Wednesday 1 April 2015

आंदोलन को कुचलने के लिए एस के मिश्रा ने जनसंपर्क विभाग से पोषित सज़ायाफ़्ता अपराधी को बनाया अपना मोहरा

आंदोलन को कुचलने के लिए एस के मिश्रा ने जनसंपर्क विभाग से पोषित सज़ायाफ़्ता अपराधी को बनाया अपना मोहरा
भोपाल. मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के बैनर तले 17 अप्रेल को भोपाल में होने वाले पत्रकारों के जंगी प्रदर्शन से जनसम्पर्क आयुक्त इत्ने भयभीत हैं कि अब वह जनसम्पर्क विभाग से पोषित सज़ायाफ्ता अपराधी को मोहरा बनाकर आंदोलन को विफल करने का प्रयास कर रहे है.
जनसंपर्क आयुक्त सत्तर के दशक के कुख्यात ठग श्रीराम सोनी के चेले सज़ायाफ्ता अपराधी , जनसम्पर्क विभाग से  पोषित अवधेश भार्गव को मोहरा बना कर श्री शलभ भदौरिया पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं. एस के मिश्रा अपराधियों की पत्रकारिता में घुसपैठ कराकर  मुख्यमंत्री की उस भावना की खिल्ली उड़ा रहे हैं जिसमें मुख्यमंत्री बार-बार गंदगी और मीडिया के गठजोड़ पर चिंता व्यक्त करते हुए इस गठजोड़ को समाज के लिए घातक बताते हुए नही अघाते.
अवधेश भार्गव के अपराधिक जीवन का चित्रण राजधानी के पत्रकार अरशद अली ख़ान ने अपने कालम "बाबा गुरूघंटाल" में बड़ी सुंदरता से किया है .जिसका शीर्षक है "अवैध भाग्गव की कहानी बाबा गुरूघंटाल की जुबानी" आपके लिए प्रस्तुत है-
 सत्तर के दशक के कुख्यात ठग श्रीराम सोनी के चेले अवैध भागगव की कहानी  बाबा गुरुघंटाल  की जुबानी
बाबा गुरुघंटाल अपनी कुटिया में धूनी रमा रहे थे , तभी चेला मस्तराम आ धमका , उसने बाबा को दंडवत होकर प्रणाम किया, बाबा ने मुस्कुराकर चेला मस्तराम को आशीर्वाद दिया और सवेरे -सवेरे आने का कारण पूछा।
चेला मस्तराम - बाबा आजकल अवैध भागगव की बड़ी चर्चा है , इसके बारे में विस्तार से प्रकाश डालें।
बाबा गुरुघंटाल -चेला मस्तराम तूने भी कहां सवेरे -सवेरे उस दुष्ट का नाम लेकर मेंरे दिमाग का दही कर दिया। आज क्या तेरे मन में किसी भले मानस के बारे में जानने का विचार नहीं आया जो इस थर्ड क्लास के बारे में जानने चला आया। तो अब सुन इस दुष्ट अवैध  भागगव के कुकर्मो की कहानी -
जैसा इसका नाम है , वैंसे ही इसके कर्म हैं। सत्तर के दशक के कुख्यात ठग श्रीराम सोनी का चेला है यह जालसाज़ । इसका आधा जीवन जेल में गुजरा और शेष जीवन सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण करके बनायीं झुग्गी में रहकर। बापू नगर की झुग्गी में रहने वाला  यह जालसाज़ पहले भोले नगर की झुग्गी में रहता था  वही पास में रहने वाले  