Monday 27 April 2015

पत्रकार मध्य प्रदेष शासन की गुलामी सहन नहीं करेग

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श्रमजीवी दिवस पर पत्रकारों द्वारा संघर्ष के लिये तैयार होने का आव्हान

श्रमजीवी दिवस पर पत्रकारों द्वारा संघर्ष के लिये तैयार होने का आव्हान
भोपाल 1 मई। इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट से संबंद्ध वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल की मई दिवस के अवसर पर यूनियन के अध्यक्ष राजेन्द्र कष्यप की अध्यक्षता में कार्यकारणी एवं विषेष आमंत्रित सदस्यों की सभा में पत्रकारों की विभिन्न समस्याआंे पर गहन विचार विमर्ष के बाद निम्न प्रस्ताव पारित कर पत्रकारों की एकता संगठन को मजबूत बनाने का संकल्प लिया गया।
एक प्रस्ताव में वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल को मालवीय नगर भोपाल में मध्यप्रदेष षासन द्वारा लीज पर दी गई भूमि व लीज को निरस्त किये जाने की निन्दा की। पत्रकार भवन का निर्माण पत्रकारों द्वारा शोषित पीड़ीत,मजदूर,किसान कर्मचारियों की आवाज बुलन्द करते और उनकी लड़ाई में मजबूती प्रदान करना और उन्हें न्याय दिलाने के लिये किया गया था। पत्रकार भवन के निर्माण में भोपाल के पत्रकारों कर्मचारियों के साथ ही राजधानी के सभी केन्द्र एवं राज्य के कर्मचारी संगठनों के साथ ही भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स के कर्मचारियों एवं भारतीय मजदूर संगठन मजदूर हम्माल संगठन रेल्वे कर्मचारियों के संगठन बैंक कर्मचारियों  के संगठन भी बैंक कर्मचारियों भोपाल के मिलों के मजदूरों एवं शासकीय कर्मचारी एवं भोपाल के व्यापारी मजदूर विभिन्न राजनेतिक पार्टीयों के सदस्यों एवं व्यापरी संगठनों ने इसके लिये 1-1 रूपये चंदा दिया । सभी ने पत्रकार भवन के निर्माण में तन मन धन से सहयोग किया तब जाकर पत्रकार भवन इन सबकी आवाज बनकर तैयार हो गया । पत्रकार भवन में लगातार प्रेस कांफ्रेसों के माध्यम से शोषित पीडि़तों की आवाज बुलंद करता रहा और कर्मचारी और मजदूरों की लड़ाई अपनी मानकर पूरा सहयोग देते रहे। भोपाल स्थित केन्द्र एवं राज्य सरकार के सभी कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों ने पत्रकार भवन के निर्माण में सहयोग दिया।
भोपाल कलेक्टर के द्वारा पत्रकार भवन की लीज निरस्त करने की वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन कड़े शब्दों में निन्दा करती है,और षिवराज सरकार से मांग करती है पत्रकार भवन की लीज को पुनः वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल को बहाल करें एवं प्रजातंत्र के शाष्वत मूल्यों की रक्षा के लिए पत्रकारता को संबंल प्रदान करें।

                                                      कार्यालय सचिव


   रोहन सिंह
वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल
    डप्ळ -11/4 गीतांजली काम्पलेक्स
      हजेला अस्पताल के पास पीएनटी चैराह

मई दिवस पर प्रातः 10ः00 बजे से होने जा रही है

मई दिवस पर प्रातः 10ः00 बजे से होने जा रही है। इस विषेष सभा में पत्रकार भवन मालवीय नगर की लीज कलेक्टर द्वारा निरस्त करने की कार्यवाही के संबंध में विचार विमर्ष किया जावेगा।


  कार्यालय सचिव



   रोहन सिंह
वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल
    डप्ळ -11/4 गीतांजली काम्पलेक्स
      हजेला अस्पताल के पास पीएनटी चैराहा भोपाल

श्रमजीवी दिवस पर पत्रकारों द्वारा संघर्ष के लिये तैयार होने का आव्हान

श्रमजीवी दिवस पर पत्रकारों द्वारा संघर्ष के लिये तैयार होने का आव्हान
भोपाल 1 मई। इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट से संबंद्ध वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल की मई दिवस के अवसर पर यूनियन के अध्यक्ष राजेन्द्र कष्यप की अध्यक्षता में कार्यकारणी एवं विषेष आमंत्रित सदस्यों की सभा में पत्रकारों की विभिन्न समस्याआंे पर गहन विचार विमर्ष के बाद निम्न प्रस्ताव पारित कर पत्रकारों की एकता संगठन को मजबूत बनाने का संकल्प लिया गया।
एक प्रस्ताव में वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल को मालवीय नगर भोपाल में मध्यप्रदेष षासन द्वारा लीज पर दी गई भूमि व लीज को निरस्त किये जाने की निन्दा की। पत्रकार भवन का निर्माण पत्रकारों द्वारा शोषित पीड़ीत,मजदूर,किसान कर्मचारियों की आवाज बुलन्द करते और उनकी लड़ाई में मजबूती प्रदान करना और उन्हें न्याय दिलाने के लिये किया गया था। पत्रकार भवन के निर्माण में भोपाल के पत्रकारों कर्मचारियों के साथ ही राजधानी के सभी केन्द्र एवं राज्य के कर्मचारी संगठनों के साथ ही भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स के कर्मचारियों एवं भारतीय मजदूर संगठन मजदूर हम्माल संगठन रेल्वे कर्मचारियों के संगठन बैंक कर्मचारियों  के संगठन भी बैंक कर्मचारियों भोपाल के मिलों के मजदूरों एवं शासकीय कर्मचारी एवं भोपाल के व्यापारी मजदूर विभिन्न राजनेतिक पार्टीयों के सदस्यों एवं व्यापरी संगठनों ने इसके लिये 1-1 रूपये चंदा दिया । सभी ने पत्रकार भवन के निर्माण में तन मन धन से सहयोग किया तब जाकर पत्रकार भवन इन सबकी आवाज बनकर तैयार हो गया । पत्रकार भवन में लगातार प्रेस कांफ्रेसों के माध्यम से शोषित पीडि़तों की आवाज बुलंद करता रहा और कर्मचारी और मजदूरों की लड़ाई अपनी मानकर पूरा सहयोग देते रहे। भोपाल स्थित केन्द्र एवं राज्य सरकार के सभी कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों ने पत्रकार भवन के निर्माण में सहयोग दिया।
भोपाल कलेक्टर के द्वारा पत्रकार भवन की लीज निरस्त करने की वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन कड़े शब्दों में निन्दा करती है,और षिवराज सरकार से मांग करती है पत्रकार भवन की लीज को पुनः वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल को बहाल करें एवं प्रजातंत्र के शाष्वत मूल्यों की रक्षा के लिए पत्रकारता को संबंल प्रदान करें।

                                                      कार्यालय सचिव


   रोहन सिंह
वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल
    डप्ळ -11/4 गीतांजली काम्पलेक्स
      हजेला अस्पताल के पास पीएनटी चैराहा भोपाल

Tuesday 21 April 2015

पत्रकार भवन भोपाल का मामला याचिकाकत्र्ता ने वापस ली हाईकोर्ट से याचिका जबलपुर, 21 अप्रैल, 2015

पत्रकार भवन भोपाल का मामला
याचिकाकत्र्ता ने वापस ली हाईकोर्ट से याचिका
जबलपुर, 21 अप्रैल, 2015
भोपाल स्थित पत्रकार भवन की लीज निरस्त कर दिये जाने पर चुनौती देने वाली दायर याचिका को न्यायालय की फटकार के बाद याचिकाकत्र्ता ने वापस ले लिया है ।  मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस संजय यादव की एकलपीठ ने याचिका के तथ्यों को सारहीन बताते हुए इसे विथ कास्ट खारिज करने की चेतावनी दी ।  इस पर याचिकाकत्र्ता की ओर से याचिका वापस लिये जाने का निवेदन न्यायालय से किया गया । 
यह याचिका भोपाल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन, भोपाल के अध्यक्ष सलमान खान की ओर से दायर की गई थी । याचिका में पत्रकार भवन के लिए 1969 में वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल को दी गई भूमि की लीज निरस्त कर राज्य शासन के जनसंपर्क विभाग को उसका अधिपत्य सौंपने के कलेक्टर भोपाल के निर्णय को चुनौती दी गई थी । कलेक्टर न्यायालय भोपाल ने लीज की शर्तों के उल्लंघन और जिस उद्देश्य से भूमि प्रदान की गई थी उससे भिन्न प्रयोजन के लिए उसका उपयोग किये जाने पर 2 फरवरी 2015 को भूमि की लीज निरस्त करने का आदेश पारित किया था । 
प्रकरण में सुनवाई के दौरान याचिकाकत्र्ता द्वारा इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन और वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल से अपनी संबद्धता के बारे में भी माननीय न्यायालय को संतुष्ट नहीं किया जा सका था । 
याचिका पर सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता एडव्होकेट दीपक अवस्थी ने न्यायालय के समक्ष शासन का पक्ष रखा । याचिकाकत्र्ता की ओर से एडव्होकेट परेश पारिक ने पैरवी की ।

