Monday 28 October 2013

आई एफ डब्ल्यू जे देश के पत्रकारों का एकमात्र संगठन: सतीश सक्सेना भोपाल 28 अक्टूबर 2013। इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्ल्यूजे) के 63 वें स्थापना दिवस पर एम.पी.यूनिट के संयोजक साथी सतीश सक्सेना ने कहा कि आई.एफ.डब्ल्यू.जे. देश के पत्रकारों का एक मात्र संगठन है, जो निरंतर श्रमजीवी पत्रकारों के कल्याण की दिशा में सक्रिय है। श्री सक्सेना भोपाल में आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम का संचालन सलमान खान ने किया। कार्यक्रम में भोपाल की छानबीन समिति के संयोजक साथी राजेन्द्र कश्यप ने आव्हान किया है कि गोवा अधिवेशन के संकल्पों को पूरा करने का समय आ गया है। हमारे सामने एक साथ केन्द्र तथा राज्य सरकार के साथ चुनौती के साथ खड़ा होना पड़ेगा। कार्यक्रम में महेश सिंह, राजेन्द्र मेहता, जवाहर सिंह राजू खत्री, दीपक कुमार सहित अनेक पत्रकार उपस्थित थे।

 
भोपाल 28 अक्टूबर 2013। इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्ल्यूजे) के 63 वें स्थापना दिवस पर एम.पी.यूनिट के संयोजक साथी सतीश सक्सेना ने कहा कि आई.एफ.डब्ल्यू.जे. देश के पत्रकारों का एक मात्र संगठन है, जो निरंतर श्रमजीवी पत्रकारों के कल्याण की दिशा में सक्रिय है। 
श्री सक्सेना भोपाल में आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम का संचालन सलमान खान ने किया। कार्यक्रम  में भोपाल की छानबीन समिति के संयोजक साथी राजेन्द्र कश्यप ने आव्हान किया है कि गोवा अधिवेशन के संकल्पों को पूरा करने का समय आ गया है। हमारे सामने एक साथ केन्द्र तथा राज्य सरकार के साथ चुनौती के साथ खड़ा होना पड़ेगा। 
कार्यक्रम में महेश सिंह, राजेन्द्र मेहता, जवाहर सिंह राजू खत्री, दीपक कुमार सहित अनेक पत्रकार उपस्थित थे। 

आई एफ डब्ल्यू जे देश के पत्रकारों का एकमाात्र संगठन:सतीश सक्सेना

 आई एफ डब्ल्यू जे देश के पत्रकारों का एकमाात्र संगठन:सतीश सक्सेना

भोपाल। 28 अक्टबर 2013 इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्ल्यूजे) के 63 वें स्थापना दिवस पर एम.पी.यूनिट के संयोजक साथी

सतीश सक्सेना ने कहा कि आई.एफ.डब्ल्यू.जे. देश के पत्रकारों का एक मात्र संगठन है,जो निरंतर श्रमजीवी पत्रकारों के कल्याण की दिशा में सक्रिय

है।
श्री सक्सेना भोपाल में आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम का संचालन सलमान खान ने किया। कार्यक्रम  में भोपाल की

छानबीन समिति के संयोजक साथी राजेन्द्र कश्यप ने आव्हान किया है कि गोवा अधिवेशन के संकल्पों को पूरा करने का समय आ गया है। हमारेे

सामने एक साथ केन्द्र तथा राज्य सरकार के साथ चुनौती के साथ खड़ा होना पड़ेगा ।
कार्यक्रम में महेश सिंह,राजेन्द्र मेहता,जवाहर सिंह राजू खत्री,दीपक कुमार सहित अनेक पत्रकार उपस्थित थे।


राजेेन्द्र कश्यप  संयोजक वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल (सदस्यता छानबीन समिति)  मोबाईल क्रमांक 9753041701

Sunday 27 October 2013

I ndian f ederation of w orking j ournalists (ifwj )