एक मानस से इसकी जान -पहचान हो गयी, जो बाद में कलेक्टर बन गया फिर क्या था इसकी तो चल पड़ी। इसने उसे अपना भाई बताना शुरू कर दिया और उसके क्षेत्र के एक टेंट वाले से काम करने के नाम पर ८ लाख रूपये हड़प लिए और काम आज तक नहीं हुआ। फ़र्जी रवन्ने बना कर लाखो रूपये की इमारती लकड़ी बेचने और हर्टीकल्चर डिपार्टमेंट में फ़र्जी बाउचर से लाखो रूपये निकलने वाले इस चीटर के कुकर्मो की सूची इतनी लम्बी है कि उसे लिखने के लिए एक श्रृखला चलना पड़ेगी।
चेला मस्तराम - परन्तु बाबा  यह जालसाज़ तो आज - कल एक पठान को पानी पी-पी कर गलियां बक रहा है। इसके पीछे क्या कारण है कृपया बताएं। 
बाबा गुरुघंटाल - अवैध भागगव का तिलमिलाना स्वभाविक है। पठान भी कम नहीं है , शीशे से पत्थर तोड़ता है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए उसने अवैध भागगव को इसकी  कमाई के ठिकाने से भगा दिया और इसके कुकर्मों की कुंडली खंगालने में लगा हुआ है।  चर्चा है कि पठान बहुत जल्द बड़े स्तर पर इसके कुकर्मो की दासतां प्रमाणों के साथ समाज के सामने लाकर इसके चेहरे पर पड़े नकाब को नोचने वाला है। भागगव की  बौखलाहट इस बात को लेकर भी है कि पठान  हर उस ठिकाने पर इसके दुष्कर्मो की कहानी चस्पा करेगा जहां - जहां यह धूर्त अपने को पत्रकार बताकर पारसा बना फिरता है। पठान के बारे में यह कहता है की वो बीड़ी पीता है  उसे यह नहीं मालूम कि पठान अपनी मेहनत की कमाई से अपने शोक़ पूरे करता है , उसने फ़र्जी रवन्ने बना - बना कर, हर्टीकल्चर में डांका डालकर या सरकारी अफसरों - ठेकेदारो या बिल्डरों को हड़का कर उसकी तरह अपने शोक पूरे करने की आदत नहीं डाली। 
सब जानते है कि अवैध भागगव को पिछले  भाग में गंभीर बीमारी क्यों हुयी ? क्यों कि इसके उस भाग का उपयोग अधिक हो गया था। इस हद तक की मेल नर्स रहते हुए इसने एक साथी से अपना शोक़ पूरा करने के लिए जबरदस्ती की और वह नहीं माना तो भागगव ने  उसका वो अंग ही काट दिया।
 पठान का बस यही अपराध है कि उसने पत्रकारिता में गंदगी फेलाने वाले अपराधियों के खिलाफ बीड़ा उठाया है,  यदि यह अपराध है तो पठान को यह अपराध बार -बार करना चाहिए।
पठान का प्रयास है कि पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे से अपराधी पलायन करें और पत्रकारिता का सम्मान हो। यही कारण है कि अपनी मण्डली में लंगड़े के नाम से बदनाम यह चीटर पठान पर तथ्यहीन और मनघड़ंत आरोप मंडकर अपने कुकर्मो को छुपाने का प्रयास कर रहा है।
चेला मस्तराम - परन्तु बाबा इस दुष्ट से तो इसका परिवार कष्ट में रहता होगा ?
