शलभ भदौरिया अपने जिस संगठन की दुहाई देकर कह रहे हैं कि प्रदेश का सबसे बड़ा संगठन है और पॉच हजार मेम्बर है,इस संगठन की, संगठन के सदस्यों की एक बार जॉच अवश्य होना चाहिये,मोची,धोबी नाई,सब्जी बेचने वाले,अपराधियों की गैंग को असली पत्रकारों का संगठन बताने वाले शलभ इतना भयभीत क्यों है? अगर उसका संगठन मजबूत है,तो शक्ति प्रदर्शन से घबरा क्यों रहा है? हमने जिनकी बात वह दबी जुबान से कर रहा है,उसके आंदोलन में तो कोई रोड़ा नहीं अटकाया? हमने तो 18 तारीख को मुख्यमंत्री जी के अभिनन्दन का आव्हान किया है,दिख जायेगी न तुम्हारी औकात और असलियत कि तुम कितने पानी में हो,फिर तम्बू में बौखलाहट क्यों? आज तक किसी एक पत्रकार का नाम बता दो,जिसका तुमने भला किया हो?
है हिम्मत तो तुम्हारी गुन्डों की गैंग घबरा क्यों रही है,दिखाओ अपनी ताकत,जिस आदमी का कानून पर भरोसा नहीं,अदालत का स्टे,जो एन पी अग्रवाल के पास आज भी है,उसको भी नहीं माना,हर चौखट पर तुमने, तुम्हारी गैंग ने माथा रगड़ा,रजिस्ट्रार के अपील की,खारिज हो गई,हाई कोर्ट गये, दुबारा सुनवाई हुई, फिर खारिज,सरकार के पास गये फिर तिबारा सुनवाई हुई,6 अप्रेल को फिर खारिज हो गई,फिर भी अपने आप को पत्रकार भवन समिति का अध्यक्ष बेशर्मी से लिखते हो,फर्जी कौन हुआ कानून की नजर में, खुद सोच लो एक बार,,,
सिविल कोर्ट में तीन तीन मुकदमें लगा कर ,अपने अग्र एवम् पृष्ठ भाग दोनों की ताकत स्टे लेने में झोंक दी, पर न्याय न्याय होता है,स्टे एन पी अग्रवाल के पक्ष में हुआ,तुम फिर सेशन कोर्ट में इसके विरुद्ध चले गये,किन्तु कोई कामयाबी नहीं,
तुम, तुम्हारा संगठन 1992 में पैदा हुआ,और तुम जिद पर अड़े हो,कि,कि 1969 वाले संगठन के मालिकाना हक की प्रापर्टी तुम्हे दे दी जाये,यदि ऐसा नहीं हो पाया,तो कानून को मानने वाले श्री अवधेश भार्गव, एन पी अग्रवाल,राधा वल्लभ शारदा,तीनों अपराधी हो गये,आज पत्रकार भवन को सरकार के हवाले क्यों करना पड़ा,क्योंकि तुम्हारा गुण्डा भाई और सईद नगर की झुग्गियों से जूते मारकर भगाया गया काला फूल बीडी,पीने वाला गुण्डा ने मिलकर पत्रकीर भवन का उपयोग देह ब्यापार के लिये जगह मुहैया कराने में करने लगे थे,असामाजिक तत्वों का अड्डा बना दिया था,जुये की फड़ चलाने लगे थे,सट्टे का केन्द्र बना दिया था,ये गिरी हुई हरकत समाप्त करने के लिये ही पत्रकार भवन सरकार को देना पड़ा। तुम्हारा एक कमरा जो तुमने फर्जी तरीके से दोनों जगह अध्यक्ष रहते हुये आवंटित कर लिया था,और स्टे लेकर 23 सालों से बैठे हो,उसमें भी हाई कोर्ट में 20 अप्रेल की अन्तिम सुनवाई निश्चित हो गई है,हमें न्याय पर भरोसा है,वहॉ से खारिज हो जायेगा स्टे,यही भय साल रहा है तुम्हें,,,,