. I ndian f ederation of w orking j ournalists (ifwj )
 . The largest journalist organization in the non-aligned world is the Indian Federation of Working Journalists founded in New Delhi on 28 October 1950. Independent India's first trade union of media persons, the IFWJ has now over 30,000 primary and associate members, working for electronic media, news agencies and 1,260 journals of 17 languages in 35 states and Union Territories
 . Continued: The IFWJ's fraternal organizations in the media world are the National Federation of Newspaper Employees (N.F.N.E., Kolkata) and the National Confederation of Newspaper and News Agencies' Employees Organization (Mumbai).
 . As the only professional body of working journalists, having its branches in every city, town and publication centre of India, the IFWJ's regional and territorial units have set up press clubs, press academies, reference libraries, training institutes and study circles. publish professional journals and engage in activities like media researches, trade union struggles, human right campaigns, environmental protection and anti-war movements The IFWJ's state units all over India own immovable property in different cities worth Rs. 15 crores ($ 4.5 millions).
 . It has bilateral relations with over 47 national unions of the world. IFWJ members partake in the activities of International Labour Organisation (I.L.O., Geneva) and the UNESCO's International Programme for Development of Communication (I.P.D.C., Paris) It is affiliated to the Confederation of Asian Journalist Unions, Colombo. IFWJ president is also the chairman of this confederation. In recent years hundreds of IFWJ members have been to several countries in Latin America, Europe, the Afro-Asian region and the United States for conferences and training.
 . T he IFWJ is headed by its president, elected in a nationwide direct voting by thousands of its primary members every three years. The President is assisted by a Working Committee which has a Secretary-General four vice-presidents, six secretaries, a treasurer and 17 members of executive, chosen at the plenary session by hundreds of its National Council members.
 . Peace march on Mahatma Gandhi's birth anniversary day at violence-rocked Amritsar town (Punjab, 1990), solidarity march at Lal Chauk (Srinagar, Kashmir), National Council sessions at Guwahati, Kurukshetra, Cuttack, Ayodhya, Kanya Kumari and Rameswaram are some of the highlights of IFWJ's recent action programmes.
9. Presently the IFWJ has, as its 12th President, K. Vikram Rao , formerly of the Times of India His distinguished predecessors included late M. Chalapathi Rau, editor of Lucknow's National Herald, late Pothan Joseph, editor of the daily Dawn and Bangalore's Deccan Herald, late Adhir C. Bannerjee of Calcutta, late T. R. Ramaswami, editor of Madras daily Makkal Kural, and Late Pandit Banarasidas Chaturvedi of U.P

वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र कश्यप वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल के सदस्यता छानबीन समिति के संयोजक बनाये गये।

 वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र कश्यप वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल के सदस्यता छानबीन समिति के संयोजक बनाये गये।

भोपाल। इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्टस के 28 अक्टूबर को स्थापना दिवस से सदस्यता अभियान प्रारंभ किया जायेगा ।

आईएफडब्ल्यूजे से संबंध वर्किंग जनलिस्ट यूनियन स्टेट यूनिट के संयोजक सतीश सक्सेना ने राष्ट्रीय नेतृत्व की सहमति से वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन

भोपाल की छानबीन समिति के संयोजक श्री राजेन्द्र सिंह कश्यप को मनोनीत किया गया है। उनके द्वारा छानबीन समिति के 4 और सदस्य दीपक

शर्मा,जवाहर सिंह,सलमान खान एवं राजेन्द्र मेहता  का बनाये गये है। 28 अक्टूबर से 28 नवंबर  एक माह तक भोपाल जिले में सदस्यता अभियान

चलाया जावेगा।


                                                                                                 (रोहन सिंह)
 दिनांक 28/10/2013       कार्यालय  सचिव
वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियमन  भोपाल

Saturday 26 October 2013

क्रांतिकारी पत्रकार स्वर्गीय गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म दिन मनाया गया

 क्रांतिकारी पत्रकार स्वर्गीय गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म दिन मनाया गया
 भोपाल। 26 अक्टूबर स्वर्गीय गणेश विद्यार्थी क्रांतिकारी पत्रकार इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट से संबंद्ध भोपाल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन संभागीय इकाई एवं गणेश शंकर विद्यार्थी स्मृति संस्थान के सदस्यों के संयुक्त तत्वाधान में वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र कश्यप की अध्यक्षता में क्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी के जन्म दिवस पर एक बैठक में सर्वप्रथम उनके चित्र पर माल्यापर्ण किया गया पश्चात् में उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर वक्ताओं ने प्रकाश डालते हुए उनको स्मरण किया । बैठक में दिल्ली से पधारे मुुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार विद्याधर चतुर्वेदी ने उनके जीवन की विभिन्न  घटनाओं से प्रेणा लेने का आव्हान किया।
देश केी आजादी की लड़ाई में पत्रकारों ने अपनी लेखनी को हथियार बनाया था। महात्मा मोहनदास करमचन्द गांधी,लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के साथ ही गणेश शंकर विद्यार्थी का विशिष्ट स्थान है। क्र ांतिकारी योद्धा पत्रकार के रूप में और अंग्रेजो के विरूद्ध विचारों की अग्नि से धधकती लेखनी से ब्रिटिश सत्ता को बेनकाब करने में गणेश शंकर विद्यार्थी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
आजादी की लड़ाई में हिन्दू मुस्लिम एकता के पक्षधर कानपुर के एक दंगे में शहीद हो गये । क्रांतिकारी पत्रकार के रूप में भारतीय पत्रकारों की स्वतंत्रता के लड़ाई के इतिहास में उनका नाम स्वर्ण अक्षर में हमेशा लिखा रहेगा। सभा में  युवा विद्यार्थी पत्रकारों ने भारी संख्या में उपस्थिति सराहनीय रही। आभार प्रतिवाद डाट काम के संपादक श्री दीपक शर्मा ने प्रगट किया।

