एक जमाने में पत्रकारों में युवा तुर्क नेता कहे जाने वाले शलभ भदौरिया कब स्वार्थों की गिरफ्त में आ गये ,उन्हें खुद ही पता नहीं चला,
साहित्य में विशेष रुचि रखने वाला ब्यक्तित्व काफी संवेदनशील होता है,और शलभ भी अत्यन्त संवेदनशील ब्यक्ति का नाम था1 दोस्तों पर सब न्योछावर करने वाला ब्यक्ति आखिर स्वार्थ को सर्वोपरि मान दोस्तों में ही अलग थलग पड़ गया1
शायद कहीं निज स्वार्थ को मित्रों के मुकाबले ज्यादा अॉकने की भूल के कारण उसके जीवन के अभिन्न मित्रों में एक एक कर टूटने का सिलसिला जो शुरू हुआ तो चलता ही गया,
मुझे भी1976 से शलभ का अभिन्न मित्र होने का सौभाग्य प्राप्त था,मेरे जैसे कितने अभिन्न ,भिन्न हो गये,
शायद किसी किताब में यह पढ़कर कि जिन कंधो का सहारा लेकर शिखर पर पंहुचो ( सीढ़ी) उन्हें तोड़ दो,जिससे चुनौती देने वाला कोई न बचे,पर अमल करने के कारण दोस्त तो तितर बितर हुये ही,पर गर्त यात्रा की शुरुआत भी यहीं से हुयी,और शलभ का तिलिस्म टूटता चला गया,किन्तु आत्म ग्लानि से ग्रस्त हेने का बोझ,सबसे प्यारी चीज का हाथ से खिसकने का क्षोभ मन में इतना घर कर गया कि एक सुशिक्षत ब्यक्ति गुण्डे बदमाशों से घिर गया,
कल पत्रकार भवन समिति की वार्षिक बैठक पत्रकार भवन में होना है,किन्तु अपने गुण्डों से बैठक न होने देने देने की ठान चुके शलभ ने,हर ओछे हथकण्डे अपना लिये,
मैंने स्वयम् बात की कि ,पत्रकार भवन की लीज रद्द कर दी गई है,यह समिति की अंतिम बैठक है,कृपाकर शॉति से बैठक होने दें,किन्तु अपने अड़ियल रुख के कारण अपने हाथ से पत्रकार भवन के सरकने का गम शलभ को और अड़ियल बना गया,पत्रकार भवन के मोहपाश ने विगत तीन वर्षों से शलभ को विक्षिप्तता की स्थिति तक पंहुचा दिया है,वह अपनी सत्ता का ह्रास देखते देखते इतने डिप्रेशन में पंहुच चुके हैं,कि अपने पराये का फर्क भी भूल चुके हैं ,
खैर ,मैं यह सब इसलिये लिखा है,क्योकि हम पत्रकार विरादरी की संस्कृति को लड़ाई झगड़ा कर दूषित नहीं करना चाह रहे थे,इसलियै हमने बैठक का स्थान बदल दिया है,आप सब इससे अवगत हों इसलिये वस्तुस्थिति हमने आपके सामने रख दी है,
मेरी ईश्वर से ब्यक्तिगत प्रार्थना है,कि पत्रकार भवन मेंचलनै वाले बुलडोजर के कारण किसी की कमाई का जरिया छिनने का गम व दुकान बन्द होने की चिंता सहन करने की शक्ति उन लोगों को अवश्य दे,जो आज अवशादग्रस्त हो चुके हैं,,,जय हरि,,,
साहित्य में विशेष रुचि रखने वाला ब्यक्तित्व काफी संवेदनशील होता है,और शलभ भी अत्यन्त संवेदनशील ब्यक्ति का नाम था1 दोस्तों पर सब न्योछावर करने वाला ब्यक्ति आखिर स्वार्थ को सर्वोपरि मान दोस्तों में ही अलग थलग पड़ गया1
शायद कहीं निज स्वार्थ को मित्रों के मुकाबले ज्यादा अॉकने की भूल के कारण उसके जीवन के अभिन्न मित्रों में एक एक कर टूटने का सिलसिला जो शुरू हुआ तो चलता ही गया,
मुझे भी1976 से शलभ का अभिन्न मित्र होने का सौभाग्य प्राप्त था,मेरे जैसे कितने अभिन्न ,भिन्न हो गये,
शायद किसी किताब में यह पढ़कर कि जिन कंधो का सहारा लेकर शिखर पर पंहुचो ( सीढ़ी) उन्हें तोड़ दो,जिससे चुनौती देने वाला कोई न बचे,पर अमल करने के कारण दोस्त तो तितर बितर हुये ही,पर गर्त यात्रा की शुरुआत भी यहीं से हुयी,और शलभ का तिलिस्म टूटता चला गया,किन्तु आत्म ग्लानि से ग्रस्त हेने का बोझ,सबसे प्यारी चीज का हाथ से खिसकने का क्षोभ मन में इतना घर कर गया कि एक सुशिक्षत ब्यक्ति गुण्डे बदमाशों से घिर गया,
कल पत्रकार भवन समिति की वार्षिक बैठक पत्रकार भवन में होना है,किन्तु अपने गुण्डों से बैठक न होने देने देने की ठान चुके शलभ ने,हर ओछे हथकण्डे अपना लिये,
मैंने स्वयम् बात की कि ,पत्रकार भवन की लीज रद्द कर दी गई है,यह समिति की अंतिम बैठक है,कृपाकर शॉति से बैठक होने दें,किन्तु अपने अड़ियल रुख के कारण अपने हाथ से पत्रकार भवन के सरकने का गम शलभ को और अड़ियल बना गया,पत्रकार भवन के मोहपाश ने विगत तीन वर्षों से शलभ को विक्षिप्तता की स्थिति तक पंहुचा दिया है,वह अपनी सत्ता का ह्रास देखते देखते इतने डिप्रेशन में पंहुच चुके हैं,कि अपने पराये का फर्क भी भूल चुके हैं ,
खैर ,मैं यह सब इसलिये लिखा है,क्योकि हम पत्रकार विरादरी की संस्कृति को लड़ाई झगड़ा कर दूषित नहीं करना चाह रहे थे,इसलियै हमने बैठक का स्थान बदल दिया है,आप सब इससे अवगत हों इसलिये वस्तुस्थिति हमने आपके सामने रख दी है,
मेरी ईश्वर से ब्यक्तिगत प्रार्थना है,कि पत्रकार भवन मेंचलनै वाले बुलडोजर के कारण किसी की कमाई का जरिया छिनने का गम व दुकान बन्द होने की चिंता सहन करने की शक्ति उन लोगों को अवश्य दे,जो आज अवशादग्रस्त हो चुके हैं,,,जय हरि,,,
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