. He has assured the employees that no injustice would be done to them. Delhi government has sent a questionnaire to all Delhi newspapers/ magazines to prepare the data to be submitted to the Supreme Court. This questionnaire is, more or less, similar to the ‪#‎IFWJ‬ questionnaire that has been to you all.
Almost all newspapers in Delhi have taken recourse to the dirty tricks circumvent the Working Journalists Act. Most of their employees are on the contract basis where, they are deprived of the statutory benefits like gratuity and other allowances. Payments are made to them, not on the basis of the Wage Board recommendations, but according to an ingenious formula, which is known as CTC.
All our journalists and non-journalists comrades working for different newspapers are requested to prevail upon their governments of their states not to lose any further time in appointing the Labour Inspectors and ask them to start their work in full swing so that report could be submitted in three months time to the Supreme Court.
Parmanand Pandey
Secy.Gen. IFWJ

shalavbadoreya case


Friday 5 June 2015

bhopal warking journlist unian


राधावल्लभ शारदा की शिकायत पर शलभ भदौरिया की अधिमान्यता निरस्त कानूनी कार्यवाही एवं वसूली होगी ?

राधावल्लभ शारदा की शिकायत पर शलभ भदौरिया की अधिमान्यता निरस्त
कानूनी कार्यवाही एवं वसूली होगी ?
शलभ पर 120 बी, 420, 467, 468, 47 का प्रकरण न्यायालय में
राधावल्लभ शारदा ने की थी शिकायत 2003 में

भोपाल। मध्य प्रदेश जनसम्पर्क संचालनालय भोपाल में अधिमान्यता समिति की बैठक हुई। बैठक में मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रांताध्यक्ष शलभ भदौरिया की अधिमान्यता निलम्बित कर दी। वहीं राधावल्लभ शारदा की निलम्बित अधिमान्यता बहाल कर दी गई है। 

ज्ञात हो पत्रकार शलभ भदौरिया, विष्णु वर्मा पर धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 भादवि में मामला ई.ओ.डब्ल्यू. में पंजीबद्ध प्रकरण राज्य आर्थिक अनवेषण ब्यूरो भोपाल में प्रकरण क्रमांक 0506 पंजीयन दिनांक 23.2.06 को दर्ज हुआ था। प्रकरण का घटना स्थल पत्रकार भवन है।

प्रकरण में फरियादी गुलाबसिंह राजपूत थाना प्रभारी रा.आ.अप. अन्वेषण ब्यूरो भोपाल रहे जिसमें संदेही आरोपी शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा विद्रोही है। जिसकी विवेचना 30.10.2007 को पूर्व कर पुलिस अधीक्षक सुधीर लाड़ ब्यूरो इकाई भोपाल ने की थी। ब्यूरो में पंजीबद्ध प्रकरण में श्रमजीवी पत्रकार मासिक पत्र का आर.एन.आई. प्रमाण पत्र क्र. 327672 दिनांक 12.8.72 दिया वह स्पूतनिक तेलगू पाक्षिक राजमून्दरी आंध्र प्रदेश का पाया गया था। उक्त प्रमाण फर्जी पत्र के आधार पर शलभ भदौरिया( एवं विष्णु वर्मा विद्रोही ने डाक पंजीयन कराकर जनवरी 2003 से अगस्त 2003 तक 34.755 रु. का अवैध रूप से आर्थिक लाभ लिया।

बुक पोस्ट की दरों में वृद्धि के कारण राशि 1,40625 हुई। अत: प्रथम दृष्टा अंतर्गत धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 भादवि का दण्डनीय पाये जाने से प्रकरण पंजीबध्द किया गया। पत्र के संबंद्ध में विष्णु वर्मा ने जानकारी दी कि श्रमजीवी पत्रकार की 4500 प्रतियां प्रतिमाह सदस्यों को भेजी जाती है। झूठे प्रमाण पत्र के आधार पर आरोपी शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा द्वारा सांठगांठ कर कूट रचना की। जप्त दस्तावेजों के आधार एवं शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा के द्वारा दिये दस्तावेज एवं मौखिक साक्ष्य के आधार पर आरोप पूर्ण रूप से सत्य पाये गये।

जनसम्पर्क विभाग की सक्रियता एवं नियमों का पालन करने के कारण विभाग ने समस्त समाचार पत्र पत्रिकाओं मासिक एवं साप्ताहिक को विज्ञापन नीति के परिपालन के लिये आर.एन.आई. प्रमाण पत्र मांगे तब श्रमजीवी पत्रकार मासिक पत्र के प्रमाण पत्र की प्रति विष्णु वर्मा द्वारा दी गई 15.5.2002 को जांच में पाया गया कि वर्ष 1999 से 2003 तक श्रमजीवी पत्रकार समाचार पत्र के प्रधान संपादक शलभ भदौरिया थे तथा इनके द्वारा कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी भोपाल, प्रवर अधीक्षक डाक घर भोपाल में भी शलभ भदौरिया द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेज प्रस्तुत किये। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर आर्थिक लाभ प्राप्त कर भारत शासन के साथ धोखाधड़ी कर शासन को 1,74970 रुपये की आर्थिक क्षति की।

इस दौरान डाक शुल्क में छूट पाने के लिए उन्होंने एक दूसरी पत्रिका की पंजीकरण संख्या का इस्तेमाल किया। इस संबंध में शिकायत होने पर आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने प्राथमिक जांच के बाद प्रकरण दर्ज किया था। जांच में स्पष्ट हुआ कि भदौरिया और साथियों ने डाक शुल्क में छूट लेकर शासन को करीब दो लाख का चूना लगाया है। शलभ ने चालान पेश होने के बाद पहले अग्रिम जमानत कराई और अब नियमित जमानत पर है। मामला 120बी, 420, 467, 468, 471 भादवि धाराओं में दर्ज किया गया है।

मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ (एस) के नाम लिये लाखों के विज्ञापन और चैक आरोप यह भी है कि जनसम्पर्क विभाग से स्मारिका के नाम पर भी भदौरिया ने एक वर्ष में कई बार विज्ञापन लिये और उनका भुगतान भी चैक से प्राप्त किया। जिसकी राशि लगभग रुपये चार लाख है।प्राप्त जानकारी में यह तथ्य निकल कर आया कि सारे चैक एमपी श्रमजीवी पत्रकार संघ एस के नाम पर तैयार किए गए जबकि इस नाम की कोई संस्था मध्यप्रदेश में है ही नहीं।
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