                                                                                          रोहन सिंह
                                                                                                 कार्यालय सचिव
                                                                                             वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन
                                                                                 एम0आई0जी0 11/4 गीतांजली कांपलेक्स भोपाल

Wednesday 23 October 2013

news

पत्रकारों और गैर-पत्रकारों के लिए मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 24 अक्टूबर को आने की संभावना है. 24 अक्टूबर को आखिरी सुनवाई होनी है और संभवतः इसी दिन फैसला आ जाना है. इसके पहले इसी महीने की एक तारीख और 3 तारीख को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
पत्रकारों की तरफ से वकील बीके पाल और परमानंद पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट का ध्यान दिलाया कि इस वेज बोर्ड की सिफारिशों के लिए मीडियाकर्मी पिछले बारह साल से प्रतीक्षा कर रहे हैं. दोनों वकील ने अपील की कि अब इस प्रकरण पर फैसला आ जाना चाहिए. एक अक्टूबर और तीन अक्टूबर के दिन सुनवाई में क्या क्या चीजें हुईं, उसके डिटेल यूं हैं...

On 1st October 2013 Mr. Gopal Jain, learned counsel appearing on behalf of the petitioners in W.P.(C)No.246 of 2011 commenced his arguments at 10.45 a.m. and concluded at 3.00 p.m. Thereafter, Mr. P.P. Rao, learned senior counsel appearing on behalf of the petitioners in W.P.(C)No. 382 of 2011 made his submissions till the Court rose for the day. The matters remained part-heard.

On 3rd October 2013 Mr. P.P. Rao, learned senior counsel appearing on behalf of the petitioners in W.P.(C)No.382 of 2011 resumed his arguments at 10.40 a.m. and concluded at 2.45 p.m. Thereafter, Mr. Anil B. Divan,learned senior counsel appearing on behalf of the petitioners in W.P.(C)No. 315 of 2012 commenced his arguments and was on his legs till the Court rose for the day. The matters remained part-heard. List on 24th October, 2013 as first item

Monday 21 October 2013

वरिष्ठ पत्रकार सतीश सक्सेना आई एफ डब्लू जे की प्रदेश इकाई के संयोजक नियुक्त

वरिष्ठ पत्रकार सतीश सक्सेना आई एफ डब्लू जे की प्रदेश इकाई के संयोजक नियुक्त

भोपाल 20 अक्टूबर 2013। इंडियन फेड़रेशन ऑफ वर्किंग यूनियन की राष्ट्रीय कार्यकारणी की हरीद्वार में आयोजित बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष के. विक्रम राव ने मध्यप्रदेश राज्य का संयोजक नियुक्त किया पूर्ण अधिकार सहित पूरे प्रदेश में सदस्यता अभियान एवं सभी जिलों में चुनाव करने का दायित्व वरिष्ठ है।

वरिष्ठ पत्रकार सतीश सक्सेना आई एफ डब्लू जे की प्रदेश इकाई के संयोजक नियुक्त


भोपाल 20 अक्टूबर 2013। इंडियन फेड़रेशन ऑफ वर्किंग  यूनियन की राष्ट्रीय कार्यकारणी की हरीद्वार में आयोजित बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष  के. विक्रम राव ने मध्यप्रदेश राज्य का संयोजक नियुक्त किया पूर्ण अधिकार सहित पूरे प्रदेश में सदस्यता अभियान एवं सभी जिलों में चुनाव करने का दायित्व वरिष्ठ पत्रकार सतीश सक्सेना (भोपाल) को सौपा गया है। 

 

