Monday 5 January 2015

राजगढ़ के तथाकथित पत्रकार अनूप सक्सेना पर विदिशा न्यायालय में एक और मुकदमा दर्ज हुआ,

राजगढ़ के तथाकथित पत्रकार अनूप सक्सेना पर विदिशा न्यायालय में एक और मुकदमा दर्ज हुआ,
न्यायालय ने सह अभियुक्त  गुरुबचन सिंह बग्गा           " सोच" सहित 9 जनवरी को न्यायालय में उपस्थित होकर जमानत कराने हेतु समन्स जारी किये,
उल्लेखनीय है,कि अनूप सक्सेना पर भोपाल न्यायालय में मजिस्ट्रेट श्रीमती कविता इवनाती व श्री विशाल शर्मा के न्यायालय में मानहानि के दो प्रकरण और एक अन्य न्यायालय में धारा 354 के अन्तरगत महिला को छेड़ने का मुकदमा चल रहा है,मानहानि के दोनों मुकदमें में साप्ताहिक खबरयार के सम्पादक गुरुहचन सिंह बग्गा भी सहअभियुक्त हैं,तीनों प्रकरणों में अभियुक्तगण जमानत पर हैं,
यहॉ यह भी सन्दर्भित है,कि तथाकथित पत्रकार  अनूप सक्सेना अपने बड़बोलेपन के कीरण न्यायालय के आदेशों को तोड़ मरोड़कर छापने के चलते,इन मुकदमों में फंसे हेैं,
पिछले वर्ष इनके ऊपर राजगढ़ में चल रहे दर्जन भर मुकदमों के कारण जिला दण्डाधिकारी, श्री आनन्द शर्मा ने छै माह के लिये जिलाबदर कर दिया था,जिसे अनूप ने हाईकोर्ट की इन्दौर बेन्च में ले गये,किन्तु शासन का प्रतिनिधित्व न होने के कारण, हाईकोर्ट नें इन्हें उन्मुक्त कर दिया था,और निर्णय में लिखा था, कि,वादी को गवाहों के बयानों की नकल नहीं दी गई इसलिये शासन पर रुपये दस हजार की शास्ति लगाई जाती है,इस निर्णय के विरूद्ध राजगढ़ जिला प्रशासन इस आधार पर इंदौर हाई कोर्ट में रिवीजन लेकर गया है,कि एन एस ए के प्रावधानों में गवाहों की सुरक्षा को देखते हुये, नकल नहीं दिये जाने का प्रवधान है,
इस निर्णय को तोड़ मरोड़ कर खबरयार में अनूप ने छापा था कि एम बी ओझा की तनख्वाह से काटकर 10 हजार का जुर्माना अनूप सक्सेना को अदा करने का आदेश उच्च न्यायालय में दिया है,इसी प्रकार की खबरें लगातार चार हफ्ते तक अनूप और बग्गा दोनों छापते रहे,
ऩ्यायालय के आदेश को तोड़ मरोड़ को छापने से दुखी होकर राजधानी के एक जागरुक नागरिक श्री विनय जी डेविड ने हाई कोर्ट इन्दौर में ऩ्यायालय की मानहानि का मुकदमा भी दायर किया है,जो प्रचलित है,
एम बी ओझा की लगातार मानहानि होने से अभी ये ताजा मुकदमा विदिशा न्यायालय में दर्ज हुआ है,
जिस प्रकार स्वास्थ्य खराब होने में जेनेरिक दवाइयों का इस्तेमाल बढ़ा है,ठीक उसी प्रकार अनूप जैसे बड़बोले और निरंकुश पत्रकारों तथा बग्गा जैसे गैर जिम्मेदार सम्पादकों पर ऐसी कार्यवाही शायद जेनेरिक अंकुश का कार्य कर सके,,,,

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