Wednesday 18 March 2015

भोपाल में नया पत्रकार भवन बनाने का मार्ग प्रशस्त लीज निरस्त होने से पत्रकारों ने पुराना भवन सरकार को सौंपा

भोपाल में नया पत्रकार भवन बनाने का मार्ग प्रशस्त
लीज निरस्त होने से पत्रकारों ने पुराना भवन सरकार को सौंपा
-आलोक सिंघई
भोपाल,18 मार्च 2015। राजधानी भोपाल के पत्रकारों ने सरकार को प्रदेश में स्वस्थ संवाद का नया मंच बनाने का अवसर प्रदान कर दिया है। इस फैसले में पत्रकारों ने मालवीय नगर स्थित पत्रकार भवन सरकार को सौंप दिया है ताकि वह इस भवन को गिराकर दस मंजिला सर्वसुविधा युक्त आधुनिक भवन बनाने का काम आरंभ कर सके। आज साधारण सभा की बैठक में पत्रकार भवन समिति के सदस्य पत्रकारों ने विधिवत प्रस्ताव पारित करके भवन का स्वामित्व सरकार को सौंपने का फैसला लिया है। प्रशासन की ओर से टीटीनगर एसडीएम ने भवन का कब्जा विधिवत प्राप्त कर लिया है। इसके साथ ही भवन पर अवैध कब्जे के खिलाफ बरसों से चल रही पत्रकारों की मुहिम ने अपना सुखांत लक्ष्य पूरा कर लिया है। अब सरकार इस भवन को डाइनामाईट लगाकर गिराएगी और परिसर से समीप स्थित झुग्गियां, किचिन गार्डन के रूप में जुड़े मैदान और पत्रकार भवन को मिलाकर लगभग तीन हजार वर्गमीटर क्षेत्र में नए अत्याधुनिक भवन का निर्माण करेगी। 
भोपाल के जिला दंडाधिकारी निशांत बरवड़े ने विगत 2 फरवरी को पारित प्रकरण क्रमांक 01। अ-20(4)। 13-14 में पत्रकार भवन की लीज निरस्त करने का आदेश दिया था जिसके बाद भोपाल के पत्रकारों ने नवनिर्माण के लिए ये भवन सरकार को सौंपने का फैसला लिया है। पत्रकारों के पास अब तक केवल 27007 वर्गफीट जमीन का पट्टा था जो नए भवन के साथ बढक़र लगभग चार गुना हो जाएगा। कलेक्टर ने यह फैसला लीजधारक वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन, भोपाल की ओर से शर्तों के उल्लंघन किए जाने के बाद लिया है।अपने निर्णय में जिला दंडाधिकारी ने कहा है कि वर्ष 1969 में वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल को मालवीय नगर स्थित प्लाट नंबर 01 शीट नंबर 21का 27007 वर्गफीट भूमि का पट्टा सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां संचालित करने के उद्देश्य से प्रदान किया गया था। संस्था ने इस भूखंड का उपयोग विवाह और अन्य गैर पत्रकारिता गतिविधियों के लिए करना शुरु कर दिया। इस पट्टे की लीज वर्ष 1999 में समाप्त हो चुकी थी जिसका नवीनीकरण भी नहीं कराया गया। 
पत्रकार भवन को आपराधिक और व्यावसायिक गतिविधियों का अड्डा बनाए जाने की शिकायतें मिलने के बाद पत्रकार भवन समिति को मप्र भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 182 के अंतर्गत कारण बताओ नोटिस दिया गया था कि लीज शर्तों का उल्लंघन करने के कारण क्यों ने भवन को राजसात करके पुन: प्रवेश की कार्रवाई की जाए। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की ओर से अवधेश भार्गव ने स्वीकार किया कि लीज डीड की शर्तों का उल्लंघन तो किया ही जा रहा है साथ में भवन का उपयोग गैर पत्रकारिता गतिविधियों के लिए भी किया जा रहा है। उन्होंने आयुक्त जनसंपर्क संचालनालय को भी पत्र लिखकर आबंटित भूमि सरकार को लौटाने का अनुरोध किया। पत्रकार भवन समिति भोपाल के अध्यक्ष एन.पी. अग्रवाल ने भी आयुक्त जनसंपर्क संचालनालय को को पत्र भेजकर बताया कि समिति ने 30.11.2014 को हुई बैठक में इस भूखंड पर समाचार पत्रों और पत्रकारों के हित में बहुमंजिला इमारत बनाए जाने का निर्णय लिया है। 