Thursday 17 October 2013

फिर एक पत्रकार ने की आत्महत्या:नक्कारखाने से पस्त हुआ:शिवराज अब तो जवाब दो

अनिल सिंह (भोपाल)– शिवराज शासन की दस वर्षों की हकीकत सामने आने लगी है,प्रशासनिक अक्षमता जो राम-राज्य के लिए नितांत आवश्यक है की सड़ी- गली सच्चाई अब दरकने लगी है।
कल दोपहर लगभग 2 बजे मंत्रालय की चौथी मंजिल पर हल्ला मचा,यह शोर गुल जब थमा तब पता चला एक पत्रकार ने जहर खा लिया है,जब जहर खाने की सच्चाई सामने आयी तो उसने शिवराज के प्रशासन की कलई खोल दी।
सल्फास खा कर जान दी
पत्रकार और आर टी आई कार्यकर्ता राजेंद्र कुमार पिता लालचंद (48)ने फर्जी जाति प्रमाण पत्रों से नौकरी पाने वाले कर्मचारियों और अधिकारीयों के विरुद्ध याचिका दायर की थी,उन्होंने अपने समाचार पत्र में इस सम्बन्ध में खबर भी प्रकाशित की थी,लेकिन कुछ कार्यवाही नहीं हुई उलटे पत्रकार और उनके परिवार को धमकी मिलने लगी,पत्रकार के विरुद्ध हरियाणा में मुकदमा दर्ज करवा दिया गया,पुलिस ने भी धमकी के विरुद्ध कोई संज्ञान नहीं लिया।
फेसबुक पर भी जानकारी डाली
राजेंद्र की पत्नी के अनुसार राजेंद्र ने लगभग 300 अफसरों के द्वारा फर्जी जाति प्रमाणपत्रों से नौकरी पाने का खुलासा किया था,सन 2006 से ये अधिकारी और उनके गुर्गे उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं,यह खुलासा राजेन्द्र ने फेसबुक पर भी अपलोड किया था,हरियाणा में मुकदमा दर्ज करवा कर उनसे कागजों पर जबरन दस्तखत करवा लिए गए।
प्रशासनिक व्यवस्था की पोल उजागर करती यह दर्दनाक घटना
मध्यप्रदेश में उस संगठन का राज है जिसका मूल मन्त्र ही राम-राज्य की स्थापना है,लेकिन उसके कारिंदे इस कार्य में सहयोगी नहीं बन पा रहे हैं।अधिकारीयों की उलटी-सीधी सलाहों को ये मानते है और जनता का नुकसान करते हैं,नेता जो जनता द्वारा सत्तानशीं किये जाते है वे जनता की जगह अपनी चिंता में लग जाते है और ये अधिकारी यहीं फायदा उठाते हैं,कुछ अपवाद भी होते हैं लेकिन वे भी इस गन्दगी में अपनी रोटी चलाना और पेट पालना बेहतर समझते हैं।
राजेंद्र ने जो शिकायत फेसबुक पर अपलोड की
Shri.Anil kumar Gupta ji (IPS)
(inspector general of police state cyber police m.p bhopal)
Respected sir,
I had loged the FIR 276/13 DATED 20/07/2013 against:-
1.ANKITA KHAMBRA:-MEDICAL STUDENT (VARDHAMAN MEDICAL COLLEGE NEW DELHI)
2.DR.SHAILENDRA KHAMBRA:-GOVERNMENT HOSPITAL (LADWA, KURUKSHETRA HARYANA)
3.RAVINDRA KHAMBRA:-ENGINEER PWD(BILASPUR CG)
4.D.C KHAMBRA:-RET. DGM BHEL BHOPAL.
ALL THESE PERSONS AGAINST FALSE CERTIFICATES ARE WORKING SC RESERVED POSTS,MP GOVT SC SCRUTINIY COMMITTEE PASSED ORDER ON 20 SEPTEMBER 2006 ALL THESE PEOPLE HAD USED FAKE SC BELDAR CERITIFICATE.MY PIL IS PENDING IN MP HIGH COURT AND DECISION IS STILL PENDING…AND CYBER THANA POLICE BHOPAL M.P HAS TILL NOW ARESSTED THESE PERSONS….HE HAS BEEN CONTINOUSLY,
HARRASED ME,THREATEN ME,TORTURED ME TILL THE DATE OF FIR HAS BEEN CHARGED AGAINST THEM.
AND EVEN KIDDNAPED ME AND TOOK ME TO KISANPUR RAISEN ON GUN POINT
ANY ACCIDENT,INCIDENT HAPPENS WITH ME.
THESE ALL PERSONS WILL BE RESPONSIBLE………
PLZ, TAKE IMMEDIATE ACTION AND ARREST THEM THIS IS MY HUMBLE REQUEST TO YOU.
THANKS 
WITH REGARDS,
YOUR’S
RAJENDRA KUMAR(RTI ACTIVIST & JOURNALIST)
MOB:-9039847100
CC:-SHRI NANDAN DUBEY JI 
DGP MP POLICE
मध्यप्रदेश में फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर नौकरी के हैं कई प्रकरण
मध्यप्रदेश में हजारों ऐसे प्रकरण हैं जो शिकायत होने के बाद भी लंबित पड़े हैं और फर्जी लोग धड़ल्ले से नौकरी कर रहे हैं तुर्रा यह की ये लोग उन्हें धमकाते और परेशान भी करते हैं जो उनके फर्जिवाडे की शिकायत करते हैं।
प्रशासन या पुलिस मामले को दबाती है
प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस की आदत पड़ गयी है मामला दबाने की।कोई भी प्रकरण का निपटारा व्यक्ति के रसूख पर तय होता है।
स्वतन्त्र या श्रमजीवी पत्रकारों को पंगु बना दिया गया है
प्रशासनिक अधिकारीयों ने स्वतंत्र और श्रमजीवी पत्रकारों को मजबूर बना दिया है,बड़े बनिया समूहों को करोड़ों के विज्ञापन तथा अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं बड़े समूह ख़बरों से नहीं टर्न ओवर से अपना कार्यक्रम तय करते हैं।अधिकारी इस हेतु मन्त्र नेताओं को देते हैं,और नेता भी इनकी बातों को सही मान कार्य करते हैं।इसकी परिणिति कभी -कभी राजेंद्र की आत्महत्या के रूप में सामने आती है।

