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Thursday, 18 December 2014
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लैपटाप तो जरिया बन गया अपनी नेतागिरी चमकाने का
दरअसल पत्रकार बिरादरी के एक नेताजी को ग्रीन चिल्ली इसलिये लग गई है,कि ,सरकार नें जो अधिमान्यता के नये नियम जारी कर दिये है,,बस यही नियम बन गये, ग्रीन चिल्ली की वजह, ,अब नेता जी तो तिलमिला ही रहे हैं,उनके एक गुर्गे को जिनकी जबान में, दलाल, और भॉड़ शब्द ज्यादा चढा रहता है,मछली की तरह तड़प रहे हैं,,,हॉ साथ ही अपनी पतली हुई ताकत का भी उन्हें अहसास है,इसलिये अन्य पतत्रकार संगठनों के नेताओं के हाथ पैर जोड़ कर मीन मनौव्वल के लिये आज 4 बजे बुलाया है,,,,लेकिन जिन्हें बुलाया है वे भी मंजे हुये और नेताजी से मत भिन्नता रखने वाले लोग है,,,,लगता नहीं कि तिलमिलाहट खतम कर नेतागिरी चमका पायेंगे,,,, अब आपकी जानकारी में वो तथ्य ला दूं, जिसकी वजह से " ग्रीन" लगी है, नेताजी करीब बीस साल से अधिमान्यता का स्वाद और सुविधायें चख रहे थे,,,तब पुलिस वेरीफिकेशन एक बार होता था, और रिन्यूअल हर साल होता जाता था,बस लगातार अधिमान्यता चली आ रही है, पहले शैक्षणिक योग्यता का प्रमाणपत्र नहीं देना होता था, तो मात्र हायरसेकेन्ड्री पास नेता जी, ( गुर्गे की) तो वह भी सन्देहित है,राज्यस्तरीय अधिमान्यता का आनन्द उठाते रहे, अब भयभीत हैं नयेनियमों से ,क्येंकि समस्त जानकारी के साथ,पुष्टि में शपथपत्र देना होगा,,पोल खुल जायेगी,, एक तो अनडर ग्रेजुएट,दूसरा उनके ऊपर लगे प्रकरणों का बोझ,बस यही कारण है,बेचैनी का,,, म.प्र. के सारे पत्रकार इनकी हरकतों से वाकिॆफ हैं कोई इनके झॉसे में नहीं आने वाला,,,, जब कोई दूसरा पत्रकार संगठन पत्रकारों के हित की लड़ाई का शंखनाद करता है,तो यही नेता और इनके गुर्गे फौरन अपना दोरंगा लेटर पैड निकालकर उसमें लिखकर दे आते हैं कि ये पत्रकारों का आंदोलन नहीं है, और आज हाथ जोड़कर समर्थन मॉगते फिर रहे हैं,फिर भी कोई घास नहीं डाल रहा,, आइसना ने तो तय किया है,कि खुले मैदान में छद्म चरित्र पत्रकारों को बेनकाब कर उनके घृणित मंसूबों पर पानी डालेगी,
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