Thursday 17 October 2013

BHOPAL WORKINGING JOURNILIST UNION

 भोपाल। पत्रकार जब स्वयं व्यवस्था से परेशान हो कर भ्रष्टाचार की जंग लड़ते हुए और अंतिम बार शासन के सर्वाेच्च अधिकारी मुख्य सचिव एंटोनी डिसा से मिलने से असफल रहने के बाद राजेन्द्र कुमार गहरी निराशा में डूब कर आत्महत्या करके यह सिद्ध कर दिया कि मध्य प्रदेश की राजधानी पुलिस के उच्चाधिकारी से लेकर थानेे के सिपाही तक कितने असंवेदनशील हैं।

भ्रष्टाचार अन्याय से लड़ने में प्रदेश का साधारण नागरिक जब थाने के चक्कर लगाकर रिपोर्ट लिखने के लिये परेशान हो जाता है, तो वह तंग आकर आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। पुलिस थाना,प्रशासन ने भी उसकी पुकार नहीं सुनी तो वह आत्महत्या को गले लगाने को मजबूर हो गया।

30 सितंबर को सोशल मिडिया के माध्यम से दोषियों पर कार्यवाही न होने पर आत्महत्या की चेतावनी दी थी । 10 अक्टूबर को गोविन्द पुरा थाने में डी़़.जी.पी. नंदन दुबे के नाम पत्र देकर 7 दिन में कार्यवाही नही ंहोने  पर आत्महत्या की चेतावनी दी थी।

प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है। सत्ता पक्ष और विपक्ष नाकारा सिद्ध होते जा रहे हैं। शासन और पुलिस के अधिकारियों की जन सुनवाई भी अशक्त नागरिक, गरीब, दबंगों से पीडि़त,गुन्डे,बदमाशों से परेशान कोई समाधान नहीं दे रही है। डी.आई.जी. को दिया आवेदन जब थाने तक पहुचता है तो उस प्रकरण को भ्रष्टाचारियों से रिश्वत लेकर दबा दिया जाता है। यदि कोई पत्रकार शिकायत थाने में करता है तो उस पर कार्यवाही के स्थान पर पत्रकारों के विरूद्ध कार्यवाही की जाने लगती है।

भ्रष्ट अधिकारियों और पुुलिस वाले पत्रकार को अपनी उच्च कमाई में सबसे बड़ा रोड़ा मानते हैं। पिछले 45 साल के पत्रकारिता के कार्यकाल में हजारों प्रकरण मेरे पास आये जिसमें पुलिस वालों ने पत्रकार पर आरोप लगा कर भ्रष्टाचारी को बचाया है,और कोर्ट में प्रकरण कमजोर कर दिया है। ़

मध्य प्रदेश शासन के सचिवालय में निराश पत्रकार स्व. राजेन्द्र रामचंद्र की आत्म हत्या  एक भ्रष्टाचार की लड़ाई में लड़ते हुए घटी जो एक पत्रकार की बलि हैं, जो उसने अपनी जान देकर चुकाई है। यदि शासन इससे नही  चेता तो भविष्य में इससे भी बड़ी घटना हो सकती ह।

राजेन्द्र कश्यप

अध्यक्ष 
मोबा0 क्रमांक 9753041701

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