पत्रकार स्व. राजेन्द्र रामचंद्र की आत्म हत्या एक भ्रष्टाचार की लड़ाई में लड़ते हुए घटी जो एक पत्रकार की बलि हैं,

 भोपाल। पत्रकार जब स्वयं व्यवस्था से परेशान हो कर भ्रष्टाचार की जंग लड़ते हुए और अंतिम बार शासन के सर्वाेच्च अधिकारी मुख्य सचिव एंटोनी डिसा से मिलने से असफल रहने के बाद राजेन्द्र कुमार गहरी निराशा में डूब कर आत्महत्या करके यह सिद्ध कर दिया कि मध्य प्रदेश की राजधानी पुलिस के उच्चाधिकारी से लेकर थानेे के सिपाही तक कितने असंवेदनशील हैं।

भ्रष्टाचार अन्याय से लड़ने में प्रदेश का साधारण नागरिक जब थाने के चक्कर लगाकर रिपोर्ट लिखने के लिये परेशान हो जाता है, तो वह तंग आकर आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। पुलिस थाना,प्रशासन ने भी उसकी पुकार नहीं सुनी तो वह आत्महत्या को गले लगाने को मजबूर हो गया।

30 सितंबर को सोशल मिडिया के माध्यम से दोषियों पर कार्यवाही न होने पर आत्महत्या की चेतावनी दी थी । 10 अक्टूबर को गोविन्द पुरा थाने में डी़़.जी.पी. नंदन दुबे के नाम पत्र देकर 7 दिन में कार्यवाही नही ंहोने  पर आत्महत्या की चेतावनी दी थी।

प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है। सत्ता पक्ष और विपक्ष नाकारा सिद्ध होते जा रहे हैं। शासन और पुलिस के अधिकारियों की जन सुनवाई भी अशक्त नागरिक, गरीब, दबंगों से पीडि़त,गुन्डे,बदमाशों से परेशान कोई समाधान नहीं दे रही है। डी.आई.जी. को दिया आवेदन जब थाने तक पहुचता है तो उस प्रकरण को भ्रष्टाचारियों से रिश्वत लेकर दबा दिया जाता है। यदि कोई पत्रकार शिकायत थाने में करता है तो उस पर कार्यवाही के स्थान पर पत्रकारों के विरूद्ध कार्यवाही की जाने लगती है।

भ्रष्ट अधिकारियों और पुुलिस वाले पत्रकार को अपनी उच्च कमाई में सबसे बड़ा रोड़ा मानते हैं। पिछले 45 साल के पत्रकारिता के कार्यकाल में हजारों प्रकरण मेरे पास आये जिसमें पुलिस वालों ने पत्रकार पर आरोप लगा कर भ्रष्टाचारी को बचाया है,और कोर्ट में प्रकरण कमजोर कर दिया है। ़

मध्य प्रदेश शासन के सचिवालय में निराश पत्रकार स्व. राजेन्द्र रामचंद्र की आत्म हत्या  एक भ्रष्टाचार की लड़ाई में लड़ते हुए घटी जो एक पत्रकार की बलि हैं, जो उसने अपनी जान देकर चुकाई है। यदि शासन इससे नही  चेता तो भविष्य में इससे भी बड़ी घटना हो सकती ह।

राजेन्द्र कश्यप

अध्यक्ष 
मोबा0 क्रमांक 9753041701

BHOPAL WORKINGING JOURNILIST UNION

 भोपाल। पत्रकार जब स्वयं व्यवस्था से परेशान हो कर भ्रष्टाचार की जंग लड़ते हुए और अंतिम बार शासन के सर्वाेच्च अधिकारी मुख्य सचिव एंटोनी डिसा से मिलने से असफल रहने के बाद राजेन्द्र कुमार गहरी निराशा में डूब कर आत्महत्या करके यह सिद्ध कर दिया कि मध्य प्रदेश की राजधानी पुलिस के उच्चाधिकारी से लेकर थानेे के सिपाही तक कितने असंवेदनशील हैं।

भ्रष्टाचार अन्याय से लड़ने में प्रदेश का साधारण नागरिक जब थाने के चक्कर लगाकर रिपोर्ट लिखने के लिये परेशान हो जाता है, तो वह तंग आकर आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। पुलिस थाना,प्रशासन ने भी उसकी पुकार नहीं सुनी तो वह आत्महत्या को गले लगाने को मजबूर हो गया।

