Friday 21 November 2014

इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स आईएफडब्ल्यूजे के 68वें अधिवेशन के दूसरे दिन की बैठक

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि खोजी पत्रकारिता के लिए सूचना का अधिकार मुख्य हथियार साबित हो सकता है और इसकी मदद से खोजपरक पत्रकारिता की जा सकती है। उन्होने यह भी कहा की आरटीआई के लागू होने से पहले भी खोजी पत्रकारिता होती रही है। लेकिन वर्तमान परिवेश में इसका बड़ा लाभ लिया जा सकता है। राज्यपाल मंगलवार को इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स आईएफडब्ल्यूजे के 68वें अधिवेशन के दूसरे दिन की बैठक को संबोधित कर रहे थे। नाईक ने कहा कि देश में पत्रकारिता की शुरूआत एक मिशन के रूप में हुई। देशवासियों में स्वतंत्रता की अलख जगाने में पत्रकारों ने अद्भुत कार्य किया। देश की आजादी में बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने पत्रकारिता के माध्यम से जनमत तैयार किया था। अलग अलग भाषाओं को साथ लेकर चलना चाहिये। पत्रकारिता से समाज को एक नई सोच व नया विचार मिलता है। उन्होंने कहा कि प्रेस का सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में बहुत महत्व है। गर्वनर ने कहा कि जनतंत्र में पत्रकारों की बड़ी भूमिका है। उसे भुलाया नहीं जा सकता है। ऐसी संगोष्ठीयों और सम्मेलन से नये विचार आते है। इसलिए ऐसे विचारों के कुंभ को नियमित होना चाहिए। उन्होंने कहा जिस प्रकार चिकित्सा डाक्टर का धर्म होता हैए ऐसा ही पत्रकारिता का धर्म है, लोगों में चेतना जगाने का। सत्य बात को हमेशा लिखा जाता रहा है। इससे समझौता नहीं होना चाहिए। पत्रकार की लेखनी का असर सीधे समाज पर होता है। इसलिये पत्रकारिता के आदर्श के अनुरूप तथ्य और सच्चाई का विशेष ध्यान रखें। राज्यपाल ने कहा कि देश के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक विकास में संचार माध्यमों का विशेष महत्व है। पत्रकार एक बड़ी ताकत है। आज विचार करने की जरूरत है कि जनहित में इस ताकत का कैसे प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में प्रमाणिकता का संकल्प जरूरी है। नाईक ने अधिवेशन में केन्द्र और राज्य सरकार से जो भी आपकी जायज मांग होगी उस प्रस्ताव की प्रति आप मुझे देंगे तो मैं आश्वासन देता हूं कि इस संबंध में केन्द्र एवं प्रदेश सरकार तक आप की बात पहुंचाने का प्रयास करूंगा। प्रसन्नता है कि मुख्यमंत्री ने आपका कुछ आश्वासन दिये हैं। राजस्थानए गुजरातए कर्नाटका से आए पत्रकारों ने राज्यपाल को अपने प्रदेष के स्मृति चिन्ह भेंट किये।
कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि उप्र सरकार के सिंचाई सहकारिता मंत्री शिवपाल यादव ने संबोधित किया। लोक निर्माण एवं सहकारिता मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि पत्रकारों की जो भी समस्याए है उनके समाधान के लिए राज्य सरकार ईमानदारी से तत्पर है। उन्होंने कहा राजनीति और मीडिया एक दूसरे पूरक है बिना दोनों के सयुंक्त एक रचनात्मक समाज की स्थापना नहीं की जा सकती। पत्रकारों की टोल टैक्स माफी की मांग को मानते हुए शिवपाल ने घोषणा कि राज्य सरकार अधीन आने वाले सभी सेतुओं पर अब पत्रकारों को टोल टैक्स नहीं देना होगा।
उन्होंने कहा कि राजनीति और पत्रकारिता एक दूसरे के पूरक है। राजनीति का कार्य है लोगों की सेवा करना। पत्रकारिता का भी कार्य अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए जनता को सजग करना।
राज्य सरकार के मंत्री ने कहा कि पत्रकार की कलम को कभी रुकना नहीं चाहिएए क्योंकि अच्छे विचारों को लोग पढ़ते हैं। साम्प्रदायिकता और पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ हमेशा पत्रकार लड़ते रहे हैं। यही सोंच हमारी सरकार की भी है। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार एवं ओरिशा से आए पत्रकारों ने राज्य सरकार के मंत्री शिवपाल सिंह यादव को स्मृति चिन्ह भेंट की। मंत्री जी ने आयोजन समिति के सभी कार्यकर्ताओं को आईएफडब्लूजे के सचिव परमानन्द पाण्डेय द्वारा जारी प्रशस्तीपत्र भेंट किया।
आईएफडब्लूजे के सोशल मीडिया प्रभारी के. विश्वदेव राव ने राज्यपाल एवं मंत्री को सोशल मीडिया पर यूनियन की गतिविधियों पर आधारित एक चलचित्र प्रदर्शनी भी दिखायी। अधिवेशन में आईएफडब्लूजे के अध्यक्ष के विक्रम राव, राष्ट्रय सचिव कृष्णमोहन झा, सचिव परमानन्द पाण्डेय, कोषाध्यक्ष श्याम बाबू, उपाध्यक्ष सत्य पारीक, मनोज दास, नमिता बोरा, यूपी यूनियन के अध्यक्ष हसीब सिद्धिकी, सचिव पीके तिवारी, यूपी प्रेस क्लब के सचिव जेपी तिवारी, लखनऊ यूनियन के अध्यक्ष सिद्धार्थ कलहंस, आयोजन समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने अपने विचार व्यक्त कि

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