कलेक्टर के समक्ष सुनवाई के दौरान बाद में पंजीकृत कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने आपत्ति भी दर्ज कराई जिसके जवाब में अनावेदक अवधेश भार्गव ने बताया कि आपत्ति करने वाले लोग मप्र श्रमजीवी पत्रकार संघ के हैं जिसका पंजीयन वर्ष 1992 में हुआ था। अन्य दावेदार इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट का पंजीयन भी वर्ष 1974 में हुआ था। जाहिर है कि बाद में अस्तित्व में आईं इन संस्थाओं का पत्रकार भवन से कोई लेना देना नहीं है। पत्रकार भवन पर अवैध कब्जा जमाने वालों का तर्क था कि लीज डीड में समयावधि नहीं लिखी है इसलिए उसे तीस साल में नवीनीकरण कराए जाने की जरूरत नहीं है। इस पर जिला दंडाधिकारी ने कहा कि वर्ष 2002 तक जो लीज जमा कराई जा रही थी वह लीज डीड की आम शर्तों के अनुसार थी जाहिर है कि पट्टे के आबंटन की सामान्य प्रक्रिया इस प्रकरण में भी लागू होगी। 
भू राजस्व संहिता की धारा 182(2) में साफ लिखा है कि सरकारी पट्टेदार को उसकी भूमि से राजस्व अधिकारी के आदेश द्वारा निम्नलिखित आधारों में से किसी एक या अधिक आधारों पर बेदखल किया जा सकेगा। अर्थात-(एक) यह कि उसने लगान का उस तारीख से जिनको कि वह शोध्य हो गया था , तीन मास की कालावधि तक भुगतान नहीं किया गया है। या (दो) यह कि उसने एसी भूमि का उपयोग उन प्रयोजनों से जिनके लिए वह प्रदान की गई थी, भिन्न प्रयोजनों के लिए किया है। या (तीन) यह कि उसके पट्टे की अवधि का अवसान हो चुका है या(चार) यह कि उसने अनुदान की किसी निबंधन या शर्त का उल्लंघन किया है। 
अपने फैसले में जिला दंडाधिकारी ने कहा है कि लीज धारक ने इन सभी शर्तों का उल्लंघन किया है इसलिए भूखंड पर पुन: प्रवेश का ही विकल्प शेष रह गया है। इसलिए पट्टा निरस्त करके भूखंड का आधिपत्य प्राप्त करने का आदेश दिया जाता है। इसके लिए राजधानी परियोजना टीटीनगर वृत्त भोपाल से उक्त भूखंड पर पुन: प्रवेश की कार्रवाई करके आधिपत्य प्राप्त करें। आज पत्रकार भवन समिति ने साधारण सभा की बैठक में आधिपत्य सौंपने की कार्रवाई का विधिवत प्रस्ताव तैयार करके एसडीएम को सौंप दिया है,ताकि नया भवन बनाया जा सके।
गौरतलब है कि लगभग बीस सालों से सरकारी बजट को छिन्नभिन्न करने वाले सत्ता माफिया के गुर्गे इस पत्रकार भवन का उपयोग कर रहे थे। वे समय समय पर मुख्यमंत्री और सरकार के मंत्रियों व सचिवों को भी ब्लैकमेल करते थे और उन पर फिजूल खर्ची की योजनाओं के लिए बजट आबंटित करने का दबाव बनाते रहते थे। कांग्रेस की पूर्ववर्ती दिग्विजय सिंह सरकार ने इस सत्ता माफिया को भरपूर प्रश्रय दिया था। इसके बाद भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इस माफिया तंत्र को भेदने का प्रयास भी किया लेकिन उनके हटते ही ये गिरोह फिर सक्रिय हो गया था। वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने जब ये समस्या लाई गई तो उन्होंने प्रशासन को संविधान सम्मत काम करने के निर्देश दिये। प्रस्तुत तथ्यों के प्रकाश में प्रशासन ने पत्रकार भवन को दुबारा बनाने का फैसला लिया है। जिसके बाद सत्ता माफिया के गढ़ बन चुके इस भवन को ढहाने की कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त हुआ है। बरसों से प्रदेश और पत्रकारों के हित में लड़ाई लड़ रहे कई जांबाज पत्रकारों ने इस संग्राम में अपनी आहुतियां दी हैं। प्रदेश और पत्रकारों के हित में पहली बार किसी सरकार ने यह फैसला लिया है जिसका स्वागत राजधानी के अलावा प्रदेश भर के जमीनी पत्रकार कर रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि शिवराज सिंह सरकार इस यशस्वी कार्य को बखूबी अंजाम देगी और नई पीढी़ के पत्रकारों के लिए नया भवन बनाकर एक गौरवमयी विरासत में शामिल होने का अवसर प्रदान करेगी।

No comments:

Post a Comment