30 सितंबर को सोशल मिडिया के माध्यम से दोषियों पर कार्यवाही न होने पर आत्महत्या की चेतावनी दी थी । 10 अक्टूबर को गोविन्द पुरा थाने में डी़़.जी.पी. नंदन दुबे के नाम पत्र देकर 7 दिन में कार्यवाही नही ंहोने  पर आत्महत्या की चेतावनी दी थी।

प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है। सत्ता पक्ष और विपक्ष नाकारा सिद्ध होते जा रहे हैं। शासन और पुलिस के अधिकारियों की जन सुनवाई भी अशक्त नागरिक, गरीब, दबंगों से पीडि़त,गुन्डे,बदमाशों से परेशान कोई समाधान नहीं दे रही है। डी.आई.जी. को दिया आवेदन जब थाने तक पहुचता है तो उस प्रकरण को भ्रष्टाचारियों से रिश्वत लेकर दबा दिया जाता है। यदि कोई पत्रकार शिकायत थाने में करता है तो उस पर कार्यवाही के स्थान पर पत्रकारों के विरूद्ध कार्यवाही की जाने लगती है।

भ्रष्ट अधिकारियों और पुुलिस वाले पत्रकार को अपनी उच्च कमाई में सबसे बड़ा रोड़ा मानते हैं। पिछले 45 साल के पत्रकारिता के कार्यकाल में हजारों प्रकरण मेरे पास आये जिसमें पुलिस वालों ने पत्रकार पर आरोप लगा कर भ्रष्टाचारी को बचाया है,और कोर्ट में प्रकरण कमजोर कर दिया है। ़

मध्य प्रदेश शासन के सचिवालय में निराश पत्रकार स्व. राजेन्द्र रामचंद्र की आत्म हत्या  एक भ्रष्टाचार की लड़ाई में लड़ते हुए घटी जो एक पत्रकार की बलि हैं, जो उसने अपनी जान देकर चुकाई है। यदि शासन इससे नही  चेता तो भविष्य में इससे भी बड़ी घटना हो सकती ह।

राजेन्द्र कश्यप

अध्यक्ष 
मोबा0 क्रमांक 9753041701

मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ ने जुझारू पत्रकार राजेन्द्र राजपूत को आत्महत्त्या के लिए विवश करने वालों के विरूद्ध कार्रवाही करने एवं स्वर्गीय राजपूत के परिवार की आर्थिक मदद की मांग को लेकर प्रदेश के राज्यपाल श्री रामनरेश यादव को ज्ञापन सोंपा

मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ ने जुझारू पत्रकार राजेन्द्र राजपूत को आत्महत्त्या के लिए विवश करने वालों के विरूद्ध कार्रवाही करने एवं स्वर्गीय राजपूत के परिवार की आर्थिक मदद की मांग को लेकर प्रदेश के राज्यपाल श्री रामनरेश यादव को ज्ञापन सोंपा ।
इस अवसर पर वरिष्ट पत्रकार प्रवीण शुक्ला ,विनोद श्रीवास्तव ,दलीप भदोरिया ,मनोज कोशल ,शिशुपाल सिंह तोमर और अरशद अली खान मोजूद थे।
गोरतलब है की राजेन्द्र राजपूत ने गत १५ अक्टूबर को मंत्रालय में मुख्य सचिव के कक्ष के बहार जहर खाकर आत्महत्या करली थी। सोसायिट नोट में उन्होंने इसका ज़िम्मेदार फर्जी जाति प्रमाण पर नोकरी करने वालों को बताया है। यहाँ बतादे की श्री राजपूत कई वर्षों से इस फर्जीवाड़े के विरुद्ध मुहीम छेड़े हुए थे।

Wednesday 16 October 2013

पत्रकार स्व. राजेन्द्र रामचंद्र की आत्म हत्या एक भ्रष्टाचार की लड़ाई में लड़ते हुए घटी जो एक पत्रकार की बलि हैं

 भोपाल। पत्रकार जब स्वयं व्यवस्था से परेशान हो कर भ्रष्टाचार की जंग लड़ते हुए और अंतिम बार शासन के सर्वाेच्च अधिकारी मुख्य सचिव एंटोनी डिसा से मिलने से असफल रहने के बाद राजेन्द्र कुमार गहरी निराशा में डूब कर आत्महत्या करके यह सिद्ध कर दिया कि मध्य प्रदेश की राजधानी पुलिस के उच्चाधिकारी से लेकर थानेे के सिपाही तक कितने असंवेदनशील हैं।