एडव्होकेट दीपक अवस्थी
  शासकीय अधिवक्ता
   मो.9425030909
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Sunday 12 April 2015

शलभ भदौरिया अपने जिस संगठन की दुहाई देकर कह रहे हैं

शलभ भदौरिया अपने जिस संगठन की दुहाई देकर कह रहे हैं कि प्रदेश का सबसे बड़ा संगठन है और पॉच हजार मेम्बर है,इस संगठन की, संगठन के सदस्यों की एक बार जॉच अवश्य होना चाहिये,मोची,धोबी नाई,सब्जी बेचने वाले,अपराधियों की गैंग को असली पत्रकारों का संगठन बताने वाले शलभ इतना भयभीत क्यों है? अगर उसका संगठन मजबूत है,तो शक्ति प्रदर्शन से घबरा क्यों रहा है? हमने जिनकी बात वह दबी जुबान से कर रहा है,उसके आंदोलन में तो कोई रोड़ा नहीं अटकाया? हमने तो 18 तारीख को मुख्यमंत्री जी के अभिनन्दन का आव्हान किया है,दिख जायेगी न तुम्हारी औकात और असलियत कि तुम कितने पानी में हो,फिर तम्बू में बौखलाहट क्यों? आज तक किसी एक पत्रकार का नाम बता दो,जिसका तुमने भला किया हो?
है हिम्मत तो तुम्हारी गुन्डों की गैंग घबरा क्यों रही है,दिखाओ अपनी ताकत,जिस आदमी का कानून पर भरोसा नहीं,अदालत का स्टे,जो एन पी अग्रवाल के पास आज भी है,उसको भी नहीं माना,हर चौखट पर तुमने, तुम्हारी गैंग ने माथा रगड़ा,रजिस्ट्रार के अपील की,खारिज हो गई,हाई कोर्ट गये, दुबारा सुनवाई हुई, फिर खारिज,सरकार के पास गये फिर तिबारा सुनवाई हुई,6 अप्रेल को फिर खारिज हो गई,फिर भी अपने आप को पत्रकार भवन समिति का अध्यक्ष बेशर्मी से लिखते हो,फर्जी कौन हुआ कानून की नजर में, खुद सोच लो एक बार,,,
सिविल कोर्ट में तीन तीन मुकदमें लगा कर ,अपने अग्र एवम् पृष्ठ भाग दोनों की ताकत स्टे लेने में झोंक दी, पर न्याय न्याय होता है,स्टे एन पी अग्रवाल के पक्ष में हुआ,तुम फिर सेशन कोर्ट में इसके विरुद्ध चले गये,किन्तु कोई कामयाबी नहीं,
तुम, तुम्हारा संगठन 1992 में पैदा हुआ,और तुम जिद पर अड़े हो,कि,कि 1969 वाले संगठन के मालिकाना हक की प्रापर्टी तुम्हे दे दी जाये,यदि ऐसा नहीं हो पाया,तो कानून को मानने वाले श्री अवधेश भार्गव, एन पी अग्रवाल,राधा वल्लभ शारदा,तीनों अपराधी हो गये,आज पत्रकार भवन को सरकार के हवाले क्यों करना पड़ा,क्योंकि तुम्हारा गुण्डा भाई और सईद नगर की झुग्गियों से जूते मारकर भगाया गया काला फूल बीडी,पीने वाला गुण्डा ने मिलकर पत्रकीर भवन का उपयोग देह ब्यापार के लिये जगह मुहैया कराने में करने लगे थे,असामाजिक तत्वों का अड्डा बना दिया था,जुये की फड़ चलाने लगे थे,सट्टे का केन्द्र बना दिया था,ये गिरी हुई हरकत समाप्त करने के लिये ही पत्रकार भवन सरकार को देना पड़ा। तुम्हारा एक कमरा जो तुमने फर्जी तरीके से दोनों जगह अध्यक्ष रहते हुये आवंटित कर लिया था,और स्टे लेकर 23 सालों से बैठे हो,उसमें भी हाई कोर्ट में 20 अप्रेल की अन्तिम सुनवाई निश्चित हो गई है,हमें न्याय पर भरोसा है,वहॉ से खारिज हो जायेगा स्टे,यही भय साल रहा है तुम्हें,,,,
तुमने कलेक्टर भोपाल के फैसले के विरुद्ध कमिश्नर भोपाल को अपीललगाई,उन पर भी आरोप लगाकर कि जल्दी सुनवाई नहीं हो रही,हाई कोर्ट चले गये, जबकि अपील को एक हफ्ती ही हुआ था।हाई कोर्ट मे भी तुम्हारे झूतथ्य देने के कारण तुम्हारी रिट तीन दिन तक सुनवाई में लगी, किन्तु तुम आपत्ति दूर नहीं कर पाये और सुनवाई नहीं हो पाई,तुम्हे जब श्री भार्गव व एन पी के इन्टरविनर बनने के बाद राहत के रास्ते बन्द हो गये तो तुमने,श्री भार्गव की चरित्र हत्या की खबर प्लान्ट कर पत्रकार भवन में मिठाइयॉ बॉटी,हर मोर्चे पर पराजय,हर मोर्चे पर मात से तुम डिप्रेशन में चले गये हो,अवसादग्रस्त हो चुके हो।समय को पहचानने की कोशिस करो,समय की मॉग है,सब के साथ चलो,गुण्डई छोड़ो,अभी तक बिरादरी की पीठ में खन्जर भौंकते रहे,अब नेक काम में हाथ बटा लो,
तुम हथेली में सरसों उगाना चाहते हो,पर हर जगह मात खा खाकर
अवसादग्रस्त ग्रस्त हो गये हो,जे एन पी अग्रवाल चार साल तुम्हारे साथ कोषाध्यक्ष रहा,10 साल पदाधिकारी रहा,वो आज सजायाफ्ता अपराधी हो गया,तुम्हारी जानकारी के लिये बता दूं जिस प्रकरण में 40 वर्ष पूर्व उसे सजा हुई थी,उसमें वे 35 वर्ष पूर्व ही बरी हो चुके हैं,राधावल्लभ शारदा के जिस प्रकरण की तुम बात कर रहे हो, वह तीन माह पूर्व न्यायालय से समाप्त समाप्त हो चुका है,जिन श्री भीर्गव की बात कर रहे हो तो उन्हें किसी मामले में सजा का सबूत पेश कर दो,या एक भी प्रकरण पेंडिंग बता दो,
अब सुनो,तुम्हारे ऊपर तो चार सौ बीसी, धोखाधड़ी,जालसाजी,वो भी पोस्टल डिपीर्टमेंट, और जनसम्पर्क के साथ करने पर अभी भी कोर्ट में चल रहा है,तुम्हारे पूरे ,,,,,के साथ, आई पी एस एम पी तिवारीकी जमीन फर्जी दस्तावेज बनाकर हड़पने का मुकदमा चल चुका हा,और जालसाजी साबित होकर डिग्री हो चुकी है,कहो तो निर्णय की कापी सार्व जनिक कर दूं,पूर्व सी सी एफ माहलहा के बेटे से 4000 रुपये में जावा मोटर सायकिल पीले कलर की खरीदकर उस बिचारे को पैसे न देकर,मारपीट कर बन्द होने वाले तुम्हीं थे या कोई और,अभी मपकदमा चल रहा है,कितनी बार गैर हाजिरी पर तुम पर जुर्माना हुआ,सार्वजनिक कर दूं,कहीं छुपने की जगह नहीं मिलेगी,
1-हम सरकार से मॉग करते हैं कि अपराधी शलभ भदौरिया के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जॉच की जाये शलभ भदौरिया तो पॉचवी पास भी नहीं है,यदि है तो हम चुनौती देते हैं वह अपने शैक्षणिक योग्यता सबूत सोशल मीडिया में जारी करे,
2- 1980 के पूर्व यह विजय सिंह भदौरिया था,नाम बदलकर ( कानूनी प्रक्रिया से नहीं)शलभ क्यों बना,कहीं किसी अपराधिक प्रकरण के कारण तो नाम बदलकर समाज और सरकार को धोखा नहीं दे रहा,इसकी जॉच कराई जाये,
3- जब जनसम्पर्क में शलभ के शैक्षणिक रिकार्ड ही नहीं है,और इसका अपराधिक रिकार्ड के साथ शिकायत की जा चुकी है,तो शीघ्र इसकी अधिमान्यता समाप्त की जाये,,,
4- इसके संघ के सदस्यों की जॉच की जावे और अपराधिक रिकार्ड सार्वजनिक किया जावे,
5- इसके द्वारा दैनिक जन चिन्गारी में कितने एडीॆशनों में 1996 से अभी तक जो करोंड़ों के विग्यापन लिये गये हैं सार्वजनिक किया जावे,
6- श्रमजीवी पत्रकार बुलेटिन,जिसका मालिक ये स्वयम् है,और संघ का मुखपत्र बताकर हर महीने विग्यापन ले रहा है,उसे बन्द किया जावे,
7- प्रेम फीचर्स और एक इसकी अन्य न्यूज एजेन्सी को कितने विग्यापन अभी तक दिये गये सार्वजनिक किये जावे, व बन्द किये जावे,,
8- 1995 से अभी तक इसे कितनी बार और कितने वाहन किस काम से दिये गये,सार्वजनिक किया जावे,
9- इसने जो मॉग की है,कि सी यम का अभिनन्दन करने वाले पत्रकार साथियों को जनसम्पर्क द्वारा दिये गये विग्यापन, व वाहन सुविधा की जॉच की जावे,वह अवश्य की जावे,क्योंकि सॉच को आंच नहीं, किन्तु ईमानदारी से इस पर लगे आरोपों की जॉच अवश्य की जावे,
हम नहीं चाहते कि किसी के कपड़ों के चीथड़े किये जायें किन्तु बार बार सुनियोजित तरीके से अपराधी,वित्त पोषित कहकह कर बदनाम करने वाले को हम्माम में आइना दिखाना आवश्यक हो गया था,हमारा इरादा किसी की चरित्र हत्या नहीं,पर पत्रकार बिरादरी के हित में काम करने वाले सी यम का विरोध सिर्फ अपनी रोजी रोटी छिनने के भय से करने के कृत्य की भर्त्सना करना भर है,
सी यम वे हमारी बिरादरी को अनूठी सौगातें देकर एक इतिहास बनाया है,हम 18 को उनका अभिनन्दन करेंगे,किसी बहुरूपिये के बहकावे में नहीं आयेंगे,हमारा पत्रकार साथी जानता है,अच्छे काम के लिये अभिनन्दन करना है या घेराव,,,,
मेरा पत्रकार साथियों से निवेदन है, कि इस खबर को सब अपने अपने ग्रुपों में लगायें जिससे पत्रकार बन्धु इस बहुरूपिये की औकात पहचान सकें
*** और हॉ श्री अवधेश भार्गव का यह संदेश है, कि 18 तारीख को भोपाल आना न भूलें,,,मुख्यमंत्री जी का अभिनन्दन जो करना है,,,,,,हम सरकार से कोई मदद नहीं ली,हम साथियों ने मिलकर आपके रुकने व भोजन की ब्यवस्था की है,आप आइये आपका स्वागत है,,,,,लाल सलाम के साथ,,,,,आपका अपना अवधेश भार्गव,