तुमने कलेक्टर भोपाल के फैसले के विरुद्ध कमिश्नर भोपाल को अपीललगाई,उन पर भी आरोप लगाकर कि जल्दी सुनवाई नहीं हो रही,हाई कोर्ट चले गये, जबकि अपील को एक हफ्ती ही हुआ था।हाई कोर्ट मे भी तुम्हारे झूतथ्य देने के कारण तुम्हारी रिट तीन दिन तक सुनवाई में लगी, किन्तु तुम आपत्ति दूर नहीं कर पाये और सुनवाई नहीं हो पाई,तुम्हे जब श्री भार्गव व एन पी के इन्टरविनर बनने के बाद राहत के रास्ते बन्द हो गये तो तुमने,श्री भार्गव की चरित्र हत्या की खबर प्लान्ट कर पत्रकार भवन में मिठाइयॉ बॉटी,हर मोर्चे पर पराजय,हर मोर्चे पर मात से तुम डिप्रेशन में चले गये हो,अवसादग्रस्त हो चुके हो।समय को पहचानने की कोशिस करो,समय की मॉग है,सब के साथ चलो,गुण्डई छोड़ो,अभी तक बिरादरी की पीठ में खन्जर भौंकते रहे,अब नेक काम में हाथ बटा लो,
तुम हथेली में सरसों उगाना चाहते हो,पर हर जगह मात खा खाकर
अवसादग्रस्त ग्रस्त हो गये हो,जे एन पी अग्रवाल चार साल तुम्हारे साथ कोषाध्यक्ष रहा,10 साल पदाधिकारी रहा,वो आज सजायाफ्ता अपराधी हो गया,तुम्हारी जानकारी के लिये बता दूं जिस प्रकरण में 40 वर्ष पूर्व उसे सजा हुई थी,उसमें वे 35 वर्ष पूर्व ही बरी हो चुके हैं,राधावल्लभ शारदा के जिस प्रकरण की तुम बात कर रहे हो, वह तीन माह पूर्व न्यायालय से समाप्त समाप्त हो चुका है,जिन श्री भीर्गव की बात कर रहे हो तो उन्हें किसी मामले में सजा का सबूत पेश कर दो,या एक भी प्रकरण पेंडिंग बता दो,
अब सुनो,तुम्हारे ऊपर तो चार सौ बीसी, धोखाधड़ी,जालसाजी,वो भी पोस्टल डिपीर्टमेंट, और जनसम्पर्क के साथ करने पर अभी भी कोर्ट में चल रहा है,तुम्हारे पूरे ,,,,,के साथ, आई पी एस एम पी तिवारीकी जमीन फर्जी दस्तावेज बनाकर हड़पने का मुकदमा चल चुका हा,और जालसाजी साबित होकर डिग्री हो चुकी है,कहो तो निर्णय की कापी सार्व जनिक कर दूं,पूर्व सी सी एफ माहलहा के बेटे से 4000 रुपये में जावा मोटर सायकिल पीले कलर की खरीदकर उस बिचारे को पैसे न देकर,मारपीट कर बन्द होने वाले तुम्हीं थे या कोई और,अभी मपकदमा चल रहा है,कितनी बार गैर हाजिरी पर तुम पर जुर्माना हुआ,सार्वजनिक कर दूं,कहीं छुपने की जगह नहीं मिलेगी,
1-हम सरकार से मॉग करते हैं कि अपराधी शलभ भदौरिया के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जॉच की जाये शलभ भदौरिया तो पॉचवी पास भी नहीं है,यदि है तो हम चुनौती देते हैं वह अपने शैक्षणिक योग्यता सबूत सोशल मीडिया में जारी करे,
2- 1980 के पूर्व यह विजय सिंह भदौरिया था,नाम बदलकर ( कानूनी प्रक्रिया से नहीं)शलभ क्यों बना,कहीं किसी अपराधिक प्रकरण के कारण तो नाम बदलकर समाज और सरकार को धोखा नहीं दे रहा,इसकी जॉच कराई जाये,
3- जब जनसम्पर्क में शलभ के शैक्षणिक रिकार्ड ही नहीं है,और इसका अपराधिक रिकार्ड के साथ शिकायत की जा चुकी है,तो शीघ्र इसकी अधिमान्यता समाप्त की जाये,,,
4- इसके संघ के सदस्यों की जॉच की जावे और अपराधिक रिकार्ड सार्वजनिक किया जावे,
5- इसके द्वारा दैनिक जन चिन्गारी में कितने एडीॆशनों में 1996 से अभी तक जो करोंड़ों के विग्यापन लिये गये हैं सार्वजनिक किया जावे,