भ्रष्टाचार अन्याय से लड़ने में प्रदेश का साधारण नागरिक जब थाने के चक्कर लगाकर रिपोर्ट लिखने के लिये परेशान हो जाता है, तो वह तंग आकर आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। पुलिस थाना,प्रशासन ने भी उसकी पुकार नहीं सुनी तो वह आत्महत्या को गले लगाने को मजबूर हो गया।

30 सितंबर को सोशल मिडिया के माध्यम से दोषियों पर कार्यवाही न होने पर आत्महत्या की चेतावनी दी थी । 10 अक्टूबर को गोविन्द पुरा थाने में डी़़.जी.पी. नंदन दुबे के नाम पत्र देकर 7 दिन में कार्यवाही नही ंहोने पर आत्महत्या की चेतावनी दी थी।

प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है। सत्ता पक्ष और विपक्ष नाकारा सिद्ध होते जा रहे हैं। शासन और पुलिस के अधिकारियों की जन सुनवाई भी अशक्त नागरिक, गरीब, दबंगों से पीडि़त,गुन्डे,बदमाशों से परेशान कोई समाधान नहीं दे रही है। डी.आई.जी. को दिया आवेदन जब थाने तक पहुचता है तो उस प्रकरण को भ्रष्टाचारियों से रिश्वत लेकर दबा दिया जाता है। यदि कोई पत्रकार शिकायत थाने में करता है तो उस पर कार्यवाही के स्थान पर पत्रकारों के विरूद्ध कार्यवाही की जाने लगती है।

भ्रष्ट अधिकारियों और पुुलिस वाले पत्रकार को अपनी उच्च कमाई में सबसे बड़ा रोड़ा मानते हैं। पिछले 45 साल के पत्रकारिता के कार्यकाल में हजारों प्रकरण मेरे पास आये जिसमें पुलिस वालों ने पत्रकार पर आरोप लगा कर भ्रष्टाचारी को बचाया है,और कोर्ट में प्रकरण कमजोर कर दिया है। ़

मध्य प्रदेश शासन के सचिवालय में निराश पत्रकार स्व. राजेन्द्र रामचंद्र की आत्म हत्या  एक भ्रष्टाचार की लड़ाई में लड़ते हुए घटी जो एक पत्रकार की बलि हैं, जो उसने अपनी जान देकर चुकाई है। यदि शासन इससे नही  चेता तो भविष्य में इससे भी बड़ी घटना हो सकती ह।

राजेन्द्र कश्यप

अध्यक्ष
मोबा0 क्रमांक 9753041701

Sunday 13 October 2013

मजीठिया वेतन बोर्ड को लेकर श्रम विभाग का नरम रवैया

 

लंबे समय से कलम के माध्यम से समाज को इंसाफ दिलाने वाले पत्रकार कब तक अपने इंसाफ के लिए तरसेगे। भारत सरकार ने एक सराहनीय कदम उठाते हुए मजीठिया वेतन बोर्ड का राजपत्र तो प्रकाषित करा दिया और इसे हर जिले के श्रम विभाग में पहुंचा दिया लेकिन इसे मानने वाला कौन है।  अब श्रम विभाग बोलता है कि अपने ऊपर होने वाले अत्याचार खुद साबित करों। जब प्रेस मालिक कैश पेमेन्ट देते है कर्मचारियों के पास कोई ऐसा दस्तावेज ही नहीं होता जिससे वह सिद्ध कर सके कि वह अमुक प्रेस का कर्मचारी है तो उसे इंसाफ कौन दिला सकता है। सरकार ने एक कानून बनाकर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर ली। क्या कानून बनने से सब कुछ ठीक-ठाक हो सकता है।
कौन समझेगा पीड़ा
पत्रकारों की पीड़ा समाज के सामने कौन ला सकता है क्योंकि व्यापारी नुमा पत्रकार समाज के ठेकेदार बन गए है। उन्हें धर्म से नहीं धंधे से मतलब है। दरअसल मीडिया संस्थान के मालिक उसे कहावत जैसे है कि सौ-सौ चूहों को मारकर बिल्ली चली हज को। जी हां संस्थान के मालिक बाहर ऐसे भाषण देते है जैसे इनसे बड़ा धर्मात्मा कोई नहीं है और अंदर इतने हैवान हो जाते है कि पत्रकारों से ही शराब पीकर गाली गलौच करते है। तीन चार माह बाद वेतन देते है। और सरकार की तारीफ में दो चार कसीदें पढ़ देते है और एक कंपनी खुलने की एनओसी मिल जाती है।