Saturday 4 April 2015

Beraking news

ब्रेकिंग न्यूज
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पहले कलेक्टर भोपाल के द्वारा पत्रकार भवन की लीज निरस्त करने को लेकर बहुरूपिये विजयसिंह भदौरिया उर्फ शलभ भदौरिया उर्फ शंकरा द्वारा मुख्यमंत्री का घेराव 17 अप्रेल को करने की घोषणा,इसके पहले आयुक्त जन सम्पर्क को पत्रकार भवन तोड़कर नया भवन बनाने की अपनी सहमति देने वाला अपराधी चरित्र का यह ब्यक्ति सौदेबाजी पर उतर आया,इसके लिये पत्रकार भवन या पत्रकारों के हितों से कोई लेना देना नहीं,इसे सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी में भी रखा गया,किन्तु जब यह सौदेबाजी में सफल नहीं हो पाया तो सरकार को ब्लैकमेल करने की नीयत से हाईकोर्ट की शरण में चला गया।
मित्रो, यहॉ इस पोस्ट को डालने का उद्देश्य सिर्फ ये है,कि हमारी पत्रकार बिरादरी पत्रकार का चोला पहने,अपराधी प्रकृति,चरित्र के इस ब्यक्ति की असलियत से रूबरु और भिग्य हो जायें,और पत्रकार बिरादरी को सरकार से 10 मंजिला भवन की सौगात के रास्ते में आ रही अड़चनों को निपटाने के लिये एकजुट हो जायें,,। मित्रो, पत्रकार भवन समिति के चुनाव 2012 में हुये थे,उच्च न्यायालय  के आदेश पर,सरकार ने 1998 में इस समिति पर प्रसाशक बैठा दिया था,उस समय यह ब्यक्ति पत्रकार भवन समिति का अध्यक्ष था,श्री श्री पाद वाटवे जो यू एन आई से रिटायर हुये थे,वे उपाध्यक्ष थे,अक्षय मुदगल जो दैनिक भास्कर से रिटायर हुये थे वे सचिव थे,और हंसराज शर्मा कोषाध्यत्ष के पद पर थे,रजिस्ट्रार फर्मस एवम् संस्थायें ने पत्रकार भवन समिति की जॉच करवाई थी,जिसमें इसके विरुद्ध 2.50 लाख के घपले की पुष्टि की थी,इसने जेल जाने के भय से अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और वाटवे जी को अध्यक्ष पद का प्रभार भीसौंप दिया था, यहॉ यह उल्लेखनीय है कि 1995 व 1992 के चुनाव में अपनी गुन्डा गर्दी की दम पर यह अध्यक्ष बनने में कामयाब हो गया था।
पंजीयक को सूचना भी भेज दी गई,और वाटवे जी अध्यक्ष हो गये,रिकार्ड में भी वाटवे जी अध्यक्ष के रूप में दर्ज हो गये।
1998 में रजिस्ट्रार की अनुसंशा पर प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई।प्रसाशक का कार्यकाल तीन वर्ष तक लगातार बढ़ाया जाता रहा किन्तु प्रसाशक चुनाव नहीं करा पाये,और सरकार को अनुसंशा कर दी कि समित में कोई बैधानिक सदस्य नहीं हैं,अतएव पंजीयन निरस्त कर दिया जावे।इस प्रकार 2001 मेंसमिति का पंजीयन निरस्त कर दिया गया।अब तक वाटवे जी 2001 के पूर्व ही भोपाल छोड़कर पूना जा चुके थे,वे समझ चुके थे कि घपले इसने किये हैं और भुगतना मुझे पड़ेगा। 
इस षड़यंत्रकारी ने एक षड़यंत्र कर वाटवे जी के नाम से एक अधिकार पत्र बनाया और सरकार के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट चला गया,वहॉ भी हाईकोर्ट को धोखा दिया और अपने आपको एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन,म.प्क. श्रमजीवी पत्रकार संघ तथा पत्रकारभवन समिति का अध्यक्ष बताकर रिट लगाई।जबकि यह सिर्फ म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ का भर अध्यक्ष था।प्रकरण चलता रहा 2011 में हाई कोर्ट ने निरणय दे दिया ,और समिति का पंजीयन बहाल कर दिया,दुबारा चुनाव कराने के निर्देश दिये,
चुनाव में इसने अपने राजनैतिक रसूख का पूरा लाभ लिया ,और एक सांसद जिसे ये अपने कजिन का साढ़ू कहता है,का इस्तेमाल कर 1995 में आखिरी बार जो चुनाव हुये थे,की सूची पर चुनाव कराने में सफल हो गया,किन्तु इसके मंसूबों में पानीइसलिये फिर गया,कि यह दो बार अध्यक्ष रह चुका था,इसलिये चुनाव नहीं लड़ पाया। किन्तुविनोद तिवारी का अध्ृक्ष बनने से इसके सीने में लाखों सॉप लोटने लगे,और गलत तरीके से विनोद तिवारी को हटा अपने आपको अध्यक्ष घोषित कर लिया।
विनोद तिवारी निर्भीकता से अध्यक्ष बने रहे,और अपना कार्यकाल पूरा होने पर,नयेअध्यक्ष एन पी अग्रवाल बने,उन्हे इसने एक देह ब्यापार के दलाल नफरत अली खान की मदद से और अपने निठल्ले भाई की मदद से दहसत का माहौल बनाकर काम नहीं करने दिया। अग्रवाल ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और इसके गुर्गों के विरुद्ध स्टे प्राप्त कर लिया,और अपना कार्यालय पत्रकार भवन में खोल लिया।मामला यहीं नहीं रुका स्टे के बावजूद अग्रवाल के कार्यालय का ताला तोड़कर इसने व इसके गुर्गों ने कब्जा कर लिया,पुलिस में कई रिर्पोर्ट हुई पर इनके कथित साढ़ू ने अपनी पंहुच के कारण कार्यवाही नहीं होने दी।
यहॉ तक कि स्टे भी कैंसिल करा दिया।अग्रवाल मे दुबारा स्टे लगाया,और अग्रवाल को दुबारा स्टे प्राप्त हो गया।इस बीच इसके गुर्गे पत्रकार भवन का इस्तेमाल किराये से देकर अपनी आय का साधन बना चुके थे,असामाजिक तत्वों को जुये की फड़ चलाने,देहब्यापार के लिये कमरे उपलब्ध कराने,नाटक मंडली को रिहर्सल के लिये किराये से हाल आदि दे चुके थे,नाटक मंडली में चूंकि लड़कियॉ भी आती थी,इसलिये उसकी आड़ में धंधे वाली औरतों को देह ब्यापार के लिये कमरे उपलब्ध कराने लगे,जब अग्रवाल ने ये सब देखा तो खूब शिकायतें की,किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई,अतएव अग्रवाल की टीम ने सरकार द्वारा दी गई जमीन सरकार को वापस कर नये भवन के निर्माण की शर्त के साथ जमीन वापसी की पेशकस कर दी।इधर एक प्रकरण लीज के दुरुपयोग का कलेक्टर न्यायालय में चल ही रहा था ,कलेक्टर ने उसमें सुनवाई कर 2 फरवरी2015 को लीज निरस्त कर दी।कब्जा एस डीएम को सौप दिया गया,एस डी एम ने जनसम्पर्क विभाग को कब्जा सौंप दिया।अब भी सोशल मीडिया में अपने साढ़ू की धौंस और मुख्यमंत्री जी के घेराव की घोषणा कर के कब्जा अपना जमाये बैठा है,
इधर कलेक्टर भोपाल के निर्णय के विरुद्ध कलेक्टर ,राजस्व सचिव,जन सम्पर्क आयुक्त को पार्टी बनाकर हाई कोर्ट जबलपुर में रिट लगा चुका है,वकील सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता को किया है,याचिका का नम्बर है,WP-4721/15 ,याचिका में मुख्य पार्टी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल जिसके विरुद्ध कलेक्टर ने निर्णय दिया है,को पक्षकार नही ं बनाया ,जिसके अध्यक्ष अवधेश भार्गव जबलपुर आपत्ति दरज करवाने पंहुच चुके हैं,
यह बहुरूपिया खुश हो रहा होगा कि पहले जैसे हाई कोर्ट से झूठ बोलकर स्टे प्राप्त कर लेगा,क्यों कि अभी भी भोपाल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन व शलभ भदौरिया नाम से धोखाधड़ी पूर्ण रिट लगाई है,किन्तु इसकी रिट डिफाल्ट में आ चुकी है,और इसके मनसूबों के अनुसार 6 अप्रेल को सुनवाई नहीं हो पायेगी।
आप सब पहचानिये इसे और पत्रकारों के नाम पर कलंक इस अपराधिक चरित्र व अपराधी को हतोत्साहित कर पत्रकारों को मिलने वाली नई सौगात,नया भवन का मार्ग प्रसश्त करने में इसका चरित्र उजागर करें,,,।
( पत्रकार हित में जारी)