6- श्रमजीवी पत्रकार बुलेटिन,जिसका मालिक ये स्वयम् है,और संघ का मुखपत्र बताकर हर महीने विग्यापन ले रहा है,उसे बन्द किया जावे,
7- प्रेम फीचर्स और एक इसकी अन्य न्यूज एजेन्सी को कितने विग्यापन अभी तक दिये गये सार्वजनिक किये जावे, व बन्द किये जावे,,
8- 1995 से अभी तक इसे कितनी बार और कितने वाहन किस काम से दिये गये,सार्वजनिक किया जावे,
9- इसने जो मॉग की है,कि सी यम का अभिनन्दन करने वाले पत्रकार साथियों को जनसम्पर्क द्वारा दिये गये विग्यापन, व वाहन सुविधा की जॉच की जावे,वह अवश्य की जावे,क्योंकि सॉच को आंच नहीं, किन्तु ईमानदारी से इस पर लगे आरोपों की जॉच अवश्य की जावे,
हम नहीं चाहते कि किसी के कपड़ों के चीथड़े किये जायें किन्तु बार बार सुनियोजित तरीके से अपराधी,वित्त पोषित कहकह कर बदनाम करने वाले को हम्माम में आइना दिखाना आवश्यक हो गया था,हमारा इरादा किसी की चरित्र हत्या नहीं,पर पत्रकार बिरादरी के हित में काम करने वाले सी यम का विरोध सिर्फ अपनी रोजी रोटी छिनने के भय से करने के कृत्य की भर्त्सना करना भर है,
सी यम वे हमारी बिरादरी को अनूठी सौगातें देकर एक इतिहास बनाया है,हम 18 को उनका अभिनन्दन करेंगे,किसी बहुरूपिये के बहकावे में नहीं आयेंगे,हमारा पत्रकार साथी जानता है,अच्छे काम के लिये अभिनन्दन करना है या घेराव,,,,
मेरा पत्रकार साथियों से निवेदन है, कि इस खबर को सब अपने अपने ग्रुपों में लगायें जिससे पत्रकार बन्धु इस बहुरूपिये की औकात पहचान सकें
*** और हॉ श्री अवधेश भार्गव का यह संदेश है, कि 18 तारीख को भोपाल आना न भूलें,,,मुख्यमंत्री जी का अभिनन्दन जो करना है,,,,,,हम सरकार से कोई मदद नहीं ली,हम साथियों ने मिलकर आपके रुकने व भोजन की ब्यवस्था की है,आप आइये आपका स्वागत है,,,,,लाल सलाम के साथ,,,,,आपका अपना अवधेश भार्गव,
है हिम्मत तो तुम्हारी गुन्डों की गैंग घबरा क्यों रही है,दिखाओ अपनी ताकत,जिस आदमी का कानून पर भरोसा नहीं,अदालत का स्टे,जो एन पी अग्रवाल के पास आज भी है,उसको भी नहीं माना,हर चौखट पर तुमने, तुम्हारी गैंग ने माथा रगड़ा,रजिस्ट्रार के अपील की,खारिज हो गई,हाई कोर्ट गये, दुबारा सुनवाई हुई, फिर खारिज,सरकार के पास गये फिर तिबारा सुनवाई हुई,6 अप्रेल को फिर खारिज हो गई,फिर भी अपने आप को पत्रकार भवन समिति का अध्यक्ष बेशर्मी से लिखते हो,फर्जी कौन हुआ कानून की नजर में, खुद सोच लो एक बार,,,
सिविल कोर्ट में तीन तीन मुकदमें लगा कर ,अपने अग्र एवम् पृष्ठ भाग दोनों की ताकत स्टे लेने में झोंक दी, पर न्याय न्याय होता है,स्टे एन पी अग्रवाल के पक्ष में हुआ,तुम फिर सेशन कोर्ट में इसके विरुद्ध चले गये,किन्तु कोई कामयाबी नहीं,