3 सालों से सिर्फ आस
मजीठिया वेतन बोर्ड का लाभ पत्रकारों को 2010 से देने का फरमान है लेकिन पत्रकार 3 साल से सिर्फ आस की घूट पीकर जी रहे है। न्यायालय भी है तो ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर लंबा समय ले रहा है। जब न्याय ही इतना महंगा और देर होगा तो मरीज का क्या होगा। मीडिया जगत मे युवाओं को यह प्रलोभन देकर जोड़ा जाता है कि इसमें इतना ग्लैमर है, उक्त संपादक को देखों कितना नाम है कितना पैसा है। लेकिन कोई ये नहीं बताता कि कर्मचारियों के साथ कितना शोषण है। श्रम आयोग के दिषा-निर्देषों की कैसे खिल्लियां उड़ायी जाती है। कई प्रेस मालिक ऐसे है जिनके पास कल तक कुछ नहीं था और आज उनके पास अरबों की संपत्ति है कंपनियां खड़ी हो रही है। सिर्फ पत्रकारों का खून चूसकर और जब वेतन देने की बात आती है तो उनके साथ अन्याय हो रहा है।

कैसे करें दावा
यदि किसी संस्थान के कर्मचारी मजीठिया वेतनमान पाना चाहते है तो सामूहिक में एक पत्र सहायक श्रम आयुक्त को लिखकर मजीठिया वेतनमान की मांग कर सकते है। सहायक श्रमायुक्त का कार्यालय कलेक्टोरेट में होता है। इस पर सहायक श्रमायुक्त उक्त संस्था के मलिक को वेतन देने के लिए निर्देश देता है। इस दौरान कार्यवाही नहीं की जाती अपितु समझाइस दी जाती है। लेकिन यदि मालिक फिर भी बात नहीं मानता तो सहायक श्रमायुक्त मामले को लेबर कोर्ट में पेश कर देता है। जिसके बाद जज मनमानी जुर्माना कर सकता है। वहीं यदि एक व्यक्ति को उक्त वेतनमान चहिए तो वह उपस्थिति पंजियन वीडियो फुटेज या कुछ ऐसा दस्तावेज प्रस्तुत कर एक साधारण कागज में आवेदन दे सकता है। आवेदन के समय किसी प्रूफ या दस्तावेज की भी जरूरत नहीं क्योंकि शुरूआत में मान मनौवल वाली बात चलती है, फिर भी बात नहीं बनी तो मामला कोर्ट जाता है जहां कर्मचारी को सिद्ध करना पड़ता है कि वह उक्त संस्था का कर्मचारी है। हां खास बात यह है कि मजदूरी भुगतान संबंधि मांग विधिक सेवा के अंतर्गत आती है जिससे तहत कोर्ट तहसील न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कर्मचारी के पक्ष निःशुल्क लड़ाई लड़ती है। अर्थात् पूरी लड़ाई निःशुल्क होती है। 

क्या करना चाहिए
पत्रकारों को मजीठिया वेतनमान दिलाने के लिए श्रम विभाग को सख्त होना चाहिए। मीडिया संस्थानों के सामने जी हजूरी नहीं अपितु अपना इमानदारी से काम करना चाहिए। क्योंकि वे रेगुलर कर्मचारी है जबकि एक पत्रकार ऐसा कर्मचारी है जिसकी नौकरी का कोई ठिकाना नहीं है। और जब कही न्याय की गुहार लगाने जाता है तो कोई सुनवाई नहीं होती।
महेश्वरी प्रसाद मिश्र
पत्रकार

BHOPALworking journalist union


Wednesday 2 October 2013

’’पत्रकार की जंग‘‘ फिल्म का निर्माण भोपाल में होगा

’’पत्रकार की जंग‘‘ फिल्म का निर्माण भोपाल में होगा 

’’पत्रकार की जंग‘‘ फिल्म का निर्माण भोपाल में होगा

’’पत्रकार की जंग‘‘ फिल्म का निर्माण भोपाल में होगा 

प्रतिवाद मिडीया हाऊस द्वारा राष्ट्रीय एकता एवं पत्रकारिता के उच्चतम मापदंड एवं भ्रष्टाचारों के विरूद्व छेड़ी जंग पर ‘‘पत्रकारिता की जंग’’ फिल्म का निर्माण 2 अक्टूबर महात्मा गांधी के जन्म दिवस से प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमें स्थानीय पत्रकार कलाकारों का चयन किया गया है । फिल्म की एक यूनिट, बम्बई में कार्यरत है। 
फिल्म का निर्देषन मनीष सोनी करेंगे,जिन्होंने अनेक फिल्मों का निर्माण किया है फिल्म के निर्माण प्रमुख राजेन्द्र कष्यप,दीपक शर्मा एवं प्रतिवाद मीडिया हाऊस के बेनर तले फिल्म ‘‘पत्रकार की जंग’’ का निर्माण भोपाल एवं मध्यप्रदेष के अनेक स्थानों पर किया जायेगा।

राजेन्द्र कष्यप मोबाईल नंबर 9753041701 एम.आई.जी. 11/4 गीतांजली काम्पलेक्स पी एंड टी चैराहा भोपाल।