Friday 3 April 2015

ब्रेकिंग न्यूज

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पहले कलेक्टर भोपाल के द्वारा पत्रकार भवन की लीज निरस्त करने को लेकर बहुरूपिये विजयसिंह भदौरिया उर्फ शलभ भदौरिया उर्फ शंकरा द्वारा मुख्यमंत्री का घेराव 17 अप्रेल को करने की घोषणा,इसके पहले आयुक्त जन सम्पर्क को पत्रकार भवन तोड़कर नया भवन बनाने की अपनी सहमति देने वाला अपराधी चरित्र का यह ब्यक्ति सौदेबाजी पर उतर आया,इसके लिये पत्रकार भवन या पत्रकारों के हितों से कोई लेना देना नहीं,इसे सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी में भी रखा गया,किन्तु जब यह सौदेबाजी में सफल नहीं हो पाया तो सरकार को ब्लैकमेल करने की नीयत से हाईकोर्ट की शरण में चला गया।
मित्रो, यहॉ इस पोस्ट को डालने का उद्देश्य सिर्फ ये है,कि हमारी पत्रकार बिरादरी पत्रकार का चोला पहने,अपराधी प्रकृति,चरित्र के इस ब्यक्ति की असलियत से रूबरु और भिग्य हो जायें,और पत्रकार बिरादरी को सरकार से 10 मंजिला भवन की सौगात के रास्ते में आ रही अड़चनों को निपटाने के लिये एकजुट हो जायें,,। मित्रो, पत्रकार भवन समिति के चुनाव 2012 में हुये थे,उच्च न्यायालय  के आदेश पर,सरकार ने 1998 में इस समिति पर प्रसाशक बैठा दिया था,उस समय यह ब्यक्ति पत्रकार भवन समिति का अध्यक्ष था,श्री श्री पाद वाटवे जो यू एन आई से रिटायर हुये थे,वे उपाध्यक्ष थे,अक्षय मुदगल जो दैनिक भास्कर से रिटायर हुये थे वे सचिव थे,और हंसराज शर्मा कोषाध्यत्ष के पद पर थे,रजिस्ट्रार फर्मस एवम् संस्थायें ने पत्रकार भवन समिति की जॉच करवाई थी,जिसमें इसके विरुद्ध 2.50 लाख के घपले की पुष्टि की थी,इसने जेल जाने के भय से अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और वाटवे जी को अध्यक्ष पद का प्रभार भीसौंप दिया था, यहॉ यह उल्लेखनीय है कि 1995 व 1992 के चुनाव में अपनी गुन्डा गर्दी की दम पर यह अध्यक्ष बनने में कामयाब हो गया था।
पंजीयक को सूचना भी भेज दी गई,और वाटवे जी अध्यक्ष हो गये,रिकार्ड में भी वाटवे जी अध्यक्ष के रूप में दर्ज हो गये।
1998 में रजिस्ट्रार की अनुसंशा पर प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई।प्रसाशक का कार्यकाल तीन वर्ष तक लगातार बढ़ाया जाता रहा किन्तु प्रसाशक चुनाव नहीं करा पाये,और सरकार को अनुसंशा कर दी कि समित में कोई बैधानिक सदस्य नहीं हैं,अतएव पंजीयन निरस्त कर दिया जावे।इस प्रकार 2001 मेंसमिति का पंजीयन निरस्त कर दिया गया।अब तक वाटवे जी 2001 के पूर्व ही भोपाल छोड़कर पूना जा चुके थे,वे समझ चुके थे कि घपले इसने किये हैं और भुगतना मुझे पड़ेगा। 
इस षड़यंत्रकारी ने एक षड़यंत्र कर वाटवे जी के नाम से एक अधिकार पत्र बनाया और सरकार के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट चला गया,वहॉ भी हाईकोर्ट को धोखा दिया और अपने आपको एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन,म.प्क. श्रमजीवी पत्रकार संघ तथा पत्रकारभवन समिति का अध्यक्ष बताकर रिट लगाई।जबकि यह सिर्फ म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ का भर अध्यक्ष था।प्रकरण चलता रहा 2011 में हाई कोर्ट ने निरणय दे दिया ,और समिति का पंजीयन बहाल कर दिया,दुबारा चुनाव कराने के निर्देश दिये,
चुनाव में इसने अपने राजनैतिक रसूख का पूरा लाभ लिया ,और एक सांसद जिसे ये अपने कजिन का साढ़ू कहता है,का इस्तेमाल कर 1995 में आखिरी बार जो चुनाव हुये थे,की सूची पर चुनाव कराने में सफल हो गया,किन्तु इसके मंसूबों में पानीइसलिये फिर गया,कि यह दो बार अध्यक्ष रह चुका था,इसलिये चुनाव नहीं लड़ पाया। किन्तुविनोद तिवारी का अध्ृक्ष बनने से इसके सीने में लाखों सॉप लोटने लगे,और गलत तरीके से विनोद तिवारी को हटा अपने आपको अध्यक्ष घोषित कर लिया।
विनोद तिवारी निर्भीकता से अध्यक्ष बने रहे,और अपना कार्यकाल पूरा होने पर,नयेअध्यक्ष एन पी अग्रवाल बने,उन्हे इसने एक देह ब्यापार के दलाल नफरत अली खान की मदद से और अपने निठल्ले भाई की मदद से दहसत का माहौल बनाकर काम नहीं करने दिया। अग्रवाल ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और इसके गुर्गों के विरुद्ध स्टे प्राप्त कर लिया,और अपना कार्यालय पत्रकार भवन में खोल लिया।मामला यहीं नहीं रुका स्टे के बावजूद अग्रवाल के कार्यालय का ताला तोड़कर इसने व इसके गुर्गों ने कब्जा कर लिया,पुलिस में कई रिर्पोर्ट हुई पर इनके कथित साढ़ू ने अपनी पंहुच के कारण कार्यवाही नहीं होने दी।
यहॉ तक कि स्टे भी कैंसिल करा दिया।अग्रवाल मे दुबारा स्टे लगाया,और अग्रवाल को दुबारा स्टे प्राप्त हो गया।इस बीच इसके गुर्गे पत्रकार भवन का इस्तेमाल किराये से देकर अपनी आय का साधन बना चुके थे,असामाजिक तत्वों को जुये की फड़ चलाने,देहब्यापार के लिये कमरे उपलब्ध कराने,नाटक मंडली को रिहर्सल के लिये किराये से हाल आदि दे चुके थे,नाटक मंडली में चूंकि लड़कियॉ भी आती थी,इसलिये उसकी आड़ में धंधे वाली औरतों को देह ब्यापार के लिये कमरे उपलब्ध कराने लगे,जब अग्रवाल ने ये सब देखा तो खूब शिकायतें की,किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई,अतएव अग्रवाल की टीम ने सरकार द्वारा दी गई जमीन सरकार को वापस कर नये भवन के निर्माण की शर्त के साथ जमीन वापसी की पेशकस कर दी।इधर एक प्रकरण लीज के दुरुपयोग का कलेक्टर न्यायालय में चल ही रहा था ,कलेक्टर ने उसमें सुनवाई कर 2 फरवरी2015 को लीज निरस्त कर दी।कब्जा एस डीएम को सौप दिया गया,एस डी एम ने जनसम्पर्क विभाग को कब्जा सौंप दिया।अब भी सोशल मीडिया में अपने साढ़ू की धौंस और मुख्यमंत्री जी के घेराव की घोषणा कर के कब्जा अपना जमाये बैठा है,
इधर कलेक्टर भोपाल के निर्णय के विरुद्ध कलेक्टर ,राजस्व सचिव,जन सम्पर्क आयुक्त को पार्टी बनाकर हाई कोर्ट जबलपुर में रिट लगा चुका है,वकील सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता को किया है,याचिका का नम्बर है,WP-4721/15 ,याचिका में मुख्य पार्टी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल जिसके विरुद्ध कलेक्टर ने निर्णय दिया है,को पक्षकार नही ं बनाया ,जिसके अध्यक्ष अवधेश भार्गव जबलपुर आपत्ति दरज करवाने पंहुच चुके हैं,
यह बहुरूपिया खुश हो रहा होगा कि पहले जैसे हाई कोर्ट से झूठ बोलकर स्टे प्राप्त कर लेगा,क्यों कि अभी भी भोपाल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन व शलभ भदौरिया नाम से धोखाधड़ी पूर्ण रिट लगाई है,किन्तु इसकी रिट डिफाल्ट में आ चुकी है,और इसके मनसूबों के अनुसार 6 अप्रेल को सुनवाई नहीं हो पायेगी।
आप सब पहचानिये इसे और पत्रकारों के नाम पर कलंक इस अपराधिक चरित्र व अपराधी को हतोत्साहित कर पत्रकारों को मिलने वाली नई सौगात,नया भवन का मार्ग प्रसश्त करने में इसका चरित्र उजागर करें,,,।
( पत्रकार हित में जारी)