तुम, तुम्हारा संगठन 1992 में पैदा हुआ,और तुम जिद पर अड़े हो,कि,कि 1969 वाले संगठन के मालिकाना हक की प्रापर्टी तुम्हे दे दी जाये,यदि ऐसा नहीं हो पाया,तो कानून को मानने वाले श्री अवधेश भार्गव, एन पी अग्रवाल,राधा वल्लभ शारदा,तीनों अपराधी हो गये,आज पत्रकार भवन को सरकार के हवाले क्यों करना पड़ा,क्योंकि तुम्हारा गुण्डा भाई और सईद नगर की झुग्गियों से जूते मारकर भगाया गया काला फूल बीडी,पीने वाला गुण्डा ने मिलकर पत्रकीर भवन का उपयोग देह ब्यापार के लिये जगह मुहैया कराने में करने लगे थे,असामाजिक तत्वों का अड्डा बना दिया था,जुये की फड़ चलाने लगे थे,सट्टे का केन्द्र बना दिया था,ये गिरी हुई हरकत समाप्त करने के लिये ही पत्रकार भवन सरकार को देना पड़ा। तुम्हारा एक कमरा जो तुमने फर्जी तरीके से दोनों जगह अध्यक्ष रहते हुये आवंटित कर लिया था,और स्टे लेकर 23 सालों से बैठे हो,उसमें भी हाई कोर्ट में 20 अप्रेल की अन्तिम सुनवाई निश्चित हो गई है,हमें न्याय पर भरोसा है,वहॉ से खारिज हो जायेगा स्टे,यही भय साल रहा है तुम्हें,,,,
तुमने कलेक्टर भोपाल के फैसले के विरुद्ध कमिश्नर भोपाल को अपीललगाई,उन पर भी आरोप लगाकर कि जल्दी सुनवाई नहीं हो रही,हाई कोर्ट चले गये, जबकि अपील को एक हफ्ती ही हुआ था।हाई कोर्ट मे भी तुम्हारे झूतथ्य देने के कारण तुम्हारी रिट तीन दिन तक सुनवाई में लगी, किन्तु तुम आपत्ति दूर नहीं कर पाये और सुनवाई नहीं हो पाई,तुम्हे जब श्री भार्गव व एन पी के इन्टरविनर बनने के बाद राहत के रास्ते बन्द हो गये तो तुमने,श्री भार्गव की चरित्र हत्या की खबर प्लान्ट कर पत्रकार भवन में मिठाइयॉ बॉटी,हर मोर्चे पर पराजय,हर मोर्चे पर मात से तुम डिप्रेशन में चले गये हो,अवसादग्रस्त हो चुके हो।समय को पहचानने की कोशिस करो,समय की मॉग है,सब के साथ चलो,गुण्डई छोड़ो,अभी तक बिरादरी की पीठ में खन्जर भौंकते रहे,अब नेक काम में हाथ बटा लो,
तुम हथेली में सरसों उगाना चाहते हो,पर हर जगह मात खा खाकर
अवसादग्रस्त ग्रस्त हो गये हो,जे एन पी अग्रवाल चार साल तुम्हारे साथ कोषाध्यक्ष रहा,10 साल पदाधिकारी रहा,वो आज सजायाफ्ता अपराधी हो गया,तुम्हारी जानकारी के लिये बता दूं जिस प्रकरण में 40 वर्ष पूर्व उसे सजा हुई थी,उसमें वे 35 वर्ष पूर्व ही बरी हो चुके हैं,राधावल्लभ शारदा के जिस प्रकरण की तुम बात कर रहे हो, वह तीन माह पूर्व न्यायालय से समाप्त समाप्त हो चुका है,जिन श्री भीर्गव की बात कर रहे हो तो उन्हें किसी मामले में सजा का सबूत पेश कर दो,या एक भी प्रकरण पेंडिंग बता दो,
अब सुनो,तुम्हारे ऊपर तो चार सौ बीसी, धोखाधड़ी,जालसाजी,वो भी पोस्टल डिपीर्टमेंट, और जनसम्पर्क के साथ करने पर अभी भी कोर्ट में चल रहा है,तुम्हारे पूरे ,,,,,के साथ, आई पी एस एम पी तिवारीकी जमीन फर्जी दस्तावेज बनाकर हड़पने का मुकदमा चल चुका हा,और जालसाजी साबित होकर डिग्री हो चुकी है,कहो तो निर्णय की कापी सार्व जनिक कर दूं,पूर्व सी सी एफ माहलहा के बेटे से 4000 रुपये में जावा मोटर सायकिल पीले कलर की खरीदकर उस बिचारे को पैसे न देकर,मारपीट कर बन्द होने वाले तुम्हीं थे या कोई और,अभी मपकदमा चल रहा है,कितनी बार गैर हाजिरी पर तुम पर जुर्माना हुआ,सार्वजनिक कर दूं,कहीं छुपने की जगह नहीं मिलेगी,
