Friday 13 March 2015

Patakerbhawan bhopal

कथित दावेदारो की पोल खुली तेरा तुझको (अरपन )
[13/03 09:22] Awdhesh Bhargav: *पत्रकार भवन की लीज निरस्त*
विनय डेविड़ की कलम से,,,,,
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पत्रकार भवन की तथा कथा से सभी विद्वत् पत्रकारगण भली भॉति परिचित हैं, शुरूआत से अंत तक की कथा किसी थ्रिलर फिल्म की कथा से कम नहीं है. सन् 1969 में वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल नाम की पत्रकारों की एक बहुत ही प्रतिष्ठत संस्था थी, इसी संस्था को म.प्र सरकार ने कलेक्टर सीहोर के माध्यम से राजधानी परियोजना के मालवीय नगर स्थित प्लाट नम्बर एक पर 27007 वर्ग फिट भूमि इस शर्त पर आवंटित की, कि यूनियन पत्रकारों के सामाजिक,सांस्कृतिक , सामाजिक, शैक्षणिक उत्थान व गतिविधियों के लिये एक इमारत का निर्माण करेगा और सुचारू संचालन करेगा, उस समय मुख्य मंत्री पं श्यामाचरण शुक्ल थे,
उसी समय आई एफ डब्लू जे नाम की पत्रकारों की संस्था देश की राजधानी दिल्ली में सक्रिय थी,इस संस्था का काम देश के विभिन्न प्रान्तों के पत्रकार संगठनों को सम्बद्धता देना था, इसके अध्यक्ष उस समय स्व.रामाराव थे जो एक प्रखर प्रतिभाशाली ,ईमानदार पत्रकार थे, इस संस्था से वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल को सम्बद्धता मिली हुई थी, शर्त ये थी कि सम्बद्धता दोनों में ....
जारी है .......२
[13/03 09:22] Awdhesh Bhargav: से कोई भी एक पक्ष समाप्त कर सकता था,रामाराव जी की मृत्यु के बाद अध्यक्ष बदले ,फिर उनके पुत्र के विक्रमराव ने विरासत सम्हाली जो अद्यतन अध्यक्ष हैं और शायद मृत्योपर्यन्त अध्यक्ष रहेगे,इनहोंने प्रान्तों में अपनी इकाइयॉ बनानी चालू कर दी,जो नियम बिरुद्ध है,और हॉ विक्रमराव जिस महासंघ को चला रहे हैं उसका पंजीयन 1974 में हुआ है,
पत्रकार भवन की इमारत के निर्माण के लिये स्व. धन्नालाल शाह,स्व. प्रेम श्रीवास्तव,स्व.नितिन मेहता आदि नामचीन पत्रकारों ने अपनी झोली फैलाकर एक एक पाई संचित कर पत्रकारों का स्वप्न महल खड़ा कर दिया,इमारत बनने के बाद इसकी विशालता व भब्यता के चर्चे देश विदेश में होने लगे,गोष्ठियॉ होने लगी,सांस्कृतिक गतिवियॉ चलने लगी,बस यहीं से आपस में आरोपों प्रत्यारोपों का दौर चालू हो गया,उस समय पत्रकार भवन समिति के अध्यक्ष श्री लज्जा शंकर हरदेनिया हुआ करते थे,इन्होने पत्रकार भवन को शादी विवाह समारोह आदि के लिये देने का प्रस्ताव पारित कर लिया,बस यहीं से इसके पतन, बरबादी और खींचतान की नींव का श्रीगणेश हो गया1
इसी समय1988 में तब के युवा पत्रकार बाहुबल के बल पर यूनियन व पत्रकार भवन समिति की बागडोर अपने हाथ में लेकर वरिष्ठ पत्रकारो को बेइज्जत कर वहॉ से चलता कर दिया,इसी बीच एक गुट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन चलाता रहा,जबकि इन सबने नाम बदलकर श्रमजीवी पत्रकार संघ कर लिया,शलभ भदौरिया नें 1992 में म.प्र.श्रमजीवी पत्रकार संघ नाम से अपना अलग पंजीयन करा लिया1
2014 में पत्रकार भवन समिति के अध्यक्ष श्री एन पी अग्रवाल बने,तथा वर्रिंग जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष श्री अवधेश भार्गव बने,श्रीअग्रवाल को शलभ गुट ने काम ही नहीं करने दिया,मामला न्यायालय पंहुचा,थानों में शिकायते गई,किन्तु अपनी निजी प्रापर्टी समझ बैठे शलभ भदौरिया ने बाहुबल के दम पर अपनी राजनैतिक रसूख का इस्तेमाल कर अड़ंगेबाजी जारी रखी,
आखिर श्री अग्रवाल व श्री भार्गव ने शासन से पत्रकारों के हित में चर्चा की ,इसी बीच शासन का नोटिस श्री भार्गव को प्राप्त हो चुका था ,आपकी संस्था को जो भूमि आवंटित की गई है,आप उसको दुरुपयोग कर रहे हैं,इस नोटिस के बाद श्री अग्रनवाल व श्री भार्गव ने संस्था की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया कि जमीन शासन को वापस करके पत्रकारों के हितकारी कार्यों के लिये एक प्रस्ताव दिया जाये,इसके बाद दोनों जनसम्पर्क आयुक्त श्री एस के मिश्रा से मिले,व मुख्यमंत्री जी से मुलाकात की,मुख्यमंत्री जी ने गम्भीरता से सुना समझा और वादा किया कि संस्था ने जो प्रस्तान दिया है,अक्षरश: उसका पालन होगा1
कलेक्टर कोर्ट में सुनवाई के दौरान शलभ भदौरिया ने अपने दो प्रतिनिधियों के माध्यम से दावा किया कि वे ही सर्वै सर्वा हैं बिना उनसे पूछे कोई निरणय न किया जाये,इस बात का उल्लेख कलेक्टर भोपाल ने अपने आदेश में किया है,इसी प्रकार विक्रमराव की ओर से जवाहर सिंह ने दावा किया कि बिना विक्रमराव से चर्चा किये कोनिर्णय न लिया जाये,किन्तु कलेक्टर भोपाल ने श्री भार्गव द्वारा म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ का वर्ष 1992 कापंजीयन प्रमाण पत्र व 1974 का आई एफ डब्लू जे का पंजीयन प्रमाण पत्र पेश कर इन्हे फरजी दावेदार घोषित करने की मॉग की थी,कलेक्टर ने इस दावे को मानते हुये लीज निरस्त करने के आदेश 2 फरवरी 2015 को निरस्त करते हुये कब्जा वापस सौंपने के आदेश पारित कर दिये,
दिनॉक 18 मार्च को कब्जा वापस सौंपने का निर्णय लिया जा चुका है,

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