पत्रकारिता के क्षेत्र में गिरावट क्यों( पत्रकार बदनाम क्यों ~~~~~~~~~~~~~~~~

पत्रकारिता के क्षेत्र में गिरावट क्यों( पत्रकार बदनाम क्यों
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~~~~~~जेताराम परिहार ~~~~~~~~~~
बदलते समय और बदलती सोच के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र मेंदिन प्रतिदिन गिरावट आ रही है इस मुद्दे पर आज देश में गर्मा गरम बहस भी छिड चुकी है। देश के लोकतंत्र का मजबूत चौथा स्तम्भ कहा जाने वाला पत्रकारिता का क्षेत्र भी अब इस भ्रष्टाचार से अछूता नही रहा। आज पैसे की चमक ने पत्रकारिता के मिशन को व्यवसाय बना दिया। ये ही कारण है कि आज देश में भ्रष्टाचार के कारण हाकाहार मचा है। मंहगाई आसमान छू रही है। राजनेता, अफसर देश को लूटने में लगे है और गुण्डे मवाली, सफेद खददर में संसद भवन में पिकनिक मना रहे है। पूंजीपतियो, राजनेताओ, अफसरो के बडे बडे विज्ञापनो ने पैसे के बल पर आज मीडिया के जरिये आम आदमी की समस्या और उस की उठने वाली आवाज को दबा कर रख दिया गया है।
दूसरा सब से बडा सवाल आज पत्रकारिता के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन बडी तादात में अशिक्षित, कम पढे लिखे और अप्रशिक्षित संवाददाओ की एक बडी दिशाहीन सेना का प्रवेश भी पत्रकारिता के क्षेत्र में भ्रष्टाचार बढाने में बडा योगदान दे रहा है। ये वो लोग है जो जेब में कलम लगाकर रोज सुबह शाम सरकारी अफसरो और दफ्तरो के चक्कर काटते रहते है। और ये भ्रष्ट अफसर इन लोगो को समय समय पर विज्ञापन, शराब और भोज का भोग लगाना नही भूलते। क्यो की आज पत्रकारिता वो पत्रकारिता नही रही जब देश की आजादी में पत्रकारिता और पत्रकारो की एक अहम भूमिका हुआ करती थी। अंग्रेजी सरकार के विरूद्व देशवासियो को जागरूक करने में देश के समाचार पत्रो की भूमिका निर्णायक होती थी। उस समय प्रकाशित समाचार पत्र किसी निजी या विदेशी कंपनी के नही होते थे बल्कि कुछ सिरफिरे लोग समाचार पत्र या पत्रिका का प्रकाशन देशहित में करते थे। यह उनका देश प्रेम होता था जो आम आदमी को पीडित होते देख खुद पीडा से कांप उठते थे और उन की कलम एक जुनून का रूप धारण कर लेती थी।
"एक पत्रकार की कलम ऐसी होनी चाहिए जो हजारो को देश हित में खड़ा कर सके"
आजादी की लड़ाई में पत्रकारो की अहम भूमिका थी।
इस काल के पत्रकार, लेखक, शायर, कवि बेहद सादा गरीबी रेखा से नीचे का जीवन व्यतीत करता था। उस की समाज में विशेष छवि हुआ करती थी। दिन भर मेहनत मजदूरी करने के बाद शाम को लालटेन की रोशनी में टाटल के कलम और रोशनाई में अपना खून पसीना मिलाकर अपने कलम के जौहर दिखाता था। आज शायद ही देश के किसी कोने में इस तरह के पत्रकार अपनी जीविकोपार्जित करने के बाद पत्रकारिता कर रहे हो।
आज यदि देश के मीडिया में व्याप्त भ्रष्टाचार पर नज़र डाली जाये तो मालुम होता है कि बडे स्तर पर तथाकर्थित रूप से प्रेस से जुडकर कुछ पूँजीपतियो ने अपने नापाक उद्देश्यों की पूर्ति के लिये देश के सब से शक्तिशाली संसाधन मीडिया को गुपचुप तरीके से कारपोरेट मीडिया का दर्जा दिला दिया। कारपोरेट मीडिया से मेरी मुराद है मीडिया प्रोड़क्शन, मीडिया डिस्ट्रीब्यूशन, मीडिया प्रोपट्री। इन लोगो द्वारा मीडिया में पूंजीनिवेश कर एक ऐसी व्यवस्था बना दी गई है जिस में मल्टीनेशनल उद्योगिक प्रतिष्ठानों तथा व्यापारिक घरानो का होल्ड होता चला गया। इस व्यवस्था में पूंजीनिवेशको, शेयर होल्डरो, और विज्ञापनदाताओ के हितो की रक्षा तथा अधिक से अधिक धन बटौरने के सिद्वांतो पर तेजी से चला जाने लगा और मीडिया के असल मकसद जनहित और राष्ट्रहित को पीछे छोड दिया गया। मीडिया में प्रवेश करते ही इन पूंजीपतियो ने प्रेस की विचारधारा बदलने के साथ ही लोगो की सोच भी बदल दी। माहौल को अपनी इच्छापूर्वक बनाने के अलावा व्यापार, उघोग, धर्म, राजनीति, संस्कृति, सभ्यता आज जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नही बचा जिस में मीडिया का प्रयोग वैध या अवैध रूप से न किया जा रहा हो। आज समाचार पत्रो पर विज्ञापनो का प्रभाव इस सीमा तक बढ गया है कि कई समाचार पत्रो में संपादक को समाचार पत्र में विज्ञापन और मालिक के दबाव में अपना संपादकीय तक हटाना पड जाता है। वही संपादक लेख और समाचारो का चयन पाठक की रूची के अनुसार नही बल्कि विज्ञापन पर उनके प्रभाव के अनुसार करता है।
दरअसल ये सारा का सारा बिगाड़ 1990 से तब फैला जब भारत ने अर्तंराष्ट्रीय मॉनेटरी फण्ड और विश्व बैंक के दबाव में वैश्वीकरण के नाम पर अपने दरवाजे अर्तंराष्ट्रीय कम्पनियो व पूंजीपतियो के लिये खोल दिये। भारत 30-35 करोड़ दर्षको और लगभग 50 करोड़ से ऊपर अखबारी पाठको का विश्व का सब से बडा बाजार है इसी लिये कई मल्टीनेशनल कम्पनिया तेजी के साथ भारत में दाखिल हुई और मीडिया के एक बडे क्षेत्र पर अपना कब्जा जमा लिया। वैश्वीकरण की नीतियो के कारण सरकार का मीडिया पर से नियंत्रण समाप्त हो गया और देश के लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ देश और जनता के हितो की सुरक्षा करने के बजाय चंद पूंजीपतियो की सेवा और इनके हाथो की कठपुतली बन गया। आज समाचार पत्र प्रकाशित करना एक उद्योग का रूप धारण कर चुका है। सरकार को डराने के साथ ही सरकार गिराने और बनाने में भी सहयोग प्रदान करने के साथ ही लोगो के विचारो को दिशाहीन कर उन्हे भटकाने का कार्य भी करने लगा है। आज किसी नामचीन गुण्डे को सिर्फ चंद घंटो में मीडिया माननीय, सम्मानीय, वरिष्ट समाजसेवी, राजनीतिक गुरू, महापुरूष एक लेख या विज्ञापन के द्वारा बना सकता है। वही आज समचार पत्र और टीवी चैनल ऐसे मुद्दो को ज्यादा महत्व देते है जो विवादित हो।
आज दिन प्रतिदिन बडी तादात में अशिक्षित, कम पढे लिखे और अप्रशिक्षित संवाददाओ की एक बडी दिशाहीन सेना का प्रवेश भी पत्रकारिता के क्षेत्र में भ्रष्टाचार बढाने में बडा योगदान दे रहा है। ये वो लोग है जो जेब में कलम लगाकर रोज सुबह शाम सरकारी अफसरो और दफ्तरो के चक्कर काटते रहते है। और ये भ्रष्ट अफसर इन लोगो को समय समय पर विज्ञापन, शराब और भोज का भोग लगाना नही भूलते। क्यो की आज पत्रकारिता वो पत्रकारिता नही रही जब देश की आजादी में पत्रकारिता और पत्रकारो की एक अहम भूमिका हुआ करती थी। अंग्रेजी सरकार के विरूद्व देशवासियो को जागरूक करने में देश के समाचार पत्रो की भूमिका निर्णायक होती थी। उस समय प्रकाशित समाचार पत्र किसी निजी या विदेशी कंपनी के नही होते थे बल्कि कुछ सिरफिरे लोग समाचार पत्र या पत्रिका का प्रकाशन देशहित में करते थे। यह उनका देश प्रेम होता था जो आम आदमी को पीडित होते देख खुद पीडा से कांप उठते थे और उन की कलम एक जुनून का रूप धारण कर लेती थी। इस काल के पत्रकार, लेखक, शायर, कवि बेहद सादा गरीबी रेखा से नीचे का जीवन व्यतीत करता था। उस की समाज में विशेष छवि हुआ करती थी। दिन भर मेहनत मजदूरी करने के बाद शाम को लाटेन की रोशनी में टाटल के कलम और रोशनाई में अपना खून पसीना मिलाकर अपने कलम के जौहर दिखाता था। आज शायद ही देश के किसी कोने में इस तरह के पत्रकार अपनी जीविकोपार्जित करने के बाद पत्रकारिता कर रहे हो।
जब से मीडिया का व्यवसायीकरण हुआ है तभी से भ्रष्टाचार ने भी इस क्षेत्र में प्रवेश किया है। क्यो की व्यवसायीकरण होने के बाद अखबार मालिका का पत्रकारिता के प्रति नजरिया ही बदल गया। पैसे की चकाचौध में कारपोरेट मीडिया के नजदीक आम आदमी मंहगाई से मरे या भूख से, सरकारी गोदामो के आभाव में गेंहू बारिश में भीगे या जंगली जानवर खाये, सरकार भ्रष्ट हो या ईमानदार समाचार पत्र में मेटर हो या न हो इस से फर्क नही पडता क्यो की आज अखबार मालिको के ये सब लक्ष्य नही है। अधिक से अधिक विज्ञापन की प्राप्ती ही आज हर एक अखबार का असल लक्ष्य हो चुका है। सवाल ये उठता है कि मीडिया का उद्देश्य और लक्ष्य ही जब विज्ञापन प्राप्त करना हो जाये तो फिर सच्ची और मिशन पत्रकारिता का महत्तव ही समाप्त हो जाता