बाबा गुरुघंटाल - काहे का परिवार, पत्नी और बच्चे भी इसके नहीं हैं, वो भी भगवानदास सिंधी के है जिन्हें यह जाल -साज़ अपना बताता है। उसकी कहानी कुछ इस तरह है -जब अवैध भागगव जेल में सजा काट रहा था तभी भगवानदास सिंधी भी जेल में बंद था, उससे मिलने उसकी पत्नी भी आया करती थी,, इसी बीच भागगव की नज़र भगवानदास की पत्नी पर ख़राब हो गयी और जेल से छूटने के बाद भागगव भगवानदास के साथ रहने लगा, गरीब भगवानदास को क्या पता था कि जिसे वो  अपना  मित्र मानकर आश्रय दे रहा है वही एक दिन शत्रु बनकर  उसकी अर्धांग्नि को लेकर भाग जायेगा। उस दिन के बाद से भगवानदास का किसी को कुछ पता नहीं है , कोई कहता है की इस सदमें में वह पागल हो गया , कोई कहता है की उसकी हत्त्या हो गयी ? सच क्या है यह ईश्वर ही जनता है। 
चेला मस्तराम - बाबा इसकी मित्रमंडली के बारे में बताएं। 
बाबा गुरुघंटाल - काहे की मित्र मण्डली, जितने शहर के चोर - उचक्के है वो सब इसकी मित्रमंडली में शामिल हैं, हत्यारे, डकैत, ब्लैक मेलर, हफ्ता वसूली करने वाले, चकले चलने वाले, चारसो बीस और पत्रकारिता की आड़ में सूचना के अधिकार के नाम पर अधिकारीयों, ठेकेदारों और बिल्डरों को हड़काकर उनसे वसूली करने वाले और फ़र्ज़ी  प्रसार संख्या बताकर सरकारी विज्ञापन बटोरने वाले लोग इस की गैंग में शामिल हैं। रोचक तथ्य यह है की यह सब दिखावे के लिए एक हैं. वास्तव में सब एक दूसरे को निर्वस्त्र करने में लगे रहते है। 
चेला मस्तराम - मतलब इन दुष्टों का कोई धर्म - ईमान और चरित्र नही है। बाबा आपने मेरा ज्ञानवर्धन किया इसके लिए धन्यवाद , लेकिन दुःख इस बात का है कि भागगव जैसें लोग पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे में घुसकर समाज में हुड़दंग मचा रहे है और जिम्मेदार लोग मूकदर्शक बनकर इन दुष्टों का तमाशा देख रहे हैं !
अरशद अली ख़ान  -09425025438
अपराधी भगाव -पत्रकारिता बचाव
जनहित में जारी
अपनी करतूतों को छिपाने के लिए समय -समय पर यह अपराधी सरकारी अफसरों की दलाली करता रहता है पढ़िए यह रिपोर्ट जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार से अवधैश भार्गव ने राजगढ़ के एक पत्रकार को झूठे मामले में फसाने के लिए  घिनौना शड्यंत्र रचा -
पत्रकार अनूप सक्सेना पर महिला से छेड़छाड़ का झूठा प्रकरण लगवाने के सूत्रधार अवधेश भार्गव और यावर खान 
भोपाल। सोशल मीडिया के जरिये  राजगढ़ जिले के जुझारू पत्रकार अनूप सक्सेना को ब्लैक मेलर बताने वाले अवधेश भार्गव और यावर खान जैसे  धूर्तो की करतूतों का खुलासा उस समय हुआ जब आवेदिका श्रीमती संगीता सक्सेना के आवेदन पर पुलिस उप महानिरीक्षक भोपाल रेंज ने मामले की जांच नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा को करने के निर्देश दिए। जब नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा ने मामले की जांच की तो पता चला कि अनूप सक्सेना पर लगा छेड़छाड़ का आरोप पूरी तरह फ़र्ज़ी है और इसके सूत्रधार अवधेश भार्गव और यावर खान वकील हैं। 
नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा ने पुलिस उप महानिरिक्षक को प्रेषित अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि " तथ्यों के संबंध में मेरे द्वारा आवेदिका संगीता सक्सेना व प्रकरण से सम्बंधित फरियादिया श्रीमती कशिश नवलानी पत्नी सतीश नवलानी , प्रकरण के साक्षी गौरव पिता समतेराज, बलराम पिता कन्हैया , अन्य साक्षी गोलू रावत पिता काशीराम, सतीश नवलानी को तलब कर पूछताछ कर कथन लिए गए हैं  तथा घटना के सम्बन्ध में  वास्तविक स्थिति स्पष्ट करते हुए सीएसपी एम पी नगर श्री अरविन्द खरे , थाना प्रभारी अशोका गार्डन श्री रुपेश दुबे व प्रकरण के विवेचक उप निरीक्षक आर सी जर्या से लिखित में स्पष्टीकरण प्राप्त किया गया तथा जांच के दौरान पाये गए तथ्यों एवं आये नामो के आधार पर कशिश , यावर खान वकील ,अवधेश भार्गव के मोबाईल नंबरों की काल डिटेल प्राप्त की गयी , जो जांच में संलग्न है।"
नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा ने अपने चार पृष्ठ की रिपोर्ट में आगे लिखा है कि " प्रकरण की फरयादिया कशिश नवलानी ने अपने कथन में बताया है कि इसका इसके पति से तलाक़ का केस भोपाल कोर्ट में चल रहा है , जिसका वकील यावर खान है , इसी यावर खान व अवधेश भार्गव के कहने पर इसने घटना दिनांक 27.12.13 को अनूप सक्सेना नाम के व्यक्ति के विरुद्ध झूठी छेड़छाड़ की शिकायत थाना अशोक गार्डन में व सीएसपी आफिस एम पी नगर एवं एस पी आफिस में की थी , जिस पर झूठा छेड़छाड़ का अपराध अनूप सक्सेना के विरुद्ध दर्ज कराया है। यह अनूप सक्सेना को कभी नहीं मिली है और न ही जानती पहचानती है। अनूप सक्सेना द्वारा इसके साथ घटना दिनांक को कोई छेड़छाड़ नहीं की है। 
प्रकरण के मुख्य गवाह गौरव पिता समतेराज, बलराम पिता कन्हैया एवं गोलू रावत ने भी एक दूसरे के कथनों की ताईद करते हुए बताया है कि घटना दिनांक को यावर खान वकील व अवधेश भार्गव के कहने पर व उनके द्वारा लालच व नौकरी दिलाने का प्रलोभन दिए जाने के कारण इन्होंने पुलिस के सामने झूटी गवाही दी थी , इनके सामने घटना दिनांक 27.12.14 को घटना स्थल साक्षी इंटरप्राइजेस के सामने अशोक गार्डन में ऐसी कोई छेड़छाड़ जैसी घटना किसी के साथ नही हुई थी , यह किसी कशिश व अनूप सक्सेना नाम के व्यक्ति को जानते पहचानते नहीं है। "
   नगर  पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा की सनसनी खेज़ इस  रिपोर्ट  से स्पष्ट है  कि किस प्रकार से ईमानदार पत्रकारों को दुष्ट और जालसाज़ लोगों के कारण झूठे मुक़दमों से दो -चार होना पड़ता है। 
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और पुलिस महानिदिशक श्री सुरेन्द्र सिंह को चाहिए कि अवधेश भार्गव जैसे चीटरों की पृष्ठभूमि की जांच कराकर समाज के सामने बे नक़ाब करें जिससे फिर कोई अनूप सक्सेना जैसा निर्दोष पत्रकार फिर कभी  झूठे मामले में ना फंस सके.
दुर्भाग्य देखिए कि एक तरफ़ मुख्यमंत्री जी गंदगी से मीडिया के गठजोड़ पर चिंता व्यक्त करते हैं दूसरी और जनसम्पर्क विभाग के अधिकारी अपने व्यक्तिगत हितों के लिए अवधेश भार्गव जैसी गंदगी को संरक्षण दे रहे हैं. लाखों रूपय के विज्ञापन देकर आर्थिक लाभ पहुंचाकर सज़ायाफ़ता अपराधी को पत्रकारों की जमात में शामिल करके मुख्यमंत्री की इच्छा का मज़ाक बना रहे हैं. 
हमारा मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि अधिकारियों और अपराधियों के गठजोड़ को तौड़ने के लिए सख़्त क़दम उठाएं  वर्ना एस के मिश्रा जैसे कालीदास जिस डाल पर बैठेंगे  उसी को काटेगे.

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