1-हम सरकार से मॉग करते हैं कि अपराधी शलभ भदौरिया के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जॉच की जाये शलभ भदौरिया तो पॉचवी पास भी नहीं है,यदि है तो हम चुनौती देते हैं वह अपने शैक्षणिक योग्यता सबूत सोशल मीडिया में जारी करे,
2- 1980 के पूर्व यह विजय सिंह भदौरिया था,नाम बदलकर ( कानूनी प्रक्रिया से नहीं)शलभ क्यों बना,कहीं किसी अपराधिक प्रकरण के कारण तो नाम बदलकर समाज और सरकार को धोखा नहीं दे रहा,इसकी जॉच कराई जाये,
3- जब जनसम्पर्क में शलभ के शैक्षणिक रिकार्ड ही नहीं है,और इसका अपराधिक रिकार्ड के साथ शिकायत की जा चुकी है,तो शीघ्र इसकी अधिमान्यता समाप्त की जाये,,,
4- इसके संघ के सदस्यों की जॉच की जावे और अपराधिक रिकार्ड सार्वजनिक किया जावे,
5- इसके द्वारा दैनिक जन चिन्गारी में कितने एडीॆशनों में 1996 से अभी तक जो करोंड़ों के विग्यापन लिये गये हैं सार्वजनिक किया जावे,
6- श्रमजीवी पत्रकार बुलेटिन,जिसका मालिक ये स्वयम् है,और संघ का मुखपत्र बताकर हर महीने विग्यापन ले रहा है,उसे बन्द किया जावे,
7- प्रेम फीचर्स और एक इसकी अन्य न्यूज एजेन्सी को कितने विग्यापन अभी तक दिये गये सार्वजनिक किये जावे, व बन्द किये जावे,,
8- 1995 से अभी तक इसे कितनी बार और कितने वाहन किस काम से दिये गये,सार्वजनिक किया जावे,
9- इसने जो मॉग की है,कि सी यम का अभिनन्दन करने वाले पत्रकार साथियों को जनसम्पर्क द्वारा दिये गये विग्यापन, व वाहन सुविधा की जॉच की जावे,वह अवश्य की जावे,क्योंकि सॉच को आंच नहीं, किन्तु ईमानदारी से इस पर लगे आरोपों की जॉच अवश्य की जावे,
हम नहीं चाहते कि किसी के कपड़ों के चीथड़े किये जायें किन्तु बार बार सुनियोजित तरीके से अपराधी,वित्त पोषित कहकह कर बदनाम करने वाले को हम्माम में आइना दिखाना आवश्यक हो गया था,हमारा इरादा किसी की चरित्र हत्या नहीं,पर पत्रकार बिरादरी के हित में काम करने वाले सी यम का विरोध सिर्फ अपनी रोजी रोटी छिनने के भय से करने के कृत्य की भर्त्सना करना भर है,
सी यम वे हमारी बिरादरी को अनूठी सौगातें देकर एक इतिहास बनाया है,हम 18 को उनका अभिनन्दन करेंगे,किसी बहुरूपिये के बहकावे में नहीं आयेंगे,हमारा पत्रकार साथी जानता है,अच्छे काम के लिये अभिनन्दन करना है या घेराव,,,,
मेरा पत्रकार साथियों से निवेदन है, कि इस खबर को सब अपने अपने ग्रुपों में लगायें जिससे पत्रकार बन्धु इस बहुरूपिये की औकात पहचान सकें
*** और हॉ श्री अवधेश भार्गव का यह संदेश है, कि 18 तारीख को भोपाल आना न भूलें,,,मुख्यमंत्री जी का अभिनन्दन जो करना है,,,,,,हम सरकार से कोई मदद नहीं ली,हम साथियों ने मिलकर आपके रुकने व भोजन की ब्यवस्था की है,आप आइये आपका स्वागत है,,,,,लाल सलाम के साथ,,,,,आपका अपना अवधेश भार्गव,
No comments:
Post a Comment