Wednesday 1 April 2015

बदनाम भवन धमाके से उड़ाओ,पत्रकारों ने दी सरकार को हरी झंडी

बदनाम भवन धमाके से उड़ाओ,पत्रकारों ने दी सरकार को हरी झंडी

ब्लैकमेलरों की संपत्तियों की जांच करवाकर जेल भेजा जाए,सरकारी मकान भी खाली हो
भोपाल,31मार्च। मालवीय नगर स्थित पत्रकार भवन सरकार को सुपुर्द करने के बाद पत्रकारों में नया भवन बनाए जाने की बेसब्री इतनी ज्यादा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भेंट करके अनुरोध किया कि पुराने भवन को डायनामाईट लगाकर उड़ा दिया जाए।इस जगह को विस्तार देकर यहां दुबई के समान भव्य इमारत बनाई जाए जो मध्यप्रदेश की शान हो। इस इमारत का इस्तेमाल व्यवसायिक तौर पर किया जाए ताकि इससे सरकार का खजाना भी भरा जा सके और पत्रकारों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त संवाद केन्द्र बनाया जा सके। यह भवन सरकार और प्रदेश की जनता के बीच स्वस्थ संवाद स्थापित करेगा। यही नहीं पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि इस पुनीत कार्य में अडंगा लगा रहे ब्लैकमेलरों की संपत्तियों की जांच करवाकर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में उन्हें जेल भेजा जाए।इस दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ जनसंपर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल और मुख्यमंत्री के सचिव व जनसंपर्क आयुक्त एस.के.मिश्रा भी उपस्थित थे।
बिरादरी की बदनामी से नाराज पत्रकारों ने कहा कि जिन ब्लैकमेलरों की हायर सेकेन्डरी की मार्कशीट तक नहीं है उन्हें कांग्रेस की सरकारों ने सरकारी मकान आबंटित कर दिया था,ऐसे पत्रकारों के मकान खाली कराए जाएं और उन्हें पत्रकारिता से बेदखल किया जाए। पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से कहा कि जन प्रतिनिधियों को पांच साल बाद चुनावों का सामना करना पड़ता है लेकिन पत्रकार भवन पर कब्जा जमाने वाले बीस सालों से यहां जमे बैठे हैं।इतने सालों में उन्होंने सरकारी अफसरों, आम जनता और यहां तक कि सरकार तक को ब्लैकमेल करके करोड़ों रुपयों की संपत्तियां जुटा लीं हैं। ये ब्लैकमेलर करोड़पति बन गए हैं इसके बाद भी सरकारी मकानों पर कब्जा जमाए बैठे है। कांग्रेस की भ्रष्ट सरकारों ने कई ऐसे लोगों को सरकारी मकान आबंटित कर रखे हैं जिनके पास हायर सेकेण्डरी तक की मार्कशीट नहीं है। इन लोगों पर हजारों रुपयों का किराया भी बाकी है जिसे तत्काल वसूला जाए। अब तक की सरकारों को ये ब्लैकमेलर पत्रकारों के नाम पर धमकाते रहे हैं लेकिन अब इनकी हैसियत लोगों के सामने आ गई है।
जब मुख्यमंत्री ने ऩए भवन के निर्माण के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं में लगने वाले समय का उल्लेख किया तो पत्रकारों ने उनसे कहा कि पुराने भवन के खिड़की दरवाजे उखड़वाकर उसे धराशायी करने की प्रक्रिया तत्काल की जानी चाहिए। पत्रकारों ने कहा कि जब किसी एक्सीडेंट में मृत व्यक्ति की देह को सड़क पर रखकर लोग प्रदर्शन करते हैं तो कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार पुलिस अंतिम संस्कार करवाकर लोगों को शांत करती है। इसी तरह जो भवन जीर्णशीर्ण हो गया है और पत्रकारिता की गतिविधियों के बजाए ब्लैकमेलिंग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है उसे तत्काल धऱाशायी किया जाना चाहिए,ताकि समाज विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके।
पत्रकारों ने भवन की लीज समाप्त होने और उसका अधिग्रहण करके नया भवन बनवाए जाने का फैसला लेने के लिए सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को धन्यवाद ज्ञापित किया। पत्रकारों ने कहा कि ये इतना सराहनीय कदम है कि इसके कारण राजधानी और प्रदेश भर के अधिकांश पत्रकार सरकार को अपना समर्थन दे रहे हैं। पत्रकारों ने कहा कि जनता का बजट चुराने वाला सत्ता माफिया अब तक मध्यप्रदेश की प्रगति में रोड़ा बना हुआ था। यह कार्य पत्रकारों और पत्रकारिता की आड़ में किया जा रहा था। जो लोग पिछले बीस सालों से प्रदेश हित में आवाज उठाने वाले पत्रकारों के खिलाफ षड़यंत्र करके सत्ता माफिया को संरक्षण दे रहे थे उनके खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और उन्हें पत्रकारों की किसी समिति में स्थान न दिया जाए।
भवन की भावी इमारत के संबंध में भी पत्रकारों ने कई सुझाव दिए। पत्रकारों का कहना था कि व्यावसायिक क्षेत्र की इस जमीन पर बनने वाली इमारत प्रदेश के विकास को दृष्टिगत रखते हुए ही बनाई जाए। इसका न केवल व्यावसायिक इस्तेमाल हो बल्कि वह प्रदेश की गौरवशाली इमारतों में भी गिनी जाए। इस भवन में पत्रकारों के लिए विशाल आयोजन स्थल , प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए आधुनिक हाल, अखबारों के प्रतिष्ठानों के लिए प्रकोष्ठ और पत्रकारों के लिए बैठक हाल निर्मित किया जाए। यहां सर्वसुविधा युक्त कैंटीन भी बनवाई जाए जहां पत्रकारों को सब्सिडी पर भोजन सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। पत्रकारों को स्टेडियम और स्वीमिंग पूल जैसी सुविधाओं के लिए अन्यत्र मौजूदा स्थानों पर निःशुल्क प्रवेश पत्र उपलब्ध कराए जाएं।पत्रकारों ने कहा कि आधुनिक पूंजीवाद के दौर में ट्रेड यूनियन मूवमेंट समाप्त प्राय और अप्रासंगिक हो गया है इसलिए नए भवन में पुरानी यूनियनों के लिए कोई जगह न दी जाए, ताकि इस भवन को राजनीति का अखाड़ा बनने से रोका जा सके। पत्रकारों ने कहा इस नए भवन के संचालन के लिए पत्रकारों की कमेटी बनाई जाए जिसके प्रतिनिधियों का कार्यकाल निश्चित हो। यह शर्त इसलिए लगाई जाए ताकि भविष्य में कोई व्यक्ति इस स्थान का दुरुपयोग न कर सके।पत्रकारों के सुझावों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सकारात्मक रुख अपनाते हुए कहा कि इस स्थान पर बनने वाला नया भवन पत्रकारों की तमाम आशाओं को पूरा करेगा। उन्होंने प्रदेश हित में आवाज उठाने पर पत्रकारों के प्रति आभार भी प्रदर्शित किया।

आंदोलन को कुचलने के लिए एस के मिश्रा ने जनसंपर्क विभाग से पोषित सज़ायाफ़्ता अपराधी को बनाया अपना मोहरा

आंदोलन को कुचलने के लिए एस के मिश्रा ने जनसंपर्क विभाग से पोषित सज़ायाफ़्ता अपराधी को बनाया अपना मोहरा
भोपाल. मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के बैनर तले 17 अप्रेल को भोपाल में होने वाले पत्रकारों के जंगी प्रदर्शन से जनसम्पर्क आयुक्त इत्ने भयभीत हैं कि अब वह जनसम्पर्क विभाग से पोषित सज़ायाफ्ता अपराधी को मोहरा बनाकर आंदोलन को विफल करने का प्रयास कर रहे है.
जनसंपर्क आयुक्त सत्तर के दशक के कुख्यात ठग श्रीराम सोनी के चेले सज़ायाफ्ता अपराधी , जनसम्पर्क विभाग से  पोषित अवधेश भार्गव को मोहरा बना कर श्री शलभ भदौरिया पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं. एस के मिश्रा अपराधियों की पत्रकारिता में घुसपैठ कराकर  मुख्यमंत्री की उस भावना की खिल्ली उड़ा रहे हैं जिसमें मुख्यमंत्री बार-बार गंदगी और मीडिया के गठजोड़ पर चिंता व्यक्त करते हुए इस गठजोड़ को समाज के लिए घातक बताते हुए नही अघाते.
अवधेश भार्गव के अपराधिक जीवन का चित्रण राजधानी के पत्रकार अरशद अली ख़ान ने अपने कालम "बाबा गुरूघंटाल" में बड़ी सुंदरता से किया है .जिसका शीर्षक है "अवैध भाग्गव की कहानी बाबा गुरूघंटाल की जुबानी" आपके लिए प्रस्तुत है-
 सत्तर के दशक के कुख्यात ठग श्रीराम सोनी के चेले अवैध भागगव की कहानी  बाबा गुरुघंटाल  की जुबानी
बाबा गुरुघंटाल अपनी कुटिया में धूनी रमा रहे थे , तभी चेला मस्तराम आ धमका , उसने बाबा को दंडवत होकर प्रणाम किया, बाबा ने मुस्कुराकर चेला मस्तराम को आशीर्वाद दिया और सवेरे -सवेरे आने का कारण पूछा।
चेला मस्तराम - बाबा आजकल अवैध भागगव की बड़ी चर्चा है , इसके बारे में विस्तार से प्रकाश डालें।
बाबा गुरुघंटाल -चेला मस्तराम तूने भी कहां सवेरे -सवेरे उस दुष्ट का नाम लेकर मेंरे दिमाग का दही कर दिया। आज क्या तेरे मन में किसी भले मानस के बारे में जानने का विचार नहीं आया जो इस थर्ड क्लास के बारे में जानने चला आया। तो अब सुन इस दुष्ट अवैध  भागगव के कुकर्मो की कहानी -
जैसा इसका नाम है , वैंसे ही इसके कर्म हैं। सत्तर के दशक के कुख्यात ठग श्रीराम सोनी का चेला है यह जालसाज़ । इसका आधा जीवन जेल में गुजरा और शेष जीवन सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण करके बनायीं झुग्गी में रहकर। बापू नगर की झुग्गी में रहने वाला  यह जालसाज़ पहले भोले नगर की झुग्गी में रहता था  वही पास में रहने वाले  एक मानस से इसकी जान -पहचान हो गयी, जो बाद में कलेक्टर बन गया फिर क्या था इसकी तो चल पड़ी। इसने उसे अपना भाई बताना शुरू कर दिया और उसके क्षेत्र के एक टेंट वाले से काम करने के नाम पर ८ लाख रूपये हड़प लिए और काम आज तक नहीं हुआ। फ़र्जी रवन्ने बना कर लाखो रूपये की इमारती लकड़ी बेचने और हर्टीकल्चर डिपार्टमेंट में फ़र्जी बाउचर से लाखो रूपये निकलने वाले इस चीटर के कुकर्मो की सूची इतनी लम्बी है कि उसे लिखने के लिए एक श्रृखला चलना पड़ेगी।
चेला मस्तराम - परन्तु बाबा  यह जालसाज़ तो आज - कल एक पठान को पानी पी-पी कर गलियां बक रहा है। इसके पीछे क्या कारण है कृपया बताएं। 
बाबा गुरुघंटाल - अवैध भागगव का तिलमिलाना स्वभाविक है। पठान भी कम नहीं है , शीशे से पत्थर तोड़ता है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए उसने अवैध भागगव को इसकी  कमाई के ठिकाने से भगा दिया और इसके कुकर्मों की कुंडली खंगालने में लगा हुआ है।  चर्चा है कि पठान बहुत जल्द बड़े स्तर पर इसके कुकर्मो की दासतां प्रमाणों के साथ समाज के सामने लाकर इसके चेहरे पर पड़े नकाब को नोचने वाला है। भागगव की  बौखलाहट इस बात को लेकर भी है कि पठान  हर उस ठिकाने पर इसके दुष्कर्मो की कहानी चस्पा करेगा जहां - जहां यह धूर्त अपने को पत्रकार बताकर पारसा बना फिरता है। पठान के बारे में यह कहता है की वो बीड़ी पीता है  उसे यह नहीं मालूम कि पठान अपनी मेहनत की कमाई से अपने शोक़ पूरे करता है , उसने फ़र्जी रवन्ने बना - बना कर, हर्टीकल्चर में डांका डालकर या सरकारी अफसरों - ठेकेदारो या बिल्डरों को हड़का कर उसकी तरह अपने शोक पूरे करने की आदत नहीं डाली। 
सब जानते है कि अवैध भागगव को पिछले  भाग में गंभीर बीमारी क्यों हुयी ? क्यों कि इसके उस भाग का उपयोग अधिक हो गया था। इस हद तक की मेल नर्स रहते हुए इसने एक साथी से अपना शोक़ पूरा करने के लिए जबरदस्ती की और वह नहीं माना तो भागगव ने  उसका वो अंग ही काट दिया।
 पठान का बस यही अपराध है कि उसने पत्रकारिता में गंदगी फेलाने वाले अपराधियों के खिलाफ बीड़ा उठाया है,  यदि यह अपराध है तो पठान को यह अपराध बार -बार करना चाहिए।
पठान का प्रयास है कि पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे से अपराधी पलायन करें और पत्रकारिता का सम्मान हो। यही कारण है कि अपनी मण्डली में लंगड़े के नाम से बदनाम यह चीटर पठान पर तथ्यहीन और मनघड़ंत आरोप मंडकर अपने कुकर्मो को छुपाने का प्रयास कर रहा है।
चेला मस्तराम - परन्तु बाबा इस दुष्ट से तो इसका परिवार कष्ट में रहता होगा ?
बाबा गुरुघंटाल - काहे का परिवार, पत्नी और बच्चे भी इसके नहीं हैं, वो भी भगवानदास सिंधी के है जिन्हें यह जाल -साज़ अपना बताता है। उसकी कहानी कुछ इस तरह है -जब अवैध भागगव जेल में सजा काट रहा था तभी भगवानदास सिंधी भी जेल में बंद था, उससे मिलने उसकी पत्नी भी आया करती थी,, इसी बीच भागगव की नज़र भगवानदास की पत्नी पर ख़राब हो गयी और जेल से छूटने के बाद भागगव भगवानदास के साथ रहने लगा, गरीब भगवानदास को क्या पता था कि जिसे वो  अपना  मित्र मानकर आश्रय दे रहा है वही एक दिन शत्रु बनकर  उसकी अर्धांग्नि को लेकर भाग जायेगा। उस दिन के बाद से भगवानदास का किसी को कुछ पता नहीं है , कोई कहता है की इस सदमें में वह पागल हो गया , कोई कहता है की उसकी हत्त्या हो गयी ? सच क्या है यह ईश्वर ही जनता है। 
चेला मस्तराम - बाबा इसकी मित्रमंडली के बारे में बताएं। 
बाबा गुरुघंटाल - काहे की मित्र मण्डली, जितने शहर के चोर - उचक्के है वो सब इसकी मित्रमंडली में शामिल हैं, हत्यारे, डकैत, ब्लैक मेलर, हफ्ता वसूली करने वाले, चकले चलने वाले, चारसो बीस और पत्रकारिता की आड़ में सूचना के अधिकार के नाम पर अधिकारीयों, ठेकेदारों और बिल्डरों को हड़काकर उनसे वसूली करने वाले और फ़र्ज़ी  प्रसार संख्या बताकर सरकारी विज्ञापन बटोरने वाले लोग इस की गैंग में शामिल हैं। रोचक तथ्य यह है की यह सब दिखावे के लिए एक हैं. वास्तव में सब एक दूसरे को निर्वस्त्र करने में लगे रहते है। 
चेला मस्तराम - मतलब इन दुष्टों का कोई धर्म - ईमान और चरित्र नही है। बाबा आपने मेरा ज्ञानवर्धन किया इसके लिए धन्यवाद , लेकिन दुःख इस बात का है कि भागगव जैसें लोग पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे में घुसकर समाज में हुड़दंग मचा रहे है और जिम्मेदार लोग मूकदर्शक बनकर इन दुष्टों का तमाशा देख रहे हैं !
अरशद अली ख़ान  -09425025438
अपराधी भगाव -पत्रकारिता बचाव
जनहित में जारी
अपनी करतूतों को छिपाने के लिए समय -समय पर यह अपराधी सरकारी अफसरों की दलाली करता रहता है पढ़िए यह रिपोर्ट जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार से अवधैश भार्गव ने राजगढ़ के एक पत्रकार को झूठे मामले में फसाने के लिए  घिनौना शड्यंत्र रचा -
पत्रकार अनूप सक्सेना पर महिला से छेड़छाड़ का झूठा प्रकरण लगवाने के सूत्रधार अवधेश भार्गव और यावर खान 
भोपाल। सोशल मीडिया के जरिये  राजगढ़ जिले के जुझारू पत्रकार अनूप सक्सेना को ब्लैक मेलर बताने वाले अवधेश भार्गव और यावर खान जैसे  धूर्तो की करतूतों का खुलासा उस समय हुआ जब आवेदिका श्रीमती संगीता सक्सेना के आवेदन पर पुलिस उप महानिरीक्षक भोपाल रेंज ने मामले की जांच नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा को करने के निर्देश दिए। जब नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा ने मामले की जांच की तो पता चला कि अनूप सक्सेना पर लगा छेड़छाड़ का आरोप पूरी तरह फ़र्ज़ी है और इसके सूत्रधार अवधेश भार्गव और यावर खान वकील हैं। 
नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा ने पुलिस उप महानिरिक्षक को प्रेषित अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि " तथ्यों के संबंध में मेरे द्वारा आवेदिका संगीता सक्सेना व प्रकरण से सम्बंधित फरियादिया श्रीमती कशिश नवलानी पत्नी सतीश नवलानी , प्रकरण के साक्षी गौरव पिता समतेराज, बलराम पिता कन्हैया , अन्य साक्षी गोलू रावत पिता काशीराम, सतीश नवलानी को तलब कर पूछताछ कर कथन लिए गए हैं  तथा घटना के सम्बन्ध में  वास्तविक स्थिति स्पष्ट करते हुए सीएसपी एम पी नगर श्री अरविन्द खरे , थाना प्रभारी अशोका गार्डन श्री रुपेश दुबे व प्रकरण के विवेचक उप निरीक्षक आर सी जर्या से लिखित में स्पष्टीकरण प्राप्त किया गया तथा जांच के दौरान पाये गए तथ्यों एवं आये नामो के आधार पर कशिश , यावर खान वकील ,अवधेश भार्गव के मोबाईल नंबरों की काल डिटेल प्राप्त की गयी , जो जांच में संलग्न है।"
नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा ने अपने चार पृष्ठ की रिपोर्ट में आगे लिखा है कि " प्रकरण की फरयादिया कशिश नवलानी ने अपने कथन में बताया है कि इसका इसके पति से तलाक़ का केस भोपाल कोर्ट में चल रहा है , जिसका वकील यावर खान है , इसी यावर खान व अवधेश भार्गव के कहने पर इसने घटना दिनांक 27.12.13 को अनूप सक्सेना नाम के व्यक्ति के विरुद्ध झूठी छेड़छाड़ की शिकायत थाना अशोक गार्डन में व सीएसपी आफिस एम पी नगर एवं एस पी आफिस में की थी , जिस पर झूठा छेड़छाड़ का अपराध अनूप सक्सेना के विरुद्ध दर्ज कराया है। यह अनूप सक्सेना को कभी नहीं मिली है और न ही जानती पहचानती है। अनूप सक्सेना द्वारा इसके साथ घटना दिनांक को कोई छेड़छाड़ नहीं की है। 
प्रकरण के मुख्य गवाह गौरव पिता समतेराज, बलराम पिता कन्हैया एवं गोलू रावत ने भी एक दूसरे के कथनों की ताईद करते हुए बताया है कि घटना दिनांक को यावर खान वकील व अवधेश भार्गव के कहने पर व उनके द्वारा लालच व नौकरी दिलाने का प्रलोभन दिए जाने के कारण इन्होंने पुलिस के सामने झूटी गवाही दी थी , इनके सामने घटना दिनांक 27.12.14 को घटना स्थल साक्षी इंटरप्राइजेस के सामने अशोक गार्डन में ऐसी कोई छेड़छाड़ जैसी घटना किसी के साथ नही हुई थी , यह किसी कशिश व अनूप सक्सेना नाम के व्यक्ति को जानते पहचानते नहीं है। "
   नगर  पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा की सनसनी खेज़ इस  रिपोर्ट  से स्पष्ट है  कि किस प्रकार से ईमानदार पत्रकारों को दुष्ट और जालसाज़ लोगों के कारण झूठे मुक़दमों से दो -चार होना पड़ता है। 
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और पुलिस महानिदिशक श्री सुरेन्द्र सिंह को चाहिए कि अवधेश भार्गव जैसे चीटरों की पृष्ठभूमि की जांच कराकर समाज के सामने बे नक़ाब करें जिससे फिर कोई अनूप सक्सेना जैसा निर्दोष पत्रकार फिर कभी  झूठे मामले में ना फंस सके.
दुर्भाग्य देखिए कि एक तरफ़ मुख्यमंत्री जी गंदगी से मीडिया के गठजोड़ पर चिंता व्यक्त करते हैं दूसरी और जनसम्पर्क विभाग के अधिकारी अपने व्यक्तिगत हितों के लिए अवधेश भार्गव जैसी गंदगी को संरक्षण दे रहे हैं. लाखों रूपय के विज्ञापन देकर आर्थिक लाभ पहुंचाकर सज़ायाफ़ता अपराधी को पत्रकारों की जमात में शामिल करके मुख्यमंत्री की इच्छा का मज़ाक बना रहे हैं. 
हमारा मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि अधिकारियों और अपराधियों के गठजोड़ को तौड़ने के लिए सख़्त क़दम उठाएं  वर्ना एस के मिश्रा जैसे कालीदास जिस डाल पर बैठेंगे  उसी को काटेगे.

भोपाल में अत्याधुनिक मीडिया सेंटर बनेगा

भोपाल में अत्याधुनिक मीडिया सेंटर बनेगा - मुख्यमंत्री श्री चौहानमुख्यमंत्री को धन्यवाद देने बड़ी संख्या में आये पत्रकार भोपाल  मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पत्रकारों की सहमति के अनुरूप भोपाल में अत्याधुनिक मीडिया सेंटर बनाया जायेगा। सेन्टर का शिल्प अद्भुत होगा। प्रयास है कि इसका शिलान्यास जून माह में किया जाये। श्री चौहान ने यह बात आज यहाँ मुख्यमंत्री निवास में बड़ी संख्या में आए पत्रकारों के साथ चर्चा में कही। पत्रकार मीडिया सेंटर निर्माण की पहल के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद देने आये थे। इस अवसर पर जनसंपर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मीडिया सेंटर स्वायत्त होगा। इसमें सरकार सहयोग करेगी किन्तु उसका कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। मीडिया सेंटर के भवन निर्माण, संचालन और प्रशासन संबंधी व्यवस्थाओं के लिए अलग-अलग उप समितियाँ बनाई गई हैं। इसकी सदस्यता स्थाई नहीं होगी। सदस्यों का निश्चित कार्यकाल होगा। निश्चित अवधि के बाद सदस्य बदलते रहेंगे। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की सहमति से मीडिया सेंटर निर्माण के लिए आर्किटेक्ट का चयन कर लिया गया है। कार्य को निश्चित समय-सीमा में पूर्ण करने का प्रयास किया जायेगा।
पत्रकारों में महेश श्रीवास्तव, लज्जा शंकर हरदेनिया, मृगेन्द्र सिंह, अरूण दीक्षित, राजेश सिरोठिया, अनुराग उपाध्याय,दीपक तिवारी, ब्रजेश राजपूत, मनोज शर्मा, दिनेश वर्मा, सुनील शुक्ला, मनीष श्रीवास्तव, नितेन्द्र शर्मा, विजय दास, अवधेश भार्गव, ओमप्रकाश मेहता, सुरेश शर्मा, गिरीश उपाध्याय,शिव अनुराग पटैरिया, रामभुवन सिंह कुशवाहा, देवेश कल्याणी,शशिकांत त्रिवेदी, गिरीश शर्मा, चंदा बारगल, योगेश तिवारी, विनय जी डेविड, सुश्री मुक्ता पाठक, रवीन्द्र जैन, प्रभु पटेरिया, राकेश अग्निहोत्री, एस.पी. त्रिपाठी, संजीव श्रीवास्तव, राजीव सोनी, पवन देवलिया,प्रशांत जैन, ब्रजेश चौकसे, विनोद खुजनेरी, दिनेश निगम, जगदीप सिंह बैस और अमित जैन आदि